"कहानी का प्लॉट" बिहार बोर्ड कक्षा 9 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसकी रचना प्रसिद्ध लेखक शिवपूजन सहाय ने की है। यह एक आंचलिक (गाँव-देहात की) कहानी है, जो आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई है। लेखक ने इसमें अपने गाँव के पास बसे एक छोटे से गाँव की घटना को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। इस कहानी के प्रमुख पात्र मुंशीजी और उनकी बेटी भगजोगनी हैं। लेखक ने इनके जीवन के माध्यम से ग्रामीण समाज की गहराइयों में छिपी विडंबनाओं, सामाजिक कुरीतियों और आर्थिक तंगी का चित्रण किया है। भगजोगनी का बेमेल विवाह और उसका जीवन संघर्ष पाठकों को झकझोर कर रख देता है। कहानी में गरीबी, सामाजिक असमानता, रूढ़िवादी सोच और स्त्री जीवन की दयनीय स्थिति जैसे मुद्दों को बड़े ही संवेदनशील ढंग से उठाया गया है। यह कहानी केवल एक ग्रामीण घटना नहीं, बल्कि समाज का आईना है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर कर देती है।
Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 1 Solutions
Subject | Hindi |
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Class | 9th |
Chapter | 1. कहानी का प्लाँट |
Author | शिवपूजन सहाय |
Board | Bihar Board |
प्रश्न 1. लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा भी मुझमें नहीं है जबकि यह कहानी श्रेष्ठ कहानियों में एक है?
उत्तर – लेखक ने यह कथन विनम्रता के भाव से कहा है, जिसमें उन्होंने अपनी लेखन प्रतिभा को जानबूझकर कम आंका है। वास्तव में, यही उनकी लेखन कला की विशेषता है कि वे बेहद साधारण शब्दों में एक गहरी और मार्मिक कहानी प्रस्तुत करते हैं, जो सीधे पाठकों के हृदय को स्पर्श करती है। उनकी यह शैली दर्शाती है कि वे आत्मप्रशंसा से दूर रहकर यथार्थ और संवेदना को प्रमुखता देते हैं, जिससे पाठकों को कहानी में सच्चाई और भावनात्मक गहराई अनुभव होती है। इस प्रकार, यह कथन उनके विनम्र स्वभाव और प्रभावशाली लेखन शैली का प्रतीक है, जो उन्हें एक श्रेष्ठ लेखक बनाता है।
प्रश्न 2. लेखक ने भगजोगनी नाम ही क्यों रखा?
उत्तर – लेखक ने ‘भगजोगनी’ नाम का चयन बहुत सोच-समझकर किया है, क्योंकि यह नाम न केवल ग्रामीण परिवेश को दर्शाता है, बल्कि कहानी के मूल भाव और सामाजिक यथार्थ को भी गहराई से प्रतिबिंबित करता है। यह नाम उस पात्र की संवेदनशीलता, पीड़ा और जीवन की त्रासदीपूर्ण परिस्थितियों को सजीव रूप से प्रकट करता है। ‘भगजोगनी’ जैसे नाम से लेखक ने एक ऐसी स्त्री का चित्र प्रस्तुत किया है, जो गांव की साधारण लेकिन संघर्षशील नारी का प्रतीक बन जाती है। इस प्रकार, यह नाम न केवल उपयुक्त है, बल्कि पात्र की आत्मा और समाज में उसकी स्थिति को भी प्रभावशाली ढंग से अभिव्यक्त करता है।
प्रश्न 3. मुंशीजी के बड़े भाई क्या थे?
उत्तर – मुंशीजी के बड़े भाई पुलिस विभाग में दारोगा थे, जो उस समय एक सम्मानित और प्रभावशाली पद माना जाता था। वे न केवल अपने पद के कारण प्रतिष्ठित थे, बल्कि अपने व्यवहार और कर्तव्यों के प्रति निष्ठा के कारण भी वे परिवार और समाज में आदर्श व्यक्तित्व के रूप में देखे जाते थे। मुंशीजी उन्हें सम्मान और गर्व की दृष्टि से देखते थे तथा उनका जीवन मुंशीजी के लिए प्रेरणा का स्रोत था।
प्रश्न 4. दारोगाजी की तरक्की रुकने की क्या वजह थी?
