प्रश्न 1. पर्यावरण प्रदुषण किसे कहते है ?
या
प्रदुषण किसे कहते है ?
उत्तर – वातावरण में मौजूद हवा, पानी, मिट्टी के भौतिक, रासायनिक एवं जेविक गुणों में अवांछनीय परिवर्तन, जिससे जिव-जन्तुओं एवं वनस्पतियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हो उसे पर्यावरण प्रदुषण कहते है |
इस प्रकार प्रदुषण के जिम्मेदार पदार्थ को प्रदुषण कहते है |
प्रश्न 2. प्रदूषक किसे कहते है ?
उत्तर – वातावरण की स्थिति में नाकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने वाले पदार्थ के रूप को प्रदूषक कहते है |
अर्थात पर्यावरण में प्रदुषण उत्पन्न करने वाले जिम्मेदार पदार्थ को ही पदार्थ प्रदूषक कहते है |
प्रश्न 3. प्रदूषक एवं प्रदुषण के बिच अंतर स्पष्ट करे ?
उत्तर –
प्रदुषण | प्रदुषक |
---|---|
वायुमंडल में अनावश्यक पदार्थो के प्रवेश से जीवधारियों को प्रभावित करने की क्रिया हि प्रदुषण कहलाती है | | पर्यावरण प्रदुषण में जिम्मेवार पदार्थ को हि प्रदूषक कहते है | |
ये मर्दा, वायु, जल, ध्वनी प्रदुषण के रूप में पाए जाते है | | ये प्रदूषक मुख्य रूप से ठोस, गेस, तरल (पारा, सीसा) आदि के रूप में पाया जाता है | |
ये वातावरण के भौतिक, रासायनिक, जेविक गुणों में परिवर्तन लाते है | | ये वातावरण के तत्वों में परिवर्तनकारी पदार्थ माने जाते है | |
इसका मुख्य स्रोत कोयला, प्रट्रोल, वहितमल, मानवीय क्रियाकलाप, ओद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ है | | इसका मुख्य स्रोत धूलकण, पारा, सिसा, अमोनिया, घरेलु, कचरा, प्लास्टिक, so2, co2, mo2, आदि है |
प्रश्न 4. जल प्रदुषण के नियत्रंण हेतु उपाय को लिखे ?
उत्तर – जल की गुणवता में ह्रास होना जल प्रदुषण कहलाता है जिसका मुख्य कारण घरेलु एवं ओद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों को माना जाता है | जिसका प्रभाव जलीय परिस्थिति तंत्र एवं मानवीय जीवन पर स्पष्ट दिखाई देता है | जिस पर नियंत्रण हेतु निम्न उपाय है |
-: जल प्रदुषण के नियंत्रण हेतु उपाय :-
a) घरेलु सीवेज का उपचार किया जाए -: नगरीय क्षेत्रो के घरेलु सीवेज के 90% से अधिक प्र्दुशको का ट्रिटमेंट किया जाए |
b) ओद्योगिक अपशिष्ट जल का शोधन -: प्राय: उद्योगों से निकलने वाले तेल, ग्रीस, भारी धातुए, अपशिष्ट पदार्थ का शोषण करके नदियों में छोड़ा जाए |
c) रासयनिक उर्वरको एवं कीटनाशक की जगह जेविक खाद्य का प्रयोग -: किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार जेव-उर्वरको एवं जेव-कीटनाशक का प्रयोग कर जल की गुणवता बनाए रखा जा सकता है |
d) आम जनता की जागरूकता -: प्राय: जल प्रदुषण से उत्पन्न कुप्रभावो से आम जनता को जागरूक किया जाना चाहिए |
अत: केंद्र सरकार ने भी जल की गुणवता बनाए रखने हेतु “जल निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम – 1874” में पारित किया जाता है | वही जून 2024 में की शुरुआत की गई है | ताकि जल एवं जिव-जन्तुओं के बीच संतुलन बना रहे है |
प्रश्न 5. वायु प्रदुषण क्या है ? इसके विभिन्न कारणों या श्रोतो को लिखे |
उत्तर – वायु में अवाछ्नीय पदार्थों का मिलना हि, जिससे वायु की गुणवता में ह्रास होता है, जो जेविक समुदाय के लिए हानिकारक होता है | उसे वायु प्रदुषण कहते है |
-: वायु प्रदुषण का कारण :-
a) कोयला, पेट्रोल एवं डीजल का जलना -: प्राय: अधिक मात्रा में जलने के कारण वायुमंडल में कार्बनडाईआक्ससाईंड की मात्रा में वृद्धि हो जाती है |
b) ज्वालामुखी विस्फ़ोट एवं जेविक पदार्थों की सड़ने-गलने से -: जब भी ये प्राकृतिक घटनाएँ घटित होती है | तो so2, नाइट्रोजन, ओक्साइड, no2, वायुमंडल को दुषित कर देता है |
c) अधिक मात्रा में गाड़ी का संचालन होने से -: गाडियों से निकलने वाला धुँआ, ताप संयम, तेल शोधन कारखाना, निर्माण कार्य आदि का निर्माण करते है |
d) सिगरेट एवं प्लास्टिक का जलना -: प्राय: किसी भी क्षेत्र में प्लास्टिक जलने से वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है |
अत: इस प्रकार वायु प्रदुषण गेसीय एवं कठिकीय प्रदूषक के रूप में कार्य करती है | जिसका मुख्य प्रदूषक co, co2, ch4, cfc, so2, no2, सीसा आदि के रूप में मौजूद होकर वायुमंडल की हवा को प्रदूषित करते है |
प्रश्न 6. वायु प्रदुषण के नियंत्रण हेतु उपाय लिखे ?
