141. भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग का विवरण दीजिए।
उत्तर – भारत में राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास के लिए 1986 ई. में अन्तः स्थलीय जलमार्ग प्राधिकरण स्थापित किया गया था। इस प्राधिकरण ने तीन प्रमुख जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में घोषित किया, जो निम्नलिखित हैं:
राष्ट्रीय जलमार्ग 1:
इलाहाबाद से हल्दिया तक, इसकी लंबाई 1620 किमी है।
यह भारत का सर्वप्रमुख जलमार्ग है और हल्दिया से फरक्का और पटना होते हुए इलाहाबाद तक जाता है।
राष्ट्रीय जलमार्ग 2:
यह ब्रह्मपुत्र नदी पर विकसित जलमार्ग है, जिसकी लंबाई 891 किमी है।
यह जलमार्ग सदिया से धुबरी तक विस्तारित है और इसका उपयोग भारत और बांगलादेश साझेदारी में करते हैं।
राष्ट्रीय जलमार्ग 3:
यह जलमार्ग कोट्टापुरम से कोल्लम तक 168 किमी लंबा है।
यह पश्चिमी तट नहर, चंपाकारा नहर और उद्योगमंडल नहरों पर विकसित किया गया है।
142. भारत में एक्सप्रेस-वे क्या है?
उत्तर – भारत में एक्सप्रेस-वे उन सड़कों को कहा जाता है जो चार लेन वाली आधुनिक सड़कें होती हैं। इनकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
सड़क की लंबाई और मार्ग:
दिल्ली से जबलपुर और मुंबई से पुणे तक के मार्ग एक्सप्रेस-वे के अंतर्गत आते हैं।
टॉल-टैक्स:
इन सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों को अतिरिक्त टॉल-टैक्स देना पड़ता है।
वाहनों की गति:
इस मार्ग पर किसी अन्य सड़क से कोई गाड़ी नहीं आ सकती, जिससे वाहन की गति और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
143. परिवहन किन कार्य-कलापों को अभिव्यक्त करता है? परिवहन के तीन प्रमुख प्रकारों के नाम बताएँ।
उत्तर – परिवहन से तात्पर्य उन कार्य-कलापों से है, जिनके माध्यम से मनुष्यों और उनके लिए आवश्यक वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है। यह विभिन्न प्रकार से काम करता है, जैसे:
व्यक्तियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाना।
खाद, बीज इत्यादि को खेतों तक पहुँचाना।
कृषि और औद्योगिक उत्पादों को बाजार तक पहुँचाना।
कच्चे माल को कारखानों तक पहुँचाना।
अन्य आवश्यक वस्तुएँ बाजार तक पहुँचाना।
परिवहन के तीन प्रमुख साधन हैं:
स्थल मार्ग:
इसमें सड़क, रेलवे और पाइपलाइन शामिल हैं।
जलमार्ग:
जलमार्ग दो प्रकार के होते हैं:
अन्तः स्थलीय जलमार्ग (नदियाँ और झीलें)
महासागरीय और सागरीय जलमार्ग (समुद्र के मार्ग)
वायुमार्ग:
इसमें राष्ट्रीय वायु परिवहन और अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन शामिल हैं।
144. भारत के चार मध्यकालीन शहरों के नाम लिखें।
उत्तर – भारत के चार प्रमुख मध्यकालीन शहर हैं:
दिल्ली – भारत की राजधानी और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, जहां कई मुस्लिम साम्राज्यों का मुख्यालय था।
हैदराबाद – गोलकोंडा साम्राज्य और मुघल साम्राज्य के तहत एक प्रमुख सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र।
लखनऊ – अवध साम्राज्य का मुख्यालय और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण केंद्र।
आगरा – मुघल साम्राज्य के दौरान एक प्रमुख प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र, जहां ताजमहल जैसी प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर स्थित है।
145. मेट्रो रेलवे क्या है?