उत्तर – दारोगाजी की तरक्की इसलिए रुक गई क्योंकि उन्होंने अपनी प्रिय घोड़ी को बड़े अंग्रेज अफसरों को बेचने से साफ़ इनकार कर दिया था। उनका यह निर्णय साहस, ईमानदारी और सिद्धांतों के प्रति निष्ठा को दर्शाता है। वे किसी भी व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने आत्मसम्मान और प्रिय वस्तु का सौदा नहीं करना चाहते थे। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि दारोगाजी सच्चे चरित्रवान और आत्मसम्मानी व्यक्ति थे, जिनके लिए उसूलों से बढ़कर कुछ नहीं था।
प्रश्न 5. मुंशीजी अपने बड़े भाई से कैसे उऋण हुए?
उत्तर – मुंशीजी ने अपने बड़े भाई के कर्ज से मुक्त होने के लिए मजबूरीवश एक गोरे अफसर को घोड़ी भारी रकम में बेच दी। यह निर्णय उन्होंने भावनाओं से ऊपर उठकर परिवार की भलाई और जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए लिया। इस घटना से मुंशीजी की व्यावहारिक सोच, समर्पण, और परिवार के प्रति उनकी जिम्मेदारी का स्पष्ट चित्र सामने आता है। उन्होंने परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेकर यह सिद्ध किया कि कभी-कभी जीवन में कठिन निर्णय लेना आवश्यक होता है।
प्रश्न 6. ‘थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर हैं, लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर – लेखक ने थानेदार की समृद्धि को फूस के जलने से तुलना करके यह संकेत दिया है कि उसकी संपन्नता अस्थायी और खोखली थी। जैसे फूस जल्दी जलकर राख हो जाता है, वैसे ही अनैतिक और गलत तरीकों से कमाया गया धन भी अधिक समय तक नहीं टिकता। इस उपमा के माध्यम से लेखक यह दर्शाना चाहते हैं कि ईमानदारी और नैतिकता ही स्थायी सुख और सम्मान का मार्ग हैं, जबकि भ्रष्ट आचरण अंततः विनाश की ओर ले जाता है।
प्रश्न 7. ‘मेरी लेखनी में इतना जोर नहीं’-लेखक ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर – लेखक भगजोगनी के अद्वितीय सौंदर्य का वर्णन करते हुए स्वयं को असमर्थ महसूस करता है। यह केवल उसकी विनम्रता ही नहीं दर्शाता, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भगजोगनी का रूप इतना अलौकिक और प्रभावशाली था कि उसे शब्दों में बाँधना कठिन था। इस प्रकार, लेखक के कथन से भगजोगनी के सौंदर्य की गहराई और प्रभाव का आभास होता है, साथ ही लेखक की संवेदनशीलता और ईमानदारी भी झलकती है।
प्रश्न 8. भगजोगनी का सौंदर्य क्यों नहीं खिल सका?
उत्तर – भगजोगनी का सौंदर्य गरीबी और कठिन जीवन परिस्थितियों के कारण पूरी तरह से नहीं निखर सका। उसके पास जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की भी कमी थी — जैसे उचित भोजन, पहनावा और देखभाल — जिससे उसका शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो गया। लेखक यह दर्शाते हैं कि यदि उसे सुखद वातावरण और साधन मिलते, तो उसका सौंदर्य और व्यक्तित्व और भी अधिक खिला होता। यह स्थिति समाज की उस वास्तविकता को उजागर करती है, जहाँ प्रतिभा और सौंदर्य भी वंचनाओं के कारण दबकर रह जाते हैं।
प्रश्न 9. मुंशीजी गल-फाँसी लगाकर क्यों करना मरना चाहते हैं?