उत्तर – प्राय: वायु में अवांछनीय पदार्थो को मिलना ही, वायु प्रदुषण कहते है | जिससे वायु की गुणवता में ह्रास होता है | जिसका प्रभाव मानव वनस्पतियों जिव-जन्तुओं पर स्पष्ट दिखाई देता है | जिसे नियंत्रण हेतु निम्न उपाय है |
-: वायु प्रदुषण पर नियंत्रण हेतु उपाय :-
a) वाहनों द्वारा उत्सर्जन पर नियंत्रण -: सरकार द्वारा वाहनों से उत्सर्जन होने वाले गेसो पर नियंत्रण हेतु 1 अप्रेल 2020 से सम्पूर्ण देश में bsni वाहनों की लागु किया ताकि इंधन के प्रयोग से धुँआ रहित कम से कम है |
b) अधिक से अधिक वृक्ष लगाया जाए -: प्राय: कार्बनडाईआक्ससाईंड की मात्रा कम करने के लिए पेड़-पौधे लगाए जाए |
c) इंधन वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा -: देश का ज्यादा से इलेक्ट्रोनिक वाहनों का प्रयोग से co2 की मात्रा में कमी आएगी |
d) विलाशिता की वस्तुएँ हीटर, फ़्रिज, a.c के प्रयोग में कमी लाई जाए -: इससे cfc की मात्रा में कमी आएगी | जिससे ओजोन परत का क्षय कम होगा |
इसके अलावे भी केंद्र सरकार ने मोबाईल एप लौंच किया है | जिसे वायु की गुणवता का पता चलता है | इसके अलावे भी “वायु प्रदुषण एवं नियंत्रण अधिनियम – 1981” में लागु किया गया है | साथ ही 6 अप्रेल 2015 को रास्ट्रीय वायु गुणवता सूचकांक प्रारम्भ किया गया है |
प्रश्न 7. ओजोन परत क्षय क्यों हो रहा है ?
उत्तर – ओजोन परत प्रकृति के वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से ओजोन गेस की एक परत पाई जाती है | जो सूर्य के द्वारा उत्सर्जित हानिकारक पराबैगनी किरने से रक्षा के लिए एक कवच का कार्य करती है | जिसे ओजोन परत कहते है |
-: ओजोन परत क्षय होने के करण :-
1. प्राकृतिक प्रक्रिया
2. मानवीय जनित प्रक्रिया
- प्राकृतिक प्रक्रिया
a) सोर कलंक
- मानवीय जनित प्रक्रिया
a) क्लोरिन
b) ब्रोमिन
c) कार्बन
d) फ़्लोरिन की मात्रा में वृद्धि होने में |
अत: आज मानव जनित कारक में से रेफ्रीजरेटर एवं कन्डीशन उत्सर्जित एवं ओद्योगिक उत्सर्जन एवं सुरसेनिक जेंट विमान से होलान उत्सर्जित होता है फिर भी इसके संरक्षण के लिए 1985 वियना सम्मेलन एवं 16 सितम्बर 1981 को माट्रियस प्रोटोकोल संधि प्रभावी है |
प्रश्न 8. मृदा प्रदुषण से आप क्या समझते है ? इसकी विभिन्न कारणों का वर्णन करे |
उत्तर – मृदा की गुणवता और उसकी उर्वरा शक्ति को प्रभावित करने वाले किसी भी पदार्थ का भूमि में मिलना मृदा प्रदुषण कहलाता है |
जो प्लास्टिक, कपड़ा, धातु, जेव पदार्थ, सीवेज ओद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ आदि मृदा प्रदुषण के प्रदूषक
-: मृदा प्रदुषण के कारण :-
a) रासायनों का प्रयोग -: प्राय: अधिक रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से मृदा की भौतिक एवं रासायनिक गुणवता बदल जाती है |
b) नगरीय ओद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ -: प्राय: प्लास्टिक, घरेलु एवं व्यवसायिक अपशिष्ट पदार्थ जेसे – कूड़ा-कड़कत, धातु, प्लास्टिक, काँच आदि | से मृदा प्रदुषण को बढ़ावा मिलता है |
c) मृदा अपरदन -: मृदा अपरदन से कृषि क्षेत्र में कमी, बाढ़ आना मिट्टी की गुणवता में कमी आती है |
d) लवनीय जल -: मृदा में उच्च लवण युक्त जल का प्रयोग से मृदा प्रदुषण होता है |
इसके अलावे इसका मुख्य कारण खनन से अपशिष्ट पदार्थ, विशेले पदार्थ का रिसाव , वन की कटाई से भी मृदा प्रदुषण को बढ़ावा मिलता है |
-: मृदा प्रदुषण का प्रभाव :-
मृदा प्रदुषण के विभिन्न प्रदूषक से मानव एवं जेव-समुदाय पर गहरा प्रभाव पड़ता है |
a) मृदा प्रदुषण के कारण सूक्ष्म जिव, बेक्टेरिया की मृत्यु हो जाती है |
b) मृदा अपरदन, मृदा अम्लीयता के कारण मृदा की गुणवता में ह्रास होने लगता है |