उत्तर – मेट्रो रेल शहरी परिवहन की एक स्थानीय यातायात सेवा है, जो तेजी से चलने वाली गाड़ियों द्वारा यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान तक समय पर पहुँचाती है। मेट्रो रेल की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
गति: मेट्रो गाड़ियाँ तेज गति से चलती हैं, जिससे यात्री जल्दी और सुरक्षित रूप से अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।
भूमिगत और भूमिगत ऊपर: मेट्रो रेल भूमिगत और भूमि के ऊपर दोनों प्रकार से चल सकती है, जहां ज़रूरत होती है वहां पुल के सहारे भी मार्ग बनाया जाता है।
प्रदूषण नियंत्रण: यह प्रदूषण को कम करती है, क्योंकि यह वाहन और सड़क यातायात पर निर्भर नहीं होती, जिससे प्रदूषण में कमी आती है।
भीड़ से बचाव: मेट्रो रेल भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों से बचकर चलती है, जिससे शहर में यातायात जाम की समस्या कम होती है।
भारत में मेट्रो रेल सेवा मुख्य रूप से निम्नलिखित शहरों में उपलब्ध है:
कोलकाता
दिल्ली
मुंबई
चेन्नई
146. भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पत्तनों के नाम बताइये।
उत्तर – वर्तमान समय में भारत में 12 प्रमुख और 185 छोटे या मंझोले पत्तन हैं। देश के कुल महासागरीय यातायात का 75% इन 12 प्रमुख पत्तनों द्वारा होता है, और शेष 25% छोटे और मंझोले पत्तनों द्वारा।
भारत के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर ये पत्तन स्थित हैं। पश्चिमी तट पर स्थित प्रमुख पत्तन निम्नलिखित हैं:
कांडला
मुंबई
न्हावा-शेवा (जवाहर लाल नेहरू)
न्यू मंगलोर
मर्मागाव
कोच्चि
147. भारतीय रेलवे की किन्हीं दो मुख्य समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर – भारतीय रेलवे कई समस्याओं से ग्रस्त है, जिनमें दो मुख्य समस्याएँ हैं:
रेलवे पटरी की चौड़ाई में विभिन्नता: विभिन्न प्रकार की पटरी चौड़ाई (जैसे, मीटर गेज, ब्रॉड गेज) होने के कारण रेलगाड़ियों के संचालन में समय की बर्बादी होती है और यह गति को प्रभावित करता है।
डीजल और विद्युत इंजनों का मिश्रित परिचालन: कुछ स्थानों पर डीजल इंजन और कुछ स्थानों पर विद्युत इंजन का प्रयोग होता है, जिससे इंजन बदलने में समय की बर्बादी होती है और गाड़ी की गति पर बुरा असर पड़ता है।
148. भारत में वायु परिवहन के क्षेत्र में “एअर इंडिया” तथा “इंडियन” के योगदान की विवेचना करें।
उत्तर – वायु परिवहन एक स्थान से दूसरे स्थान तक गमनागमन का तीव्रतम और सबसे महंगा साधन है। 1953 ई० में राष्ट्रीयकरण के बाद, भारत में वायु परिवहन का प्रबंधन मुख्य रूप से दो सरकारी निगमों एअर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, कई निजी कंपनियाँ भी वायु परिवहन सेवाएं प्रदान करती हैं। हालांकि, एअर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का वायु परिवहन के क्षेत्र में योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
एअर इंडिया:
यह यात्रियों और माल के परिवहन के लिए अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवाएं प्रदान करता है।
एअर इंडिया विश्व के सभी महाद्वीपों से भारत को जोड़ता है और भारतीय यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय यात्रा में एक प्रमुख कनेक्शन प्रदान करता है।
इंडियन एयरलाइंस:
इसे अब केवल इंडियन के नाम से जाना जाता है।
