Q.90. भारत में नियोजन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – नियोजन का मतलब होता है किसी समस्या का समझदारी से हल निकालने की कोशिश करना।
आर्थिक नियोजन का अर्थ है – देश के पास जो संसाधन उपलब्ध हैं, उनका सही और बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना।
हमारी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य यह रहा है कि:
देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़े,
लोगों को ज्यादा रोजगार मिले,
आमदनी और धन का बराबर बंटवारा हो,
कुछ लोगों के हाथों में ही सारी आर्थिक ताकत न सिमट जाए,
और एक ऐसा समाज बने जो स्वतंत्र, समानता-पूर्ण और न्यायप्रिय हो।
Q.91. भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस पार्टी एवं दक्षिणी अफ्रीका के अफ्रीकन नेशनल काँग्रेस पार्टी के समानताओं का वर्णन करें।
उतर – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और दक्षिण अफ्रीका की अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) पार्टी के बीच कई समानताएँ देखी जा सकती हैं। विशेष रूप से, निम्नलिखित दो बिंदुओं पर ये दोनों पार्टियाँ एक जैसी हैं:
(i) अखिल राष्ट्रीय स्तर का चरित्र:
दोनों ही पार्टियाँ अपने-अपने देश में राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करती थीं और पूरे देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करती थीं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत के सभी क्षेत्रों, भाषाओं, धर्मों और वर्गों के लोगों को एकजुट किया।
इसी तरह, अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने दक्षिण अफ्रीका में विभिन्न नस्लीय और क्षेत्रीय समूहों को एक मंच पर लाकर देशव्यापी आंदोलन खड़ा किया।
(ii) राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत संगठन:
इन दोनों पार्टियों ने मजबूत संगठनात्मक ढांचा विकसित किया था, जिससे वे लंबे समय तक सक्रिय रहीं और जनता का विश्वास प्राप्त करती रहीं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पास गाँव से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक कार्यकर्ताओं और नेताओं का एक मजबूत नेटवर्क था।
अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने भी संघर्ष के दौर में एक संगठित और अनुशासित संगठन के रूप में काम किया, जिसने नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी।
Q.92. निषेधाधिकार (Veto) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं।
इनमें से 5 सदस्य स्थायी (Permanent) होते हैं और 10 सदस्य अस्थायी (Temporary) होते हैं, जिन्हें कुछ समय के लिए चुना जाता है। जब कोई साधारण या प्रक्रिया से जुड़ा फैसला लेना होता है (जैसे बैठक की व्यवस्था या कार्यसूची से जुड़े मुद्दे), तो इसके लिए कम से कम 9 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है। लेकिन जब कोई महत्वपूर्ण फैसला लेना होता है – जैसे आर्थिक प्रतिबंध लगाना या सैन्य कार्यवाही करना – तो 9 सदस्यों के समर्थन के साथ-साथ सभी 5 स्थायी सदस्यों की सहमति भी जरूरी होती है। अगर किसी एक भी स्थायी सदस्य ने विरोध में वोट दिया, तो वह निर्णय पारित नहीं हो सकता। इसी अधिकार को “निषेधाधिकार” (Veto Power) कहा जाता है।
Q.93. संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रधान अंग बताइए।
उत्तर – संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) के छह प्रमुख अंग (Main Organs) निम्नलिखित हैं:
(i) संयुक्त राष्ट्र महासभा (General Assembly):
यह सभी सदस्य देशों का मंच है, जहाँ प्रत्येक देश को एक वोट मिलता है। यह वैश्विक मुद्दों पर चर्चा और सिफारिशें करती है।
(ii) सुरक्षा परिषद् (Security Council):
यह अंग अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। इसमें 15 सदस्य होते हैं – 5 स्थायी और 10 अस्थायी। स्थायी सदस्यों को वेटो शक्ति प्राप्त है।
(iii) आर्थिक और सामाजिक परिषद् (Economic and Social Council – ECOSOC):
यह अंग सामाजिक और आर्थिक मुद्दों, जैसे—स्वास्थ्य, शिक्षा, मानवाधिकार आदि, पर कार्य करता है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
