मानव भूगोल को अपने शब्दों में परिभाषित करें।उतर – मानव भूगोल वह अध्ययन है जो प्राकृतिक (भौतिक) और मानवीय संसार के बीच संबंधों, मानवीय घटनाओं के स्थानिक वितरण और उनके कारणों को समझने का प्रयास करता है। यह विश्व के विभिन्न हिस्सों में सामाजिक और आर्थिक विविधताओं का विश्लेषण करता है। इसमें मानव और प्रकृति के बीच लगातार बदलते संबंधों से उत्पन्न सांस्कृतिक विशेषताओं की स्थिति और फैलाव का भी अध्ययन किया जाता है।
मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंधित हैं ?
उत्तर –मानव भूगोल में मानव की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और जनांकिकीय विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। इन विशेषताओं का विश्लेषण क्रमशः समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और जनसंख्या विज्ञान जैसे विषयों में किया जाता है। इसलिए मानव भूगोल इन विषयों से निकटता से जुड़ा हुआ है।
मानव विकास के दो मूलभूत क्षेत्र कौन से हैं ?
उत्तर – मानव विकास के तीन मुख्य क्षेत्र होते हैं—स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच। जब इन क्षेत्रों में लोगों की क्षमताएँ बढ़ती हैं, तो उनके पास विकल्पों की संख्या भी बढ़ती है, जिससे मानव विकास संभव होता है। स्वास्थ्य को आमतौर पर जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के आधार पर मापा जाता है। अधिक जीवन प्रत्याशा का अर्थ है कि व्यक्ति लंबे और स्वस्थ जीवन जीने की संभावना रखते हैं। शिक्षा क्षेत्र में प्रौढ़ साक्षरता दर और सकल नामांकन अनुपात यह दर्शाते हैं कि लोग ज्ञान और शिक्षा तक कितनी पहुँच रखते हैं। वहीं, संसाधनों तक पहुँच व्यक्ति की क्रयशक्ति पर निर्भर करती है, जो यह तय करती है कि वे अपनी जरूरतों और इच्छाओं को किस हद तक पूरा कर सकते हैं।
चार तृतीयक आर्थिक क्रियाकलापों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – तृतीयक कार्यकलाप वे गतिविधियाँ होती हैं जो कोई वस्तु उत्पन्न नहीं करतीं, बल्कि सेवाएँ प्रदान करती हैं। इनमें मिस्त्री, प्लंबर, रसोइया, वकील, शिक्षक जैसे पेशे शामिल होते हैं। इसके अलावा व्यापार, परिवहन, संचार, प्रशासन और मनोरंजन से जुड़ी सेवाएँ भी तृतीयक कार्यकलापों का हिस्सा हैं। वास्तव में, ये सभी कार्यकलाप सेवा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।मानव विकास सूचकांक के आधार पर देशों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है ?
उत्तर – मानव विकास सूचकांक (HDI) स्वास्थ्य, शिक्षा और संसाधनों तक पहुँच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उपलब्धि के आधार पर देशों का क्रम तैयार करता है। यह क्रम 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है। मानव विकास प्रतिवेदन, 2005 ने अर्जित मानव विकास स्कोर के आधार पर देशों को निम्न तीन समूहों में वर्गीकृत किया है –
मानव विकास का स्तर सूचकांक का स्कोर देशों की संख्या उच्च 0.8 से ऊपर 57 मध्यम 0.5 से 0.799 तक 88 निम्न 0.5 से नीचे 32 6. मानव विकास के चार स्तंभ कौन से हैं ?
उत्तर – मानव विकास के चार प्रमुख स्तंभ या घटक होते हैं:
समता (Equity): इसका अर्थ है कि सभी लोगों को जाति, लिंग, आय या अन्य किसी भी भेदभाव के बिना समान अवसर मिलें।
सतत पोषणीयता (Sustainability): इसका मतलब है कि संसाधनों और अवसरों की उपलब्धता में निरंतरता बनी रहे, ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी बराबर अवसर मिल सकें।
उत्पादकता (Productivity): इसका आशय है कि लोगों की क्षमताओं का विकास किया जाए ताकि वे अधिक उत्पादक बन सकें और आर्थिक योगदान दे सकें।
सशक्तिकरण (Empowerment): इसका तात्पर्य है कि लोगों को अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं लेने की शक्ति और स्वतंत्रता प्राप्त हो।
7. मानव विकास के संबंध में कल्याण उपागम क्या है ?