यह घरेलू वायु सेवाएं प्रदान करता है और देश के विभिन्न नगरों को आपस में जोड़ता है, जिससे यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जल्दी पहुँचने में सुविधा होती है।
149.उन महत्त्वपूर्ण मदों के नाम बताइये जिन्हें भारत विभिन्न देशों से आयात करता है।
उत्तर – भारत का आयात संरचना
भारत विश्व के अनेक देशों से लगभग 8000 विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का आयात करता है। इन आयातित वस्तुओं में पेट्रोलियम उत्पाद सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं, क्योंकि देश की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति मुख्यतः इनके माध्यम से होती है। इसके पश्चात पूँजीगत वस्तुएँ, मोती एवं रत्न, सोना और चाँदी, रासायनिक उत्पाद तथा खाद्य सामग्री जैसी वस्तुएँ आती हैं, जो देश के औद्योगिक एवं उपभोक्ता आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं। इनके अतिरिक्त, भारत द्वारा लोहा और इस्पात, चिकित्सीय एवं फार्मास्युटिकल उत्पाद, उर्वरक, अलौह धातुएँ, वस्त्र एवं धागे, पेपर बोर्ड एवं विनिर्मित्तियाँ, कोयला एवं कोक, अखबारी कागज तथा लुग्दी का भी महत्त्वपूर्ण रूप से आयात किया जाता है। ये वस्तुएँ न केवल भारत की औद्योगिक क्षमता को बढ़ावा देती हैं, बल्कि उपभोक्ता ज़रूरतों को भी पूरा करती हैं।
150. पारिस्थितिकीय असंतुलन को प्रभावित करने वाले दो कारकों का उल्लेख करें।
उत्तर – आपने पर्यावरण और पारिस्थितिकीय असंतुलन की स्थिति को बहुत अच्छी तरह से वर्णित किया है। नीचे उसी विचार को एक अधिक संगठित, स्पष्ट और प्रवाहपूर्ण अनुच्छेद के रूप में प्रस्तुत किया गया है, ताकि यह शैक्षणिक, लेखन या प्रस्तुति कार्यों में उपयोग किया जा सके:
पारिस्थितिकीय असंतुलन एवं पर्यावरण प्रदूषण
पृथ्वी एक विशाल पारिस्थितिक तंत्र है, जिसमें जैविक (जैसे—पौधे, पशु, मानव) तथा अजैविक (जैसे—जल, वायु, मृदा, ताप) घटक आपस में निरंतर अंतःक्रिया करते रहते हैं। इन घटकों के मध्य संतुलन बना रहने से पारिस्थितिक तंत्र संरचनात्मक और क्रियात्मक रूप से सुदृढ़ रहता है। किंतु आधुनिक मानवीय क्रियाकलापों, औद्योगिकीकरण और अपशिष्ट पदार्थों के अनियंत्रित निष्कर्षण ने इस संतुलन को भंग कर दिया है। द्रव्य एवं ऊर्जा के हानिकारक उत्सर्जन से जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं, जो पर्यावरण को गहराई से प्रभावित कर रही हैं।
पारिस्थितिक असंतुलन को बढ़ावा देने वाले दो प्रमुख कारण हैं—वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और जनसंख्या की तीव्र वृद्धि। वृक्षों की कटाई से न केवल वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा घट रही है, बल्कि वर्षा चक्र में भी असंतुलन आ रहा है, जिससे सूखा और बाढ़ जैसी आपदाएँ बढ़ रही हैं। साथ ही, वायु में धूलकण एवं अन्य प्रदूषकों की मात्रा भी बढ़ गई है। दूसरी ओर, जनसंख्या वृद्धि के कारण घरेलू अपशिष्टों में बढ़ोत्तरी हुई है। अधिक खाद्यान्न उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है, जिससे भूमि प्रदूषण फैल रहा है। इसके अलावा, आवास, सड़क और अन्य भौतिक संरचनाओं के विस्तार से वन-क्षेत्र घटते जा रहे हैं, जो जैव विविधता के लिए खतरा बन रहा है।
इस प्रकार, इन मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न पारिस्थितिकीय असंतुलन न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक गंभीर चुनौती बन चुका है।
151. भारत द्वारा चंद्रमा पर भेजा गया पहला मानवरहित अंतरिक्ष यान कौन था ?