(iv) न्यास परिषद् (Trusteeship Council):
यह परिषद् उन क्षेत्रों की देखरेख के लिए बनाई गई थी जो पहले उपनिवेश थे और अब स्वतंत्रता की ओर बढ़ रहे थे। अब इसका कार्य लगभग समाप्त हो चुका है।
(v) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice – ICJ):
यह संयुक्त राष्ट्र का न्यायिक अंग है, जो देशों के बीच के विवादों का शांतिपूर्ण समाधान करता है। इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैंड) में है।
(vi) सचिवालय (Secretariat):
यह संयुक्त राष्ट्र का प्रशासनिक अंग है, जिसका प्रमुख अधिकारी महासचिव (Secretary-General) होता है। यह सभी कार्यक्रमों और नीतियों के कार्यान्वयन में सहायता करता है।
Q.94. संयुक्त राष्ट्र के शांति स्थापना के प्रयासों में भारत के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर – संयुक्त राष्ट्र की शांति स्थापना में भारत की भूमिका भारत ने हमेशा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में सक्रिय भाग लिया है। भारत की सेना को कोरिया भेजा गया था ताकि वहाँ शांति बनाए रखने और युद्धविराम सुनिश्चित किया जा सके। भारत ने न केवल प्रारंभिक वर्षों में, बल्कि बाद के वर्षों में भी संयुक्त राष्ट्र की शांति स्थापना गतिविधियों में हिस्सा लिया। भारत ने कोरिया, मिस्त्र, और कांगो जैसे देशों में शांति स्थापना कार्यों में भाग लिया। इसके अलावा, सोमालिया, अंगोला, और रवांडा में भी भारत ने अपनी सेनाएँ भेजीं। भारत के लेफ्टिनेंट जनरल सतीश नाम्बियार ने बाल्कन युद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र की सेना की कमान संभाली थी। भारत ने स्वेज नहर संकट, कांगो, अंगोला, नामीबिया, गाज़ा, कंबोडिया, यूगोस्लाविया, और लेबनान जैसे क्षेत्रों में अपनी सेनाएँ भेजकर संयुक्त राष्ट्र की शांति स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
Q.95. रंगभेद क्या है ? संयुक्त राष्ट्र द्वारा रंगभेद के विरुद्ध किये गये दो उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – रंगभेद : मानवता और लोकतंत्र के विरुद्ध
रंगभेद (Apartheid) नस्ल के आधार पर किया जाने वाला सबसे बुरा भेदभाव है। यह व्यवस्था मानवता और लोकतंत्र दोनों के खिलाफ है, क्योंकि इसमें लोगों को उनके रंग और नस्ल के आधार पर अलग किया जाता है और उनके साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की भूमिका:
1954 में, संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद समर्थक सरकार के खिलाफ राजनीतिक प्रतिबंध लगाए। इसका उद्देश्य रंगभेदी नीतियों का विरोध करना और अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना था।
1956 में, संयुक्त राष्ट्र ने रोडेशिया (अब ज़िम्बाब्वे) पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, क्योंकि वहाँ भी नस्लीय भेदभाव की नीतियाँ अपनाई जा रही थीं।
Q.96. विश्व स्वास्थ्य संघ के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – 🌍 विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.)
विश्व स्वास्थ्य संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष संस्था है, जिसकी स्थापना 1948 ई. में की गई थी।
इसका मुख्य उद्देश्य है – दुनिया भर के लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करना।
इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्ज़रलैंड) में स्थित है।
✅ विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख उपलब्धियाँ:
नई औषधियों की खोज:
W.H.O. ने बीमारियों से लड़ने के लिए कई नई दवाओं की खोज में मदद की है।नशीले पदार्थों की रोकथाम:
इस संस्था ने नशे के दुष्प्रभावों से बचाव के लिए कई उपाय किए हैं।हैजे का अंत:
W.H.O. ने विश्व के कई हिस्सों से हैजे जैसी जानलेवा बीमारी को समाप्त कर दिया है।तपेदिक (टी.बी.) उन्मूलन का प्रयास:
यह संस्था अभी भी तपेदिक को जड़ से खत्म करने के लिए लगातार काम कर रही है।टीकों की आपूर्ति:
W.H.O. ने दुनिया के कई देशों को बी.सी.जी., पेनिसिलिन जैसे महत्वपूर्ण टीके और दवाइयाँ उपलब्ध कराईं।
Q.97. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – ⚙️ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (I.L.O.)
