Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 2 Solutions – भारत का पुरातन विद्यापीठ : नालंदा

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'भारत का पुरातन विद्यापीठ: नालंदा' बिहार बोर्ड कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का एक अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक अध्याय है। इस निबंध की रचना भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की है, जो स्वयं एक महान शिक्षाविद् और इतिहासप्रेमी थे। इस निबंध में उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास, शैक्षणिक श्रेष्ठता और सांस्कृतिक योगदान को अत्यंत भावपूर्ण एवं तथ्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया है। डॉ. प्रसाद बताते हैं कि नालंदा लगभग 600 वर्षों तक एशिया का प्रमुख शिक्षा केंद्र रहा, जहाँ भारत ही नहीं, बल्कि चीन, जापान, कोरिया, तिब्बत और श्रीलंका जैसे देशों से भी छात्र अध्ययन करने आते थे। निबंध में नालंदा की उच्च कोटि की शिक्षा प्रणाली, पुस्तकालय, कला, संस्कृति और वैश्विक प्रभाव का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह विश्वविद्यालय न केवल धर्म और दर्शन का केंद्र था, बल्कि विज्ञान, गणित, चिकित्सा, और भाषा जैसे विषयों में भी उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करता था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नालंदा के विनाश पर दुख व्यक्त करते हुए, इसे पुनः स्थापित करने की गहरी इच्छा व्यक्त की है। उनके विचारों से यह स्पष्ट होता है कि वे भारतीय ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक विरासत के पुनर्जागरण के पक्षधर थे। यह अध्याय न केवल नालंदा के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि विद्यार्थियों को भारत की प्राचीन शैक्षणिक परंपरा पर गर्व करने और उसे पुनर्जीवित करने की प्रेरणा भी देता है।

Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 2 Solutions

Subject Hindi
Class 9th
Chapter 3. ग्राम – गीत का मर्म
Author लक्ष्मीनारायण सुधांशु
Board Bihar Board

प्रश्न 1. “नालंदा की वाणी एशिया महाद्वीप में पर्वत और समुद्रों के उस पार तक फैल गई थी।” इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – यह वाक्य नालंदा विश्वविद्यालय की विश्वव्यापी ख्याति और प्रभाव को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि नालंदा में प्राप्त होने वाला ज्ञान केवल भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि वह समुद्रों और पर्वतों को पार करते हुए पूरे एशिया महाद्वीप में फैल गया था। यहाँ तक कि दूर-दराज के देशों जैसे चीन, जापान, कोरिया और तिब्बत से भी विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने नालंदा आते थे। यह वाक्य नालंदा के शैक्षणिक गौरव, सांस्कृतिक प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय महत्व को दर्शाता है।

प्रश्न 2. मगध की प्राचीन राजधानी का नाम क्या था और वह कहाँ अवस्थित थी?

उत्तर – मगध की प्राचीन राजधानी का नाम राजगृह था। यह नगर पाँच पहाड़ियों के बीच बसा हुआ था, जिस कारण इसे प्राकृतिक सुरक्षा प्राप्त थी। राजगृह को प्राचीन काल में गिरिव्रज के नाम से भी जाना जाता था। यह स्थान राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 3. बुद्ध के समय नालंदा में क्या था?

उत्तर – बुद्ध के समय नालंदा एक छोटा सा गाँव था, जहाँ प्रवजितों (भिक्षुओं) के लिए एक आम्रवन अर्थात आम का बाग स्थित था। यह स्थान उन बौद्ध भिक्षुओं के लिए विश्राम, साधना और ध्यान का शांतिपूर्ण केंद्र था। इससे स्पष्ट होता है कि नालंदा का प्रारंभिक स्वरूप धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़ा हुआ था, जिसने आगे चलकर एक महान शैक्षणिक केंद्र का रूप धारण किया।

 

प्रश्न 4. महावीर और मेखलिपुत्त गोसाल की भेंट किस उपग्राम में हुई थी?

उत्तर – जैन ग्रंथों के अनुसार, नालंदा के उपग्राम वाहिरिक में महावीर और मेघलिपुत्र गोसाल की भेंट हुई थी। यह घटना जैन धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, क्योंकि यही से दोनों के विचारों में मतभेद शुरू हुए थे। यह स्थान नालंदा की धार्मिक विविधता और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है, जहाँ विभिन्न विचारधाराओं का आदान-प्रदान होता था।

प्रश्न 5. महावीर ने नालंदा में कितने दिनों का वर्षावास किया था?