उत्तर – चंद्रयान-1: भारत का पहला चंद्र मिशन
भारत द्वारा चंद्रमा पर भेजा गया पहला मानवरहित अंतरिक्ष यान चंद्रयान-1 था। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने विकसित किया था और यह मिशन 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह का विस्तृत मानचित्रण करना और वहां पर खनिजों तथा जल की उपस्थिति की खोज करना था। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया और वहाँ से अनेक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सूचनाएँ भेजीं। विशेष रूप से, इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि चंद्रमा की सतह पर जल अणुओं की खोज थी, जिसे वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक समुदाय द्वारा सराहा गया। यह उपलब्धि भारत को चंद्र-अन्वेषण करने वाले अग्रणी देशों की पंक्ति में ले आई।
152. पूर्व-पश्चिम एवं उत्तर-दक्षिण गलियारा के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर – सुपर राष्ट्रीय महामार्ग परियोजना (Super National Highways)
भारत में तीव्र और निर्बाध यातायात सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजमार्गों के चुनिंदा 14,846 किलोमीटर लंबे मार्गों को विकसित कर उन्हें सुपर राष्ट्रीय महामार्ग (Super National Highways) घोषित किया गया है। ये महामार्ग मुख्य रूप से 6 लेन वाले हैं और इनका निर्माण उच्च गुणवत्ता एवं सुरक्षा मानकों के अनुरूप किया गया है।
इस परियोजना के दो प्रमुख अंग हैं:
उत्तर-दक्षिण गलियारा (North-South Corridor)
कुल लंबाई: 4016 किमी
प्रारंभ बिंदु: श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर)
अंतिम बिंदु: कन्याकुमारी (तमिलनाडु)
यह गलियारा भारत के उत्तरी भाग को दक्षिणी सिरे से जोड़ता है, जिससे व्यापार, पर्यटन और संपर्क को प्रोत्साहन मिलता है।
पूर्व-पश्चिम गलियारा (East-West Corridor)
कुल लंबाई: 3640 किमी
प्रारंभ बिंदु: सिलचर (असम)
अंतिम बिंदु: पोरबंदर (गुजरात)
यह गलियारा देश के पूर्वी भाग को पश्चिमी तट से जोड़ता है, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ने में सहायता मिलती है।
इन गलियारों के निर्माण से भारत में सड़क परिवहन की दक्षता में भारी वृद्धि हुई है, जिससे न केवल यात्रा समय घटा है बल्कि व्यापार, सैन्य मूवमेंट, और क्षेत्रीय विकास को भी बल मिला है।
153. भारत की तीन मुख्य खनिज पेटियों के नाम लिखिए तथा संक्षेप में उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर – भारत में खनिज संसाधनों का वितरण
भारत खनिज संसाधनों की दृष्टि से समृद्ध देश है। देश के खनिज भंडार मुख्यतः तीन प्रमुख भौगोलिक पेटियों (zones) में केंद्रित हैं, यद्यपि कुछ खनिज भंडार यत्र-तत्र एकल क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं। ये तीन प्रमुख खनिज पेटियाँ निम्नलिखित हैं:
(i) उत्तर-पूर्वी पठारी प्रदेश
यह खनिज पेटी भारत के उत्तर-पूर्वी प्रायद्वीपीय पठार क्षेत्र में स्थित है और इसमें छोटानागपुर पठार, उड़ीसा का पठार, पश्चिम बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के कुछ भाग सम्मिलित हैं।
इस क्षेत्र में पेट्रोलियम को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख खनिज पाए जाते हैं।
प्रमुख खनिज: लौह अयस्क, कोयला, बॉक्साइट, ताँबा, अभ्रक, मैंगनीज, चूना पत्थर आदि।
यह क्षेत्र भारत का सबसे समृद्ध खनिज क्षेत्र माना जाता है।
(ii) दक्षिण-पश्चिम पठारी प्रदेश
यह क्षेत्र मुख्यतः कर्नाटक, गोवा, तमिलनाडु और केरल में फैला हुआ है।
यह पेटी लौह अयस्क और बॉक्साइट के विशाल भंडारों के लिए प्रसिद्ध है।
अन्य प्रमुख खनिज: मैंगनीज, चूना पत्थर, मोनाजाइट (रेडियोधर्मी तत्वों का स्रोत), थोरियम आदि।