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization – I.L.O.) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष संस्था है। इसकी स्थापना 1946 ई. में की गई थी।
इसका मुख्य उद्देश्य है – सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना और श्रमिकों (मजदूरों) की स्थिति में सुधार लाना।
✅ I.L.O. के प्रमुख कार्य:
मजदूरों के वेतन और काम के घंटे तय करना:
यह संस्था विभिन्न देशों में मजदूरों के लिए न्यायसंगत वेतन और काम करने की उचित समय-सीमा निर्धारित करने में सहायता करती है।बेरोजगारी को रोकना:
यह श्रमिकों में बेकारी (बेरोजगारी) की समस्या को दूर करने के लिए कार्यक्रम बनाती है।बच्चों और महिलाओं की रक्षा:
I.L.O. बाल श्रम और महिला श्रमिकों के शोषण को रोकने के लिए नियम और सुझाव देती है।मजदूरों और मालिकों के बीच विवाद सुलझाना:
यह संस्था मजदूरों और मिल मालिकों के बीच झगड़ों को बातचीत और समझौते से हल करने की कोशिश करती है।मजदूरों का जीवन स्तर सुधारना:
I.L.O. मजदूरों के रोज़गार, सुरक्षा, और सामाजिक कल्याण के लिए कार्य करती है और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन करती है।
Q.98. युद्ध का क्या अर्थ है ? यह क्या देता है ?
उत्तर – ⚔️ युद्ध का अर्थ – केवल विनाश
युद्ध का मतलब होता है तबाही।
यह किसी को सुरक्षा या समाधान नहीं देता, बल्कि सबके लिए विनाश, पीड़ा और दुःख छोड़ जाता है।
युद्ध के बाद बचते हैं –
विकलांग लोग,
विधवाएँ,
अनाथ बच्चे,
भय और भयंकर बीमारियाँ,
और कई बार तो पूरे शहर और गाँव तक मिट जाते हैं।
जनता को मिलती है सिर्फ़ मृत्यु और आपदा,
जबकि मानवता की जगह ले लेता है हिंसा और दर्द।
युद्ध वास्तव में किसी के लिए भी लाभदायक नहीं होता। यह सबके लिए एक हार है।
Q.99. राजकुमारी अमृत कौर पर एक अति संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – 👩⚕️ राजकुमारी अमृत कौर – एक गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी
वह एक गांधीवादी विचारधारा की स्वतंत्रता सेनानी थीं।
उनका संबंध पंजाब के कपूरथला के राजपरिवार से था।
उन्हें अपनी माता से ईसाई धर्म विरासत में मिला।
उन्हें संविधान सभा की सदस्य बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जहाँ उन्होंने देश के निर्माण में योगदान दिया।
स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में वह स्वास्थ्य मंत्री बनीं – यह पद पाने वाली भारत की पहली महिला मंत्री थीं।
उन्होंने स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया।
1964 में उनका निधन हो गया।
Q.99. राजकुमारी अमृत कौर पर एक अति संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – वह एक गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनका जन्म पंजाब के कपूरथला के राजपरिवार में हुआ था। उनकी माँ से उन्हें ईसाई धर्म विरासत में मिला। उन्हें संविधान सभा का सदस्य बनने का सम्मान प्राप्त हुआ। स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में वे स्वास्थ्य मंत्री बनीं। उनका निधन 1964 में हुआ।
Q. 100. आचार्य नरेन्द्र देव कौन थे ? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर – आचार्य नरेन्द्र देव आचार्य नरेन्द्र देव का जन्म 1889 ईस्वी में हुआ था। वे देश के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने सोशलिस्ट कांग्रेस की स्थापना की। स्वराज्य (स्वतंत्रता) के लिए चले आंदोलन में वे कई बार जेल भी गए। वे वामपंथी विचारों से प्रभावित थे और देश के किसान आंदोलन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही, वे बौद्ध धर्म के गहरे ज्ञाता और विद्वान भी थे। आजादी के बाद उन्होंने पहले सोशलिस्ट पार्टी और बाद में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का नेतृत्व किया। आचार्य नरेन्द्र देव का निधन 1956 ईस्वी में हुआ।