उत्तर – महावीर ने नालंदा में चौदह वर्षावास किए थे। इस दौरान वे यहीं ठहर कर अपने धार्मिक उपदेश देते थे और अपने अनुयायियों को शिक्षित एवं मार्गदर्शित करते थे। उनकी उपस्थिति ने नालंदा को जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया। यह स्थान उनके धर्म-प्रसार और आध्यात्मिक साधना का प्रमुख क्षेत्र रहा।

प्रश्न 6. तारानाथ कौन थे? उन्होंने नालंदा को किसकी जन्मभूमि बताया है?

उत्तर – तारानाथ तिब्बत के एक प्रसिद्ध विद्वान और इतिहासकार थे। उन्होंने अपने ऐतिहासिक लेखों में नालंदा को महान बौद्ध भिक्षु सारिपुत्र की जन्मभूमि बताया है। तारानाथ की यह जानकारी नालंदा की धार्मिक और बौद्ध परंपरा से गहरे संबंध को दर्शाती है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि नालंदा न केवल शिक्षा का केंद्र था, बल्कि यहाँ महान बौद्ध आचार्यों का जन्म और कर्मस्थल भी रहा है।

प्रश्न 7. एक जीवंत विद्यापीठ के रूप में नालंदा कब विकसित हुआ?

उत्तर – नालंदा एक जीवंत और समृद्ध विद्यापीठ के रूप में गुप्त काल में विकसित हुआ। गुप्त शासकों के संरक्षण में यह विश्वविद्यालय तेजी से शैक्षणिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक उन्नति का केंद्र बन गया। इस काल में नालंदा ने दर्शन, चिकित्सा, व्याकरण, तर्कशास्त्र, ज्योतिष और बौद्ध धर्म जैसे विविध विषयों में उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान की। देश-विदेश के विद्वान और विद्यार्थी यहाँ अध्ययन हेतु आते थे, जिससे यह अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शिक्षण संस्थान बन गया।

प्रश्न 8. फाह्यान कौन थे? वे नालंदा कब आए थे?

उत्तर – फाह्यान चौथी शताब्दी में भारत आए एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध यात्री थे। उन्होंने अपने यात्रा-वृत्तांतों में नालंदा का विशेष रूप से उल्लेख किया है। फाह्यान ने यहाँ आकर महान बौद्ध भिक्षु सारिपुत्र के जन्म और परिनिर्वाण स्थल पर बने विहार और स्तूप का दर्शन किया था। उनकी यह यात्रा नालंदा के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का प्रमाण है तथा यह दर्शाती है कि नालंदा उस समय तक एक प्रतिष्ठित स्थल बन चुका था।

प्रश्न 9. हर्षवर्दन के समय में कौन चीनी यात्री भारत आया था. उस समय नालंदा की दशा क्या थी?

उत्तर – सातवीं सदी में हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान युवानचांग नामक एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध यात्री और विद्वान भारत आया था। उस समय नालंदा विश्वविद्यालय अपनी उन्नति के शिखर पर था और यह एशिया का एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक और बौद्ध अध्ययन केंद्र बन चुका था। युवानचांग ने नालंदा में कई वर्षों तक अध्ययन किया और वहाँ की शिक्षा प्रणाली, विद्वानों की संख्या, पाठ्यक्रम और अनुशासन की विस्तृत सराहना की। उसके विवरणों से नालंदा की वैश्विक प्रतिष्ठा और बौद्धिक समृद्धि का पता चलता है।

प्रश्न 10. नालंदा के नामकरण के बारे में किस चीनी यात्री ने किस ग्रंथ के आधार पर क्या बताया है?

उत्तर – चीनी यात्री युवानचांग ने एक जातक कथा के आधार पर बताया है कि नालंदा का नाम इसी कारण पड़ा क्योंकि यहाँ बुद्ध अपने पूर्व जन्म में कभी तृप्ति नहीं पाते थे। ‘न-अल-दा’ का अर्थ होता है ‘न देना’ या ‘तृप्त न होना’, जिससे यह प्रतीत होता है कि इस स्थान की धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता गहरी थी। यह नाम नालंदा के धार्मिक इतिहास और उसकी आध्यात्मिक विशेषताओं को उजागर करता है।

Author

SANTU KUMAR

I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.

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