केरल के तटीय क्षेत्र मोनाजाइट और थोरियम के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
(iii) उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र
यह खनिज पेटी मुख्यतः राजस्थान के अरावली पर्वतमाला क्षेत्र और गुजरात के कुछ भागों में फैली हुई है।
यह क्षेत्र गैर-धात्विक खनिजों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
प्रमुख खनिज: ताँबा, जिंक, जिप्सम, संगमरमर, बालू पत्थर, ग्रेनाइट, चूना पत्थर आदि।
राजस्थान में पाए जाने वाले संगमरमर और जिप्सम की गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है।
154. आय-लिंग पिरामिड का वर्णन करें।
उत्तर – जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना
जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना से अभिप्राय विभिन्न आयु वर्गों में स्त्री एवं पुरुषों की संख्या के वितरण से है। यह संरचना किसी देश या क्षेत्र की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को समझने में सहायक होती है। इस संरचना को दर्शाने के लिए जनसंख्या पिरामिड (Population Pyramid) या आयु-लिंग पिरामिड का प्रयोग किया जाता है।
जनसंख्या पिरामिड एक चित्रात्मक प्रस्तुति है, जिसमें क्षैतिज अक्ष पर लिंग (स्त्री और पुरुष) तथा ऊर्ध्वाधर अक्ष पर आयु वर्गों को दिखाया जाता है। पिरामिड की आकृति से यह पता चलता है कि किस आयु वर्ग में कितने पुरुष और महिलाएँ हैं।
यह पिरामिड तीन प्रमुख विशेषताओं को दर्शाता है:
उत्पादक जनसंख्या का अनुपात (15-59 वर्ष),
आश्रित जनसंख्या (0–14 वर्ष और 60 वर्ष से ऊपर), और
जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति (तेज, स्थिर या घटती हुई)।
इसकी आकृति के आधार पर तीन प्रकार के पिरामिड पहचाने जाते हैं:
विस्तृत आधार वाला पिरामिड – उच्च जन्म दर एवं युवाओं की संख्या अधिक (तेजी से बढ़ती जनसंख्या),
घंटीनुमा पिरामिड – जन्म दर एवं मृत्यु दर में संतुलन (स्थिर जनसंख्या),
संकुचित आधार वाला पिरामिड – वृद्ध जनसंख्या की अधिकता (घटती जनसंख्या वृद्धि)।
इस प्रकार, जनसंख्या पिरामिड किसी क्षेत्र की जनसांख्यिकीय विशेषताओं को समझने का एक प्रभावी माध्यम है।
155. भारत में अभ्रक के वितरण का विवरण दें।
उत्तर – भारत में अभ्रक उत्पादन एवं वितरण
भारत विश्व का सबसे बड़ा अभ्रक उत्पादक देश है, जो विश्व के कुल अभ्रक उत्पादन का लगभग 80% उत्पन्न करता है। भारत में उत्पादित अभ्रक की गुणवत्ता और शुद्धता विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है।
🔹 भारत में अभ्रक उत्पादन का राज्यवार योगदान:
झारखंड – 60%
राजस्थान – 25%
आंध्र प्रदेश – 12%
अन्य राज्य (मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा आदि) – 3%
🔍 भारत में अभ्रक का प्रमुख क्षेत्रवार वितरण:
1. झारखंड
भारत में सबसे अधिक अभ्रक यहीं से प्राप्त होता है।
मुख्य क्षेत्र: कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह
यहां लगभग 150 किमी लंबी और 22 किमी चौड़ी अभ्रक की पट्टी फैली हुई है।
यहाँ का अभ्रक उच्च गुणवत्ता वाला है, जो निर्यात के लिए भी उपयुक्त है।
2. राजस्थान
अभ्रक की पट्टी 320 किमी लंबी है, जो जयपुर से उदयपुर तक फैली हुई है।
यह क्षेत्र विशेष रूप से पश्चिमी भारत में अभ्रक उत्पादन के लिए जाना जाता है।
3. आंध्र प्रदेश
प्रमुख क्षेत्र: नेल्लोर जिला
यहाँ से उच्च गुणवत्ता का अभ्रक प्राप्त होता है, जिसे इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में उपयोग किया जाता है।
🗺️ अन्य अभ्रक उत्पादक क्षेत्र:
कर्नाटक – मैसूर और हासन जिले
तमिलनाडु – कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली, मदुरै, कन्याकुमारी