Q.101. बाबा साहब अंबेडकर पर अति संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – डॉ. भीमराव अंबेडकर (1891-1956)
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 1891 ई. में एक महर परिवार में हुआ था।
उन्होंने इंग्लैंड और अमेरिका से वकालत की पढ़ाई की।
1923 में उन्होंने वकालत शुरू की।
1926 से 1934 तक वे बंबई विधान परिषद् के सदस्य रहे।
उन्होंने भारत के गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया।
1942 में वे वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य नियुक्त हुए।
उन्हें भारत की संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
आजाद भारत में वे पहले न्याय मंत्री बने।
उन्होंने हिंदू कोड बिल पास करवाया और संविधान में हरिजनों के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 1956 में हुआ।
Q. 102. सी. राजगोपालाचारी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर – सी. राजगोपालाचारी (1878-1972)
सी. राजगोपालाचारी का जन्म 1878 ईस्वी में हुआ था।
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रसिद्ध साहित्यकार थे।
वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रिय करीबी कार्यकर्ता थे।
वे स्वतंत्रता संग्राम के बाद बनी संविधान सभा के सदस्य भी रहे।
1948 से 1950 तक वे स्वतंत्र भारत के पहले और अंतिम भारतीय गवर्नर जनरल बने।
स्वतंत्रता के बाद वे मद्रास (अब तमिलनाडु) के मुख्यमंत्री भी रहे।
वे भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय थे।
उन्होंने 1959 में स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की।
उनका निधन 1972 ईस्वी में हुआ।
Q. 103. वैश्वीकरण की परिभाषा दीजिए।
उत्तर – वैश्वीकरण वह प्रक्रिया है जिसके तहत हम अपने फैसले और क्रियाएँ एक जगह से लेते हैं, लेकिन उनका असर दुनिया के दूर-दराज़ के अन्य क्षेत्रों और वहां के लोगों पर भी पड़ता है। इससे विश्व के विभिन्न हिस्से आपस में जुड़ जाते हैं और एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण बन जाते हैं।
Q.104. नव उपनिवेशवाद क्या है ?
उत्तर – नव उपनिवेशवाद पारंपरिक उपनिवेशवाद का एक नया रूप है। इसमें कोई ताकतवर और धनी देश किसी कमजोर देश को सीधे नियंत्रित या शोषित करने के बजाय, उसे आर्थिक रूप से अप्रत्यक्ष तरीके से नियंत्रित और शोषित करता है।
Q.105. कल और आज के वैश्वीकरण में क्या अंतर है ?
उत्तर – कल और आज के वैश्वीकरण में बड़ा अंतर है। पहले केवल तैयार की गई वस्तुएँ ही एक देश से दूसरे देश जाती थीं, लेकिन आज सिर्फ वस्तुएँ ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में लोग भी एक देश से दूसरे देश जा रहे हैं। अब वैश्वीकरण में कच्चा माल, प्रौद्योगिकी, और लोगों का आवागमन भी शामिल हो गया है।
Q. 106. उदारीकरण क्या है ?
उत्तर – उदारीकरण का अर्थ उदारीकरण का मतलब है अर्थव्यवस्था से सभी तरह के प्रतिबंध हटाकर उसे ज्यादा खुला और प्रतिस्पर्धात्मक बनाना। उदाहरण के तौर पर, नई आर्थिक नीति के तहत निजी क्षेत्रों को ज्यादा सुविधाएँ दी गईं ताकि वे अधिक तेजी से विकास कर सकें। ‘उदारीकरण’ शब्द हिंदी के ‘उदार’ से लिया गया है, जिसका मतलब है खुलापन। इसका मतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था को एक कठोर और नियंत्रित व्यवस्था से निकालकर ऐसी व्यवस्था बनाना जिसमें निजी क्षेत्र पूरी तरह से विकसित हो सके। इसके तहत वे क्षेत्र जो पहले सरकार के नियंत्रण में थे, उन्हें भी निजी क्षेत्र के लिए खोला जाता है। साथ ही सरकारी उद्योगों का भी निजीकरण किया जाता है, ताकि वे ज्यादा प्रभावी और उत्पादक बन सकें।