c) मानव के द्वारा मल विसर्जन से दस्त v अन्य रोग से ग्रसित हो जाते है |
d) मृदा प्रदुषण से वनस्पतियो एवं वनों में ह्रास होता है | जो बाढ़ एवं सुखा को बढावा देता है |
-: मृदा प्रदुषण के रोक-थाम के उपाय :-
a) उर्वरक कीटनाशको का सिमित प्रयोग किया जाए एवं जेविक खाद्य को बढ़ावा दिया जाय |
b) अपशिष्ट पदार्थो का उचित ढंग से निपटान करना चाहिए |
c) जेव उपचार तकनीक का प्रयोग |
d) वृक्षारोपन अधिक करना चाहिए |
e) जल निकासी की उचीत तथा उसका रख-रखाव |
f) 3r तकनीक का उपयोग हो |
g) प्लास्टिक उपयोग पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध होना चाहिए |
इसके अलावे भारत सरकार x मृदा की गुणवता की जाँच के लिए मृदा स्वास्थ का योजना की शुरुआत की है |
प्रश्न 9. प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ रहा है ? कोई चार प्रभाव लिखे |
उत्तर – प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का जमीं या जल में जमा होना इसे प्लास्टिक प्रदुषण कहते है |
इसे वन्य जन्तुओं एवं मानवीय जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है |
-: प्लास्टिक प्रदुषण का पर्यावरण पर प्रभाव :-
a) मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी आना -: प्राय: प्लास्टिक को मिट्टी में मिलने से उत्पादन मृत्यु हो रही है |
b) जलीय जिव नष्ट होना -: प्लास्टिक युक्त कचरा पानी में डालने से जलीय जीव की लगातार मृत्यु हो रही है |
c) विषेल जीव नष्ट होना -: प्लास्टिक के दहन से जहरीली गेस वायुमंडल में जेसे (कार्बन-मोनोआक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड) मिल जाते है | जिससे वायु श्वसन, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है |
d) समुद्री पर्यावरण पर प्रभाव -: पक्षी, कछुए, सिल एवं आदि प्लास्टिक को भोजन के रूप में ग्रहण क्र लेते है | जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है |
e) मानव पर प्रभाव -: प्लास्टिक के उपयोग से पाचन तंत्र से संबधित अनेक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाते है |
अत: इसका प्रभाव पर्यावरण एवं मानव के विभिन्न क्रियाकलापों में स्पष्ट दिखाई देता है |
प्रश्न 10. नगरीकरण के विभिन्न समस्याओं का वर्णन करे ?
या
भारत में गंदी-बस्तियों या मलिन बस्ती की विभिन्न समस्या का वर्णन करे ?
उत्तर – प्राय: नगरीकरण एक गतिशील प्रक्रिया है | जो एक ग्रामीण जनसंख्या नगरीय जनसंख्या में बदल जाती है |
इस प्रकार 2011 के अनुसार भारत की कुल आबादी का 31.2% नगरो में निवास करती है | जो विभिन्न समस्याओं से ग्रसित है | जिसमे गंदी बस्ती सबसे प्रमुख है |
-: नगरीकरण/मलिन बस्ती की समस्याओं :-
a) आवास की समस्या -: सबसे आम समस्या मानी जाती है |
b) लोगों को नगरों में स्वास्थ एवं शिक्षा का निम्न स्तर सुविधाएँ उपलब्ध है |
c) वातावरण में स्वच्छ हवाएँ उपलब्ध नही होती है |
d) पिने का स्वच्छ पानी उपलब्ध नही होता है |
e) ठोस नगरीय अपशिष्ट पदार्थ के नियम की समस्या |
f) स्नाना गार एवं शौच के लिए सुविधाओं का आभाव दिखता है |
g) जल निकासी एवं भिंड-भाड वाली संकीर्ण सड़को का सामना करना पड़ता है |
h) गंदे बस्तियों में अनेक रोग एवं बस्तियों का जन्म होता है | जो एक गंभीर समस्या है |
इस प्रकार नगरीकरण में बस्तियों के चारो तरफ़ गंदगी का साम्राज्य होता है | जंहा झुग्गी-झोपडी हो केवल दिखाई देती है | जंहा आज भी अन्य समस्या नशा करना, जुआ खेलना, चोरी, सामाजिक अपराध, पलायन आदि की समस्या पाई जाती है |

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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