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Chapter 4: भूसंसाधन तथा कृषि

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प्रश्न 1. भारत में भूमि उपयोग का वर्गीकरण भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अनुसार करे ? 

उत्तर – भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने भारत में भूमि उपयोग को कुल 9 वर्गों में बाँटा है। यह वर्गीकरण यह बताने के लिए किया गया है कि कौन-सी भूमि किस काम में ली जाती है। नीचे ये 9 वर्ग सरल भाषा में दिए गए हैं:

1. वन भूमि (Forest Land):

वह भूमि जहाँ पेड़-पौधे और जंगल होते हैं।

2. बंजर और अनुपजाऊ भूमि (Barren and Uncultivable Land):

ऐसी ज़मीन जहाँ खेती नहीं की जा सकती, जैसे—रेगिस्तान, पहाड़ी इलाक़े या पथरीली ज़मीन।

3. अन्य कृषि योग्य लेकिन उपयोग में न ली गई भूमि (Land put to Non-Agricultural Use):

ऐसी भूमि जो खेती के लिए उपयुक्त तो है, लेकिन अभी उसमें खेती नहीं की जा रही है।

4. चारागाह और वृक्षों वाली ज़मीन (Permanent Pastures and Other Grazing Land):

वह भूमि जहाँ पशुओं को चरने दिया जाता है या पेड़ लगाए जाते हैं।

5. कृषि योग्य परती भूमि (Cultivable Waste Land):

ऐसी ज़मीन जो पहले कभी खेती में इस्तेमाल होती थी, लेकिन अब छोड़ दी गई है।

6. फसल के नीचे परती भूमि (Current Fallow Land):

ऐसी भूमि जिसमें पिछले एक साल से खेती नहीं हुई है।

7. अन्य परती भूमि (Fallow other than current fallow):

ऐसी भूमि जिसमें पिछले 1-5 सालों के बीच खेती नहीं हुई है।

8. स्थायी फसल क्षेत्र (Land under Permanent Crops):

ऐसी ज़मीन जहाँ लंबे समय तक चलने वाली फसलें जैसे आम, नारियल, केला आदि उगाई जाती हैं।

9. साथ-साथ फसल की गई भूमि (Net Area Sown):

वह भूमि जहाँ हर साल नियमित रूप से खेती की जाती है।

प्रश्न 2. बंजर भूमि तथा कृषियोग्य व्यर्थ भूमि में अंतर स्पष्ट करो।

उत्तर – ✅ बंजर भूमि और कृषि योग्य व्यर्थ भूमि (सरल भाषा में):

1. बंजर भूमि:

यह वह ज़मीन होती है जिसे खेती के लायक नहीं बनाया जा सकता, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें या आधुनिक तकनीक का उपयोग करें।
इसमें शामिल हैं:

  • रेगिस्तान

  • पहाड़ी इलाके

  • गहरी खड्डें

  • पत्थर और चट्टानों वाली ज़मीन

👉 इस भूमि का उपयोग खेती के लिए संभव नहीं होता।

2. कृषि योग्य व्यर्थ भूमि:

यह ज़मीन अभी तो खाली पड़ी है और उसमें खेती नहीं हो रही, लेकिन अगर चाहें तो भूमि सुधार तकनीक की मदद से इसे खेती के लायक बनाया जा सकता है।
इसमें वह भूमि शामिल होती है जो:

  • पिछले 5 साल या उससे अधिक समय से खेती नहीं हुई हो

  • उपेक्षित या खराब हालात में हो, लेकिन सुधार की संभावना हो

👉 यह ज़मीन भविष्य में खेती के लिए उपयोगी हो सकती है।

प्रश्न 3. निवल बोया गया क्षेत्र तथा सकल बोया गया क्षेत्र में अंतर बताएँ ।

उत्तर – निवल बोया गया क्षेत्र मतलब वो ज़मीन जहाँ साल में कम से कम एक बार फसल उगाई जाती है। इसे शुद्ध बोया गया क्षेत्र भी कहते हैं। सकल बोया गया क्षेत्र मतलब कुल बोई गई ज़मीन। इसमें वो ज़मीन भी शामिल होती है जहाँ एक साल में एक से ज्यादा बार फसल उगाई जाती है। इसलिए सकल बोया गया क्षेत्र, निवल बोया गया क्षेत्र से ज़्यादा होता है।

प्रश्न 4.  भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?

उत्तर – भारत में जो जमीन पर फसल उगाई जाती है, उसमें ज्यादा बढ़ोतरी की संभावना कम है। इसलिए अब ऐसी तकनीकें विकसित करना जरूरी है जिससे कम जमीन में ज्यादा फसल उगाई जा सके। इसका मतलब है कि जमीन का पूरा फायदा उठाकर एक ही साल में ज्यादा से ज्यादा फसलें उगाई जाएं ताकि उत्पादन बढ़ सके।

प्रश्न 5. शुष्क कृषि तथा आर्द्र कृषि में क्या अंतर है?

उत्तर – शुष्क कृषि

शुष्क कृषि उन इलाकों में की जाती है जहाँ सालाना बारिश 75 सेंटीमीटर से कम होती है। ऐसे सूखे इलाकों में रागी, बाजरा, मूंग, चना और ग्वार जैसी फसलें उगाई जाती हैं क्योंकि ये फसलें कम पानी में भी अच्छी होती हैं।

 जल कृषि

जल कृषि उन क्षेत्रों में होती है जहाँ ज्यादा बारिश होती है और पानी की अच्छी आपूर्ति होती है। यहाँ पर पानी ज्यादा चाहिए वाली फसलें उगाई जाती हैं जैसे चावल, जूट, गन्ना आदि। इन इलाकों में ज्यादा बारिश के कारण बाढ़ और मिट्टी का बहना (मृदा अपरदन) की समस्या भी होती है।

Author

SANTU KUMAR

I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.

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