Q. 107. सुशासन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – सुशासन क्या है?
सुशासन का मतलब है ऐसा शासन जो सुंदर, स्वच्छ, पारदर्शी और जनता के हित में काम करने वाला हो।
यह समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में जो असमानताएँ और जटिलताएँ हैं, उन्हें खत्म करता है और हर व्यक्ति को जीवन में सुखद अनुभव देता है। सैद्धांतिक रूप से, सुशासन एक ऐसी सोच है जो शासन को व्यावहारिक, विस्तृत और प्रभावी बनाती है।
जब शासन जनता के कल्याण के लिए प्रभावी ढंग से काम करता है, तब उसे सुशासन कहा जाता है। यह एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।
संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों में सुशासन को एक बहुआयामी अवधारणा माना गया है। इसका मतलब है:
कानून का शासन सुनिश्चित करना,
सभी लोगों को बिना किसी भेदभाव के समान कानूनी सुरक्षा देना।
लोकतंत्र में सुशासन का संबंध आधुनिकीकरण से भी जुड़ा होता है, यानी शासन को आधुनिक और समय के अनुसार बनाना।
Q. 108. राजनैतिक न्याय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – राजनीतिक न्याय का अर्थ
राजनीतिक न्याय का मतलब है राज्य की सत्ता और जनता के बीच सही और न्यायसंगत संबंध होना। फ्रांसीसी क्रांति, अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा और मानव अधिकारों की घोषणा में राजनीतिक न्याय को बहुत महत्व दिया गया है। मानव अधिकारों की घोषणा में कहा गया है कि,
“हर व्यक्ति को अपने देश की शासन व्यवस्था में भाग लेने का अधिकार है।”
इसका मतलब है कि हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के राजनीतिक अधिकार मिलना चाहिए।
राजनीतिक न्याय तभी संभव है जब सरकार की शक्ति जनता की इच्छा या स्वीकृति पर आधारित हो। इसके लिए जरूरी है कि लोकतंत्र में सभी वयस्कों को वोट देने का अधिकार मिले और प्रशासन साफ़-सुथरा हो।
Q.109. ‘पीली क्रांति’ क्या है ?
उत्तर – पीली क्रांति और तेलहन की फसल तेलहन की फसल में जब अत्यधिक उत्पादन का लक्ष्य रखा गया, तो इसे पीली क्रांति कहा गया। इसके कारण भारत तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। तेलहन की फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को अच्छे बीज और उपयुक्त कीटनाशक दवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
भारत में मुख्य रूप से जिन तेलहन पौधों से तेल निकाला जाता है, उनमें शामिल हैं—
सरसों
तीसी
राई
कुसुम
सूर्यमुखी
इन फसलों की अच्छी उपज से देश की तेल आवश्यकता पूरी होती है।
Q.110. शीत युद्ध क्या है ?
उत्तर – शीत युद्ध का मतलब है ऐसा युद्ध जिसमें हथियारों का इस्तेमाल नहीं होता। जब दो देशों के बीच वैचारिक मतभेद हो जाते हैं और वे आमने-सामने लड़ने के बजाय आपस में तनाव पैदा करते हैं, तो इसे शीत युद्ध कहा जाता है। भारत ने हमेशा शीत युद्ध की निंदा की है और अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और सहयोग का समर्थन किया है। धीरे-धीरे भारत की यह नीति साफ़ हुई और इससे उसे विश्व में अपनी एक महत्वपूर्ण पहचान बनाने का मौका मिला। आजकल शीत युद्ध का अनुभव भारत मुख्यतः भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के बीच कर रहा है। इस युद्ध में सीमा पर सैनिक एक-दूसरे पर गोली नहीं चलाते, बल्कि दो देशों के बीच तनाव और संघर्ष संवाद या संचार के जरिए होता है।
Q.111. एक-दलीय व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – जिस राजनीतिक व्यवस्था में सिर्फ एक ही राजनीतिक दल होता है, उसे एकदलीय व्यवस्था कहा जाता है। दुनिया में केवल भारत ही ऐसा देश नहीं है जो एक दल के शासन से गुजरा हो। कई देशों में एक दल का शासन और प्रभुत्व रहा है। लेकिन, भारत की एकदलीय कांग्रेस पार्टी के शासन और अन्य देशों में एकदलीय व्यवस्था के बीच बड़ा फर्क है। दुनिया के अन्य देशों में एक दल का शासन लोकतंत्र के सिद्धांतों पर आधारित नहीं होता, जबकि भारत में कांग्रेस का एकदलीय प्रभुत्व लोकतंत्र के मूल्यों पर टिका था।
Q.112. क्षेत्रीयता अथवा क्षेत्रवाद का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – क्षेत्रवाद उस सोच या भावना को कहते हैं जो किसी विशेष क्षेत्र के लोगों में होती है। यह सोच उन्हें अपने क्षेत्र की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक ताकतों को बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है। किसी क्षेत्र को उस जगह के रूप में समझा जाता है जहाँ रहने वाले लोगों के समान उद्देश्य और आकांक्षाएँ होती हैं। जब किसी अलग भू-भाग में रहने वाले लोग अपने आप को धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषा, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक या ऐतिहासिक रूप से दूसरे क्षेत्र से अलग महसूस करने लगते हैं, और उनमें अपनी एकजुटता और समानता का अनुभव होता है, तब उनमें अपने क्षेत्र के हितों के प्रति जागरूकता पैदा होती है, जिसे क्षेत्रीयता या क्षेत्रवाद कहा जाता है।
Q.113. पंचशील संधि के पांच सिद्धांत कौन-से हैं ?