उत्तर – मानव विकास के कल्याण उपागम के अनुसार, मानव को सभी विकासात्मक गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। यह उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और अन्य सुख-सुविधाओं पर अधिक सरकारी खर्च की वकालत करता है, ताकि समाज का समग्र कल्याण सुनिश्चित किया जा सके।
8. निश्चयवाद क्या है ?
उत्तर – निश्चयवाद, जिसे पर्यावरणीय निश्चयवाद या नियतिवाद भी कहा जाता है, एक पुरानी विचारधारा है। इसके अनुसार, मानव का विकास प्रारंभिक अवस्था में प्राकृतिक वातावरण से बहुत प्रभावित था और उसने प्रकृति के आदेशों के अनुसार अपने आप को ढाल लिया था। यह इस कारण हुआ कि उस समय मानव समाज आदिम अवस्था में था और प्रौद्योगिकी का स्तर बहुत निम्न था। उस समय मानव प्रकृति के प्रभाव में था, उसकी ताकत से डरता था और उसे पूजता था। इस विचारधारा में मनुष्य का स्थान गौण था।
9. संभववाद क्या है ?
उत्तर – संभववाद – इस विचारधारा के अनुसार, मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में सक्षम है और वह प्रकृति द्वारा दी गई विभिन्न संभावनाओं का अपने इच्छानुसार उपयोग कर सकता है। मानव और पर्यावरण के बीच के संबंधों में यह विचारधारा मानव केंद्रित होती है।
10. जन्म दर एवं मृत्यु दर के बीच अंतर करें।
उत्तर – किसी देश में एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्ति पर जन्म लेने वाले जीवित बच्चों की संख्या को जन्म दर कहते हैं, जबकि मरने वाले लोगों की संख्या को मृत्यु दर कहा जाता है। यदि जन्म दर मृत्यु दर से अधिक होती है, तो जनसंख्या में वृद्धि होती है, और यदि जन्म दर मृत्यु दर से कम होती है, तो जनसंख्या में ह्रास होता है। जन्म दर में केवल जन्म लेने वाले बच्चे को शामिल किया जाता है, जबकि मृत्यु दर में सभी आयु वर्ग के लोगों की मृत्यु को शामिल किया जाता है।
11. जनसंख्या के ग्रामीण नगरीय संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर – जनसंख्या को ग्रामीण और नगरीय वर्गों में विभाजित किया जाता है, जो मुख्य रूप से लोगों के निवास स्थान पर निर्भर करता है। ग्रामीण जनसंख्या वह होती है जो गाँवों में रहती है, और उनका मुख्य व्यवसाय कृषि या प्राथमिक कार्य होते हैं। इसके विपरीत, नगरीय जनसंख्या नगरों में रहती है और वे गैर-प्राथमिक व्यवसायों में लगे होते हैं।
12. नगरीय जनसंख्या क्या होती है ?
उत्तर – नगरीय जनसंख्या वह जनसंख्या है जो नगरों में रहती है और जो मुख्य रूप से गैर-प्राथमिक व्यवसायों में संलग्न रहती है। नगरीय जनसंख्या की प्रमुख विशेषताएँ उच्च वृद्धि दर, उच्च जनसंख्या घनत्व, उच्च शिक्षा स्तर और निम्न लिंग अनुपात होती हैं।
13. जनसंख्या संघटन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर – जनसंख्या संघटन या जनांकिकी संरचना उन विशेषताओं को कहा जाता है, जिनकी माप की जा सकती है और जिनकी मदद से विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों के समूहों में अंतर को स्पष्ट किया जा सकता है। आयु, लिंग, साक्षरता, शिक्षा, व्यवसाय, जीवन- प्रत्याशा, निवास- स्थान (ग्रामीण, नगरीय) आदि ऐसे महत्वपूर्ण घटक हैं, जो जनसंख्या के संघटन को दर्शाते हैं।
14. आयु-संरचना का क्या महत्त्व है?