उत्तर – मुंशीजी गला-फांसी लगाकर मरना चाहते हैं क्योंकि वे अपनी बेटी भगजोगनी की दयनीय हालत और अपने परिवार की गरीबी से बहुत दुखी हैं। वे इस कष्टपूर्ण और कठिन जीवन से बचना चाहते हैं।
प्रश्न 10. भगजोगनी का दूसरा वर्तमान नवयुवक पति उसका ही सौतेला बेटा है। यह घटना समाज की किस बुराई की ओर संकेत करती है और क्यों?
उत्तर – भूमिका:
भगजोगनी की कहानी एक ग्रामीण परिवेश की मार्मिक कथा है, जिसमें गरीबी, सामाजिक बुराइयाँ, कुरीतियाँ और मानव जीवन की विडंबनाएँ बड़ी सजीवता से उभरती हैं। जब हम देखते हैं कि भगजोगनी का दूसरा पति उसका ही सौतेला बेटा है, तो यह न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि एक गहरी सामाजिक समस्या और बुराई की निशानी भी है। यह घटना कई सामाजिक कुरीतियों, मानवीय दुर्बलताओं और सामाजिक व्यवस्थाओं की खामियों की ओर संकेत करती है। इस विस्तृत उत्तर में हम इन बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे:
1. सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों की पहचान
भगजोगनी का दूसरा पति उसके ही सौतेला बेटा होना, सामाजिक कुरीतियों जैसे बेमेल विवाह, मजबूरन विवाह, परिवारिक विघटन, और सामाजिक दबाव की ओर स्पष्ट संकेत है।
बेमेल विवाह:
ग्रामीण और गरीब परिवारों में अक्सर शादी संबंधी फैसले स्वेच्छा से नहीं होते, बल्कि सामाजिक दबाव, आर्थिक मजबूरियां, जाति या परिवार के हितों के अनुसार थोपे जाते हैं। ऐसे विवाहों में प्रेम और समझदारी की कमी होती है, जिससे रिश्ते टूटने या विकृत हो जाने का खतरा रहता है।
भगजोगनी के मामले में, उसका सौतेला बेटा उससे विवाह करता है, जो सामाजिक और नैतिक दृष्टि से गलत है। यह बेमेल विवाह की एक चरम स्थिति है, जो समाज की विकृति को उजागर करता है।मजबूरन विवाह:
गरीबी, परिवारिक दबाव, और समाज की रूढ़िवादी सोच के कारण लोगों को ऐसे विवाह स्वीकारने पर मजबूर किया जाता है, जो उनके लिए मानसिक और सामाजिक रूप से पीड़ादायक होते हैं।
भगजोगनी के लिए भी यह विवाह किसी प्रकार का बचाव नहीं, बल्कि और भी बड़ी आपदा बन जाता है। उसकी मजबूरी और स्थिति को दर्शाता है कि समाज में नारी का सम्मान और अधिकार कितने कमजोर हैं।परिवारिक विघटन:
कहानी में इस प्रकार की घटनाएँ यह भी दिखाती हैं कि परिवार के भीतर संवाद, समझदारी और पारस्परिक सम्मान का अभाव है। परिवार टूटता है, रिश्ते बिगड़ते हैं, और परिणामस्वरूप असामान्य और गलत संबंध जन्म लेते हैं।
2. गरीबी और सामाजिक दबाव
गरीबी एक बड़ा कारण है, जिसके कारण इस तरह की बुराइयाँ जन्म लेती हैं। आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी परिवार के सदस्यों को असामान्य और असामाजिक व्यवहार करने पर मजबूर करती है।
आर्थिक मजबूरियां:
गरीबी के कारण परिवार अपने सदस्यों के लिए उचित जीवन और सामाजिक सम्मान नहीं दे पाता। विवाह