Chapter 7: निर्माण उद्योग

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a) निर्माण – कच्चे पदार्थ की मूल्यवान प्थार्थ में उत्पादित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन की प्रक्रिया को विनिर्माण या वस्तु निर्माण कहते है |

b) उद्योग – किसी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में वस्तु का निर्माण या उत्पादन वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कार्य को उद्योग कहते है | 

           इस प्रकार कच्चे माल के द्वारा उपयोगी वस्तुओं का बड़े स्तर पर उत्पादन विनिर्माण उद्योग कहलाता है |

जेसे – कपास से कपड़ा, गन्ने से चीनी, लौहे-अयस्क से लौह आदि |

प्रश्न 1. विनिर्माण उद्योग के कोई चार महत्त्व या विशेषताओं को लिखे ?

उत्तर – कच्चे माल द्वारा उपयोगी वस्तुओं का बड़े स्तर पर उत्पादन करना विनिर्माण उद्योग कहलाता है |

                                          -: विशेषता :-

a) इसे किसी भी देश के आर्थिक विकास का आधार माना जाता है |

b) वर्तमान समय में द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रो में रोजगार में वृद्धि किया है | 

c)) ओद्योगिक विकास से बेरोजगारी व गरीबी उन्मूलन का आधार है |

d) भारतीय उद्योग से निर्मित वस्तुओं का गुणवता अन्तरास्ट्रीय स्तर पर उच्च है |

प्रश्न 2. भारत में सूती-वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण एवं वितरण को लिखे ?

उत्तर – सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे प्राचीन उद्योग के साथ-साथ सबसे संगठित एवं व्यापक उद्योग है | जो देश में रोजगार उपलब्ध करने में कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है |

              इसलिए ओद्योगिक उत्पादन में 14% हिस्सा है | जिसके अंतर्गत सूत की कढाई, बुनाई आदि का कार्य किया जाता है | भारत में प्रथम आधुनिक सूती कपड़ा मिल 1818 कलकता असफल रहा एवं प्रथम सफल कारखाना 1854 में मुम्बई में स्थापित किया गया |

                 -: सुतीवस्त्र की स्थानीकरण को प्रभावित करने वाले कारक :-

a) कच्चा माल (रुई,सूती)

b) जलवायु (आद्र)

c) पर्याप्त जलापूर्ति, पूंजी, बन्दरगाह – मुम्बई, कलकता 

d) सस्ते एवं कुशल श्रमिक 

e) परिवहन संसाधन – रलवे 

                                 -: भारत में सूती वस्त्र उद्योग का वितरण :- 

वर्तमान समय में देश की अधिकांश सूती वस्त्र मिले महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश तथा तमिलनाडु में केन्द्रित है | जो विश्व का लगभग 28% सूती वस्त्र उत्पादन करता है | 

1. महाराष्ट्र -:  यंहा पर लगभग 122 कारखाने है | जो देश 12% कारखाने सूती धागा एवं 45% सूती वस्त्र तेयार करता है | 

प्रमुख कारखाने – मुम्बई, शोलापुर, पुणे, सतारा आदि | 

2. गुजरात -: यह देश का लगभग 7.5% सूती धागा एवं 26% सूती वस्त्र तेयार करता है |

प्रमुख कारखाना – अहमदाबाद, बड़ोदरा, सुरत आदि |

3. तमिलनाडु – यहा का प्रमुख कारखाना | 

जेसे – कोयंबटूर, चेन्नई, सेसस आदि |

4. उत्तरप्रदेश -: यहा के प्रमुख कारखाने | 

जेसे – मुरादाबाद, सहरनपुर, हानरस आदि |

                इसके अलावे भी भारत में अन्य सूती वस्त्र उद्योग पश्चिम बंगाल, पंजाब, कर्नाटक आदि | राज्य में स्थित है |

प्रश्न 3. भारत में लौहे इस्पात उद्योग की स्थानीकरण एवं वितरण का उल्लेख करे ?

उत्तर – लौह इस्पात उद्योग धात्विक खनिज पर आधारित एक प्रमुख उद्योग है | क्योंकि इसके अंतर्गत सुई से लेकर बड़े-बड़े जहाजो का निर्माण भी इसी के सहायता से होती है | 

               इसलिए इसे “उद्योग की जननी” भी कहा जाता है |

              -: लौह इस्पात उद्योग का स्थानीकरण को प्रभावित करने वाले कारक :- 

1. कच्चा माल ( लौह अयस्क, चुनापत्थर, कोयला, मेगनीज )

2. बाजार |

3. शक्ति संसधन 

4. प्रोधोयोगिकी |

5. परिवहन संसाधन 

6. पूंजी 

 भारत में लौह इस्पात उद्योग का वितरण देश का पहला लौह इस्पात कारखाना 1874 ई. में कुल्टी नामक स्थान पर स्थापित किया गया | प्राय: देश में सार्वजानिक क्षेत्र में लगभग सभी उपक्रम – अपने इस्पात को रूहिल आर्थारिटी ऑफ़ इंडिया लिमेटेड के अंतर्गत कार्य करते है |

प्रश्न 4. महाराष्ट्र या गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग विकसित दशाओं में होने के क्या कारण है ?