महाराष्ट्र – रत्नागिरी
पश्चिम बंगाल – पुरुलिया और बाँकुरा जिले
📌 विशेष तथ्य:
भारत में मस्कोवाइट और फोल्डस्पार प्रकार के अभ्रक पाए जाते हैं।
अभ्रक का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सौंदर्य प्रसाधनों, इन्सुलेशन और पेंट निर्माण में होता है।
156. दामोदर बेसिन में स्थित चार कोयला खानों के नाम लिखिए।
उत्तर – दामोदर बेसिन भारत का एक प्रमुख कोयला क्षेत्र है, जहाँ कई प्रसिद्ध कोयला खदानें स्थित हैं। इनमें से निम्नलिखित चार प्रमुख खानों के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं:
झरिया (Jharia)
रानीगंज (Raniganj)
बरकाकाना (Barkakana)
विद्यावती (Vidya Vati)
📌 संक्षिप्त विवरण:
झरिया – झारखंड राज्य में स्थित, भारत की सबसे पुरानी और समृद्ध कोकिंग कोल खदान; यहाँ भूमिगत आग (underground fire) भी प्रसिद्ध है।
रानीगंज – पश्चिम बंगाल में स्थित; भारत की सबसे पहली कोयला खदान यहीं पर स्थापित हुई थी।
बरकाकाना – झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित; यह भी एक प्रमुख कोयला उत्खनन क्षेत्र है।
विद्यावती – यह भी झारखंड राज्य में स्थित है और दामोदर घाटी क्षेत्र की एक महत्त्वपूर्ण खदान है।
157. भारत के पूर्वी तट पर स्थित चार प्रमुख समुद्री पत्तनों के नाम लिखिए।
उत्तर – भारत के चार प्रमुख सूखा संभावी राज्य
आंध्र प्रदेश
कर्नाटक
मध्य प्रदेश
गुजरात
इन राज्यों के कुछ विशेष क्षेत्र जैसे –
रायलसीमा (आंध्र प्रदेश)
उत्तर कर्नाटक
बुंदेलखंड (म.प्र.)
कच्छ और सौराष्ट्र (गुजरात) — अत्यधिक सूखा प्रभावित होते हैं।
✅ इन राज्यों में अक्सर वर्षा की कमी, जलस्रोतों का अभाव और कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव देखा जाता है।
159. योजना आयोग का गठन कब हुआ था? इसके दो कार्यों को लिखें।
उत्तर – योजना आयोग (Planning Commission)
गठन:
योजना आयोग की स्थापना 1950 ई. में भारत सरकार द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योजनाएँ बनाना और उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना था।
योजना आयोग के प्रमुख कार्य:
विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के लिए विकास योजनाएँ बनाना:
कृषि, सिंचाई, विनिर्माण, ऊर्जा, परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचना और सेवाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए व्यापक और समन्वित विकास कार्यक्रम तैयार करना तथा उन्हें लागू करना।
प्रादेशिक असंतुलन को कम करना:
देश के विभिन्न क्षेत्रों के बीच आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए संतुलित क्षेत्रीय विकास की योजनाएँ बनाना और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
🔄 नोट: 2015 में योजना आयोग को समाप्त कर इसकी जगह “नीति आयोग” (NITI Aayog) का गठन किया गया, जो अब देश की नई नीतिगत सोच और सहकारी संघवाद के सिद्धांतों पर आधारित है।
160. सार्क का पूरा नाम क्या है? इसका मुख्यालय कहाँ है ?
उत्तर – सार्क (SAARC) – एक परिचय
पूरा नाम:
South Asian Association for Regional Cooperation
(हिंदी में – दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन)
स्थापना तिथि:
8 दिसंबर, 1985
स्थापना स्थल:
ढाका, बांग्लादेश
मुख्यालय:
ढाका, बांग्लादेश
सदस्य देश (कुल 8):
भारत
पाकिस्तान
नेपाल
भूटान
बांग्लादेश
श्रीलंका
अफगानिस्तान (2007 में सदस्य बना)
मालदीव
उद्देश्य:
दक्षिण एशियाई देशों के बीच आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना।
सदस्य देशों के बीच शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए मिलकर कार्य करना।
161. स्वेज नहर किन दो निकटवर्ती पत्तनों को जोड़ती है ?