उत्तर – विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या को आयु संरचना कहा जाता है। यह किसी देश की कार्यशील (15-59 वर्ष) और आश्रित (0-14 वर्ष और 60 वर्ष से ऊपर) जनसंख्या के अनुपात को दर्शाती है, जो विकास योजनाओं को बनाने में मदद करती है। विभिन्न आयु वर्गों का आकार समय के साथ और एक जनसंख्या से दूसरी जनसंख्या में बदलता रहता है। यदि किसी जनसंख्या में बच्चों और बालकों (0-14 वर्ष) की संख्या अधिक है, तो पराश्रितता अनुपात भी अधिक होगा। 15 से 59 वर्ष के आयु वर्ग में बड़ी जनसंख्या एक बड़ी कार्यशील जनसंख्या को दर्शाती है। 60 वर्ष से अधिक आयु वाली जनसंख्या का बड़ा अनुपात वृद्ध जनसंख्या को दिखाता है, जिसे स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक खर्च की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार, यदि युवा जनसंख्या का अनुपात उच्च है, तो इसका मतलब है कि उस क्षेत्र में जन्म दर अधिक है और जनसंख्या युवा है।
15. जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले जलवायु कारकों को लिखें।
उत्तर -जनसंख्या के वितरण को भौतिक, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक कारक प्रभावित करते हैं। भौतिक कारकों में जलवायु एक महत्वपूर्ण तत्व है। उन क्षेत्रों में जहां जलवायु अनुकूल होती है और मौसम में कम परिवर्तन होते हैं, वहां अधिक जनसंख्या पाई जाती है। शीतोष्ण, मानसूनी और भूमध्यसागरीय क्षेत्र, जो मानव विकास के लिए अनुकूल जलवायु प्रदान करते हैं, अधिक आबादी वाले होते हैं। इसके विपरीत, अत्यधिक ठंडी, गर्म, अत्यधिक वर्षा वाले और विषम जलवायु वाले क्षेत्रों में जनसंख्या कम होती है। उदाहरण के लिए, अमेज़न बेसिन, कांगो बेसिन और अन्य विषुवत रेखीय क्षेत्र गर्म और अधिक वर्षा वाले होते हैं, जिससे यहां बीमारियों का खतरा बढ़ता है। सहारा, कालाहारी, अरब और अन्य मरुस्थलों में अत्यधिक गर्मी होती है, जिससे जीवन कठिन हो जाता है। ध्रुवीय ठंडे क्षेत्रों में अत्यधिक ठंडक होती है, जिससे वहां जीवन जीना मुश्किल होता है। इस कारण इन क्षेत्रों में जनसंख्या बहुत कम होती है।
16. स्वच्छंद उद्योग क्या है?
उत्तर – स्वच्छंद उद्योग वह हल्का उद्योग होता है जो अपनी अवस्थिति का चुनाव करने में स्वतंत्र होता है और परंपरागत कारकों पर निर्भर नहीं होता। ये उद्योग विभिन्न स्थानों पर स्थित हो सकते हैं और किसी विशेष कच्चे माल पर निर्भर नहीं होते, बल्कि ऐसे संघटक पुरजों पर आधारित होते हैं जो कहीं से भी प्राप्त किए जा सकते हैं। इन उद्योगों में उत्पादन की मात्रा कम होती है और श्रमिकों की संख्या भी कम होती है। ये उद्योग सामान्यतः प्रदूषण नहीं फैलाते, इसलिए इन्हें आवासीय क्षेत्रों के पास भी स्थापित किया जा सकता है। ऊर्जा की आवश्यकता आमतौर पर बिजली के रूप में राष्ट्रीय ग्रिड से पूरी होती है। अंतिम उत्पाद छोटा और परिवहन में आसान होता है। इस प्रकार के उद्योगों को सड़क मार्गों के पास स्थापित किया जाना चाहिए।
17. उपभोक्ता वस्तु उद्योग को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए।