उत्तर – पंचशील के पांच सिद्धांत
एक-दूसरे की सम्प्रभुता और प्रादेशिक अखंडता का सम्मान करना।
एक-दूसरे पर हमला या आक्रमण नहीं करना।
एक-दूसरे के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना।
समानता और दोनों के लिए लाभकारी संबंध बनाए रखना।
शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व (साथ मिल-जुलकर शांतिपूर्वक रहना)।
Q. 114. यूरोपीय संघ का निर्माण किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया ?
उत्तर – यूरोपीय संघ के प्रमुख उद्देश्य
आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
अपने क्षेत्र का सतत और संतुलित विकास सुनिश्चित करना।
क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना।
लोगों के जीवन स्तर को सुधारना।
सदस्य देशों के बीच गहरे आर्थिक संबंध स्थापित करना।
सभी सदस्य देशों के लिए यह अनिवार्य है कि वे इस संधि की परिषद के आदेशों का पालन करें।
Q.115. शीतयुद्ध के दौरान महाशक्तियों द्वारा बनाए गए किन्हीं दो सैन्य संगठनों के नाम लिखिए। सैन्य संधियाँ किस सिद्धांत पर आधारित थीं? ..
उत्तर – 1. नाटो (NATO)
स्थापना: 1949 में अमेरिका के नेतृत्व में साम्यवाद को रोकने के लिए नाटो का गठन किया गया।
उद्देश्य: सदस्य देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साम्यवाद का मुकाबला करना।
आज: अब नाटो के सदस्यों को ‘शांति के भागीदार’ कहा जाता है।
2. वारसा संधि (Warsaw Pact)
स्थापना: 1955 में सोवियत संघ के नेतृत्व में बनाई गई।
उद्देश्य: सदस्य देशों को अमेरिका के प्रभुत्व से बचाना।
सदस्य देश: पोलैंड, हंगरी, पूर्वी जर्मनी, बुल्गारिया आदि।
प्रकृति: यह एक सैन्य संधि थी, जो आत्मरक्षा के लिए बनाई गई थी।
विशेष: सदस्य देशों ने अपने आर्थिक, राजनीतिक और सामरिक हितों के आधार पर इन सैनिक गुटों में भाग लिया।
मूल सिद्धांत: ये संधियाँ सामूहिक सुरक्षा पर आधारित थीं।
Q.116. विश्व बैंक के प्रमुख कार्य क्या है ?
उत्तर – विश्व बैंक के प्रमुख कार्य
सदस्य देशों के क्षेत्रों के पुनर्निर्माण और विकास में मदद करना।
ऋण देना और उपनिवेशों में निवेश को प्रोत्साहित करना, साथ ही विदेशी निजी निवेशकों को समर्थन देना।
विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा देना ताकि उत्पादकता, जीवन स्तर और काम करने की स्थिति सुधर सके।
Q.117. नर्मदा बचाओ आंदोलन क्या था ?