उत्तर – स्वेज नहर (Suez Canal)
स्थान:
स्वेज नहर मिस्र (Egypt) देश में स्थित है।
प्रमुख जुड़ाव:
यह नहर उत्तर में पोर्ट सईद (Port Said) और
दक्षिण में पोर्ट स्वेज (Port Suez) को आपस में जोड़ती है।
समुद्रों को जोड़ने का कार्य:
स्वेज नहर के माध्यम से
उत्तर में भूमध्य सागर (Mediterranean Sea) और
दक्षिण में लाल सागर (Red Sea) आपस में सीधे जुड़ जाते हैं।
🌍 महत्त्व:
यह विश्व की सबसे व्यस्ततम और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जल मार्गों में से एक है।
स्वेज नहर के कारण यूरोप से एशिया की समुद्री दूरी करीब 7,000 किलोमीटर तक कम हो जाती है, क्योंकि अब अफ्रीका का चक्कर नहीं लगाना पड़ता।
162. भारत में घटते शिशु लिंगानुपात के दो कारण बताइए।
उत्तर – भारत में घटते लिंगानुपात के दो प्रमुख कारण
(क) सामाजिक दृष्टिकोण
भारत में पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान समाज है, जहाँ पुत्र को वंशवृद्धि, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक सहारा मानकर प्राथमिकता दी जाती है।
स्त्रियों को गौण स्थान मिलने के कारण बालिकाओं की उचित देखभाल नहीं होती, जिससे शैशवावस्था में मृत्यु दर अधिक होती है।
बाल विवाह, कमजोर स्वास्थ्य सेवाएँ, और गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल का अभाव भी महिला मृत्यु दर बढ़ाते हैं।
अतीत में स्त्री भ्रूण हत्या, स्त्री शिशु हत्या, और महामारियों में स्त्रियों की अधिक मृत्यु भी लिंगानुपात में कमी के कारण रहे हैं।
(ख) लिंग-निर्धारण की वैज्ञानिक विधियाँ
अल्ट्रासाउंड जैसे उपकरणों के माध्यम से भ्रूण का लिंग पहले ही पता लगाया जाने लगा है।
यदि भ्रूण कन्या का हो, तो भ्रूण हत्या (Female Foeticide) कर दी जाती है।
इसका मुख्य कारण समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, कन्या को बोझ समझना, तथा कन्या जन्म के प्रति नकारात्मक सोच है।
✅ निष्कर्ष:
भारत में घटते लिंगानुपात का मुख्य कारण सामाजिक मानसिकता और वैज्ञानिक तकनीकों का ग़लत उपयोग है। इसे रोकने के लिए जनजागरण, कानूनी सख़्ती, और स्त्री शिक्षा व सशक्तिकरण आवश्यक है।
163. वायु प्रदूषण के प्रमुख स्त्रोतों का उल्लेख करें।
उत्तर – वायु प्रदूषण (Air Pollution)
परिभाषा:
जब धूल, धुआँ, विषैली गैसें आदि वायुमंडल में इस मात्रा में मिल जाती हैं कि वे मनुष्यों, पशुओं और पौधों के लिए हानिकारक हो जाएँ, तो इस स्थिति को वायु प्रदूषण कहा जाता है।
वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत:
(i) प्राकृतिक स्रोत:
ज्वालामुखी विस्फोट,
धूल भरे तूफान,
जंगलों की आग,
पराग कण, आदि।
(ii) मानव-जनित स्रोत:
उद्योग (Industries):
उद्योगों से जहरीली गैसें (जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड), राख और धूल निकलती है, जो वायु को गंभीर रूप से प्रदूषित करती हैं।
मोटर वाहन (Motor Vehicles):
वाहनों से कार्बन मोनोक्साइड (CO), सीसा (Lead) और हाइड्रोकार्बन जैसे प्रदूषक निकलते हैं।
महानगरों में कुल वायु प्रदूषण का 50–60% हिस्सा मोटर वाहनों से होता है।
ताप विद्युत केंद्र (Thermal Power Plants):
ये केंद्र गंधक (Sulfur), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का उत्सर्जन करते हैं।
शहरी कचरा (Urban Waste):
नगरों से प्रतिदिन भारी मात्रा में निकलने वाला कचरा जलाए जाने पर घना धुआँ उत्पन्न करता है, जो वायु को विषैला बनाता है।
खदानें और निर्माण कार्य (Mining and Construction):
खनन, पत्थर तोड़ने और निर्माण कार्यों से उठने वाली धूल वायुमंडल को प्रदूषित करती है और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है।
✅ निष्कर्ष:
वायु प्रदूषण आज एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है, जो न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरा बन चुका है। इसे नियंत्रित करने के लिए सख़्त नियम, जनजागरण, और स्वच्छ तकनीकों का उपयोग आवश्यक है।

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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