उत्तर -उपभोक्ता वस्तु उद्योग वे उद्योग होते हैं जो ऐसे सामान का उत्पादन करते हैं, जिन्हें सीधे उपभोक्ता द्वारा उपयोग किया जाता है। उदाहरण के तौर पर रोटी (ब्रेड), बिस्कुट, चाय, कागज, टेलीविजन और श्रृंगार सामग्री जैसे उत्पाद इस श्रेणी में आते हैं। इन्हें गैर- आधारभूत उद्योग भी कहा जाता है।
18. उपभोक्ता वस्तु उद्योग तथा उत्पादक के वस्तु (आधारभूत) उद्योग में अंतर बताइये।
उत्तर -उपभोक्ता वस्तु उद्योग वे उद्योग होते हैं जो ऐसे सामानों का उत्पादन करते हैं, जिन्हें सीधे उपभोक्ता द्वारा उपयोग किया जाता है, जैसे- ब्रेड, बिस्कुट, साबुन, चाय आदि। इसके विपरीत, उत्पादक वस्तु उद्योग वे उद्योग होते हैं जो ऐसे सामानों का उत्पादन करते हैं, जो अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे- लोहा-इस्पात उद्योग, भारी मशीनरी उद्योग आदि।
19. अंतरिक्ष प्रयोगशाला के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर – अंतरिक्ष प्रयोगशाला का संबंध कृत्रिम उपग्रह से है, और उपग्रहों से होने वाला संचार उपग्रह संचार कहलाता है। संसार में अंतरिक्ष प्रयोगशाला की शुरुआत तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा 4 अक्टूबर, 1957 को कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक के प्रक्षेपण से हुई। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह स्थापित किए। भारत ने भी अंतरिक्ष में संचार और संसाधनों के सर्वेक्षण के लिए कई उपग्रह स्थापित किए हैं, जैसे- आर्यभट्ट, भास्कर-1, रोहिणी, एप्पल, इंसेट-1 ए, बी और सी आदि। इन उपग्रहों की स्थापना से संसार के विभिन्न कोनों से संचार स्थापित करना संभव हुआ। आज इन उपग्रहों के सहारे गाँव-गाँव में टेलीफोन सेवाएं और मोबाइल सेवा उपलब्ध हैं। इसके अलावा, ये उपग्रह लंबी दूरी के संचार के साथ-साथ दूरदर्शन और रेडियो प्रसारण को भी अधिक प्रभावी बनाते है। अंतरिक्ष प्रयोगशाला, अर्थात कृत्रिम उपग्रह, रॉकेट और अंतरिक्ष यान में विभिन्न प्रकार के कैमरे और संवेदक लगे होते हैं, जिनकी मदद से मौसम की भविष्यवाणी की जाती है और विभिन्न क्षेत्रों के प्राकृतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संसाधनों की जानकारी प्राप्त की जाती है।
20. पृष्ठप्रदेश क्या है?
उत्तर – पृष्ठ प्रदेश उस क्षेत्र को कहा जाता है जो पत्तन का प्रभाव क्षेत्र होता है। समुद्री मार्ग से आयातित माल पत्तन से स्थल के अंदर के भागों में जिस क्षेत्र तक पहुँचता है, और जिस क्षेत्र का उत्पाद पत्तन द्वारा बाहर भेजा जाता है, वह पत्तन का पृष्ठ प्रदेश कहलाता है। पृष्ठ प्रदेश के नगरों, उपनगरों या अन्य क्षेत्रों से पत्तन तक सामान, यात्रियों और सेवाओं का प्रवाह होता है। इसके लिए पत्तन अपने पृष्ठ प्रदेश से अच्छी तरह से जुड़ी हुई और विकसित रेल और सड़क मार्गों से जुड़े रहते हैं। किसी पत्तन के विकास के लिए यह आवश्यक है कि उसका पृष्ठ प्रदेश विकसित, संसाधन संपन्न और विस्तृत बाजार वाला हो। पृष्ठ प्रदेश के विकास में पत्तन का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। पृष्ठ प्रदेश की सीमाओं का निर्धारण करना मुश्किल होता है, क्योंकि अक्सर एक पत्तन का पृष्ठ प्रदेश दूसरे पत्तन के पृष्ठ प्रदेश से ओवरलैप कर सकता है।

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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