उत्तर – नर्मदा बचाओ आंदोलन की जानकारी
राष्ट्रीय पुनर्वास नीति (2003) की स्वीकृति:
लोगों द्वारा 2003 में स्वीकृत राष्ट्रीय पुनर्वास नीति को नर्मदा बचाओ जैसे सामाजिक आंदोलनों की बड़ी सफलता माना जा सकता है। लेकिन जब नर्मदा बचाओ आंदोलन ने बांध के निर्माण को रोकने की मांग की, तो उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ा।आलोचनाएँ और न्यायालय का निर्णय:
आलोचक कहते हैं कि आंदोलन का सख्त रवैया विकास, पानी की उपलब्धता और आर्थिक प्रगति में बाधा डाल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को बांध का काम जारी रखने का आदेश दिया, लेकिन साथ ही प्रभावित लोगों के पुनर्वास को सही तरीके से करने का भी निर्देश दिया।आंदोलन की रणनीतियाँ और राजनीति में स्थान:
नर्मदा बचाओ आंदोलन लगभग 20 वर्षों तक चला। आंदोलन ने अपनी मांगें पूरी तरह से लोकतांत्रिक तरीके से रखीं, जैसे न्यायालय, अंतरराष्ट्रीय मंच, रैलियाँ और सत्याग्रह। परन्तु मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों और विपक्षी दलों में इस आंदोलन को ज्यादा समर्थन नहीं मिला।आंदोलन का व्यापक प्रभाव:
नर्मदा आंदोलन ने भारतीय राजनीति में सामाजिक आंदोलनों और राजनीतिक दलों के बीच बढ़ती दूरी को दर्शाया। 1990 के अंत तक नर्मदा बचाओ आंदोलन से कई अन्य स्थानीय समूह भी जुड़ गए, जो अपने-अपने क्षेत्रों में बड़े विकास कार्यों का विरोध कर रहे थे। यह आंदोलन देश के कई सामाजिक आंदोलनों के गठबंधन का हिस्सा बन गया।
Q. 118. ‘भारत में सिक्किम विलय’ विषय पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – सिक्किम का भारत में विलय: पृष्ठभूमि और घटनाक्रम
पृष्ठभूमि:
सिक्किम उस समय भारत का हिस्सा नहीं था, लेकिन पूरी तरह स्वतंत्र देश भी नहीं था। सिक्किम की रक्षा और विदेश नीति भारत सरकार संभालती थी, जबकि सिक्किम के राजा (चोग्याल) के हाथों में आंतरिक प्रशासन था। यह व्यवस्था ठीक से काम नहीं कर पाई क्योंकि राजा जनता की लोकतांत्रिक मांगों को पूरा नहीं कर सके।
(i) सिक्किम में लोकतंत्र और भारत से जुड़ने की कोशिश
सिक्किम में बड़ी संख्या में नेपाली लोग रहते थे। उन्हें लगा कि राजा चोग्याल एक छोटे लेपचा-भूटिया समूह का शासन उन पर थोप रहा है। इस वजह से चोग्याल के खिलाफ नेपाली और अन्य समुदायों के नेता भारत सरकार से मदद मांगने लगे और उन्हें भारत का समर्थन मिला।
1974 में सिक्किम में पहला लोकतांत्रिक चुनाव हुआ, जिसमें सिक्किम कांग्रेस पार्टी को भारी जीत मिली। यह पार्टी सिक्किम को भारत से जोड़ने की समर्थक थी।
(ii) सिक्किम का भारत का 22वाँ राज्य बनना
सिक्किम की विधान सभा ने पहले भारत के ‘सह-प्रांत’ बनने का प्रयास किया। फिर अप्रैल 1975 में उन्होंने भारत के साथ पूर्ण विलय का प्रस्ताव पास किया। इसके बाद सिक्किम में जनमत संग्रह हुआ, जिसमें जनता ने विलय का समर्थन किया।
भारत सरकार ने सिक्किम के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार किया और सिक्किम भारत का 22वाँ राज्य बन गया। राजा चोग्याल ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया और अपने समर्थकों के साथ भारत सरकार पर साजिश और बल प्रयोग का आरोप लगाया।
फिर भी, सिक्किम का भारत में विलय स्थानीय जनता के समर्थन से हुआ।
Q. 119. एकधुवीय व्यवस्था और द्विध्रुवीय व्यवस्था क्या है ?
उत्तर – एकध्रुवीय और द्विध्रुवीय व्यवस्था 1991 में जब सोवियत रूस टूट गया, तब से दुनिया की व्यवस्था एकध्रुवीय बन गई है। इसका मतलब है कि अब पूरी दुनिया में एक ही प्रमुख शक्ति यानी अमेरिका, जो पूंजीवादी देशों का नेतृत्व करता है, का प्रभुत्व है। यह व्यवस्था आज भी जारी है। वहीं, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया दो बड़े गुटों में बंटी हुई थी, जिसे द्विध्रुवीय व्यवस्था कहा जाता है। एक गुट था पूंजीवादी देशों का, जिसका नेतृत्व अमेरिका करता था, और दूसरा था साम्यवादी देशों का, जिसका नेतृत्व सोवियत रूस करता था। इस तरह, उस समय विश्व दो प्रमुख ध्रुवों यानी दो महाशक्तियों के बीच बंटा हुआ था।

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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