'भारतीय चित्रपट: मूक फिल्मों से सवाक् फिल्मों तक' बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का एक अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक अध्याय है। इस निबंध के लेखक प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर हैं, जिन्होंने बड़ी सहजता और रोचक शैली में भारतीय सिनेमा के इतिहास और विकास की कहानी प्रस्तुत की है। इस अध्याय में भारत में फिल्मों की शुरुआत, पहले फिल्म प्रदर्शन की घटनाएँ, शुरुआती फिल्म निर्माता, मूक (बिना आवाज़ वाली) फिल्मों का दौर और उसके बाद सवाक् (बोलती) फिल्मों के आगमन तक की यात्रा को बड़े ही दिलचस्प ढंग से बताया गया है। लेखक ने न केवल तकनीकी विकास को उजागर किया है, बल्कि सिनेमा के सामाजिक प्रभाव और सांस्कृतिक महत्व को भी रेखांकित किया है। यह निबंध छात्रों को भारतीय सिनेमा की समृद्ध विरासत से परिचित कराता है। साथ ही, यह उन्हें यह समझने में मदद करता है कि किस प्रकार भारतीय फिल्म उद्योग ने शुरुआती संघर्षों और तकनीकी सीमाओं के बावजूद एक सशक्त पहचान बनाई। निबंध भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम इतिहास को सरल भाषा में प्रस्तुत करता है, जिससे छात्रों की रुचि और ज्ञान दोनों में वृद्धि होती है।
Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 5 Solutions
Subject | Hindi |
---|---|
Class | 9th |
Chapter | 5. भारतीय चित्रपट : मूक फिल्मों से सवाक फिल्मों तका |
Author | |
Board | Bihar Board |
प्रश्न 1: उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी ने दुनिया को कई करिश्मे दिखाए। लेखक ने किस करिश्मे का विवरण विस्तार से किया है?
उत्तर – लेखक ने उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी में हुए वैज्ञानिक और तकनीकी करिश्मों का विस्तार से वर्णन किया है। उन्होंने गैस की रोशनी, बिजली के चमत्कार, टेलीग्राफ, टेलीस्कोप, जादू, रेलगाड़ी और मोटर जैसी खोजों और आविष्कारों का उल्लेख करते हुए यह दिखाया है कि उस दौर के लोग इन नई तकनीकों को देखकर कैसे चकित हो जाते थे। ये करिश्मे न केवल मानव जीवन को प्रभावित करते थे, बल्कि समाज में एक नई जागरूकता और उत्सुकता भी उत्पन्न करते थे।
प्रश्न 2: भारतीय चित्रपट में मौन से साक्षात्कार तक के इतिहास को रेखांकित करते हुए दादा साहेब फाल्के का महत्व बताइए।
उत्तर – दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का जनक माना जाता है। उन्होंने वर्ष 1913 में भारत की पहली पूर्ण लंबाई की मूक फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ का निर्माण किया, जिसे भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म माना जाता है। उनका यह योगदान भारतीय फिल्म उद्योग की नींव रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण था। उन्होंने न केवल तकनीकी चुनौतियों का सामना किया, बल्कि भारतीय समाज में फिल्मों को एक नई पहचान भी दिलाई।
प्रश्न 3: सावे दादा कौन थे? उनके भारतीय सिनेमा में योगदान को वर्णित कीजिए।
प्रश्न 4: लेखक ने सावे दादा की तुलना में दादा साहेब फाल्के को क्यों भारतीय सिनेमा का जनक माना? स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 5: भारतीय सिनेमा के विकास में पश्चिमी तकनीक के महत्व को रेखांकित कीजिए।
प्रश्न 6: अपने शुरुआती दिनों में सिनेमा आज की तरह किसी कहानी पर आधारित नहीं होती थी, क्यों?
प्रश्न 7: भारत में पहली बार सिनेमा कब और कहाँ दिखाया गया?
प्रश्न 8: सिनेमा दिखलाने के लिए अखबारों में क्या विज्ञापन निकला? इस विज्ञापन का बम्बई की जनता पर क्या असर हुआ था?
प्रश्न 9: 1897 में पहली बार बम्बई की जनता को रुपहले पर्दे पर कुछ भारतीय दृश्य देखने को मिले। उन दृश्यों को लिखें।
प्रश्न 10: कलकत्ते में स्टार थियेटर की स्थापना किसने की?

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
Contact me On WhatsApp