उत्तर – सूती वस्त्र उद्योग वर्तमान समय में भारत का सबसे विशाल उद्योग सूती वस्त्र उद्योग के अंतर्गत सूत की कटाई बुनाई आदि का कार्य किया जाता है |

               भारत में सबसे पहले सकल आधुनिक सूती कपड़ा कारखाना 1854 में मुम्बई में कासजी डाटर के द्वारा बनाया गया था |

                     -: महाराष्ट्र में सूती वस्त्र उद्योग के विकसित होने के कारण :- 

1. कपास कच्चा माल की आपूर्ति -: प्राय: महाराष्ट्र भारत का मुख्य कपास उत्पादक राज्य है | जिससे सूती वस्त्र उद्योग की आपूर्ति आसानी से होती है |

2. आद्र समुद्री जलवायु -: समुद्र के किनारे होने से सूत की कटाई एवं बुनाई में अच्छी आद्र जलवायु मिल जाता है |

3. मुम्बई बंदरगाह की स्थिती अनुकूल होना -: सूती वस्त्र से संबंधित आधुनिक मशीनों को आयात एवं उत्पादित वस्तुओं को निर्यात करने की सुविधा उपलब्ध है | 

4. पूंजी की उपलब्धता -: मुम्बई पहले से हि वितीय केंद्र रहा है | जिससे पूंजी आसानी से उपलब्ध होता है |

                            इसके अलावे मुम्बई में उत्तम बाजार, जल, सस्ते श्रमिक, परिवहन संसाधन, सरकारी नीतिया, अनुकूल आद्रता में मौजूद है | इसलिए इसे सूती वस्त्र की महानगरी मुम्बई कहा जाता है |

                                  इस प्रकार महाराष्ट्र में सूती वस्त्र के 122 कारखाने स्थित है | जो देश के 46% सुतिवस्त्र एवं 12% सूती कपड़ा उत्पादन करता है | महाराष्ट्र का मुख्य सूती वस्त्र कारखाना जेसे – मुम्बई, पुणे, नागपुर, ओरंगाबाद, जलगाँव, आदि पर्मुख है | 

प्रश्न 5. किसी भी देश की ओद्योगिकविकास में लौह – इस्पात उद्योग का क्या महत्त्व है ? 

या 

लौह इस्पात उद्योग किसी देश  की ओद्योगिक विकास का आधार है | कैसे ?

उत्तर – लौह इस्पात उद्योग किसी देश में आधुनिक ओद्योगिक विकास के लिए मशीने, ओजार आदि लौह इस्पात उद्योग से हि प्राप्त होता है | इसलिए आधारभूत उद्योग भरी उद्योग के साथ-साथ ओद्योगिकरण की कुंजी कहा जाता है | 

                   -: देश में ओद्योगिक विकास में लौहा इस्पात उद्योग का महत्व :-

1. परिवहन साधनों के विकास में सहायता -: प्राय: कोयला लौह अयस्क आदि क्षेत्रो में परिवहन विकास में इसकी भूमिका सबसे अत्याधिक है |

2. आर्थिक विकास एवं रोजगार सर्जन में सहायता -:  भारत के आर्थिक विकास में लौह इस्पात उद्योग का काफ़ी अधिक महत्व रहा है | 

3. विभिन्न उद्योगों के आधार प्रदान करना -: भारत विकासशील देश है जिस में निर्माण, बुनियादी ढांचे, मोटर वाहन रक्षा, रेल आदि प्रमुख क्षेत्र का आधार है |

4. नए ओद्योगिक निति 1991 को बढ़ावा -: इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने वैश्विकरण, निजीकरण, सार्वजानिक क्षेत्रो में सुधार किए | 

                                                                     अत: आज यह देश के किसी भी क्षेत्र में ओद्योगिक विकास में आधार प्रदान करता है | क्योंकि यह पुनचक्रण प्रकृति वाली भी सामग्री है |

प्रश्न 6. भारत में उद्योग की समस्याओं का वर्णन करे ?

उत्तर – प्राय: देश में जितने भी खनिज, कृषि एवं रसायन पर आधारित है, सभी उद्योग को विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे है | जो निम्न है |

                                                  -: उद्योग की समस्या :- 

1. कच्चे माल की कमी -: प्राय: आज भी वस्त्र उद्योग की बढती मांग को देश के कपास उत्पादन क्षेत्रो द्वारा पूरा नही किया जा सकता है |

2. पुराने मशीनरी -: अधिकतर जिलो में विधुत आपूर्ति अनियमित है, जिसका उत्पादन स्तर पर बुरा प्रभाव पड़ता है |

3. अकुशल श्रमिक एवं नई तकनीक का अभाव -: आज भी भारत में विभिन्न उद्योगों को नई तकनीक का आभाव है, जिससे उत्पादन स्तर की गुणवता में कमी पाई जाती है |

4. अंतरास्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पद्वा -: विश्व बाजार में आज भी भारत की निम्न गुणवता उत्पादित वस्तु के कारण आस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, u.s.a, आदि से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है |

                                    अत: इस प्रकार इन समस्याओं के अलावे भी उद्योग लाइसेंस निति पर्याप्त पूँजी में कमी कुशल प्रबंधन एवं संसाधन आदि की समस्या से भारतीय उद्योग ग्रसीत है |

 

Author

SANTU KUMAR

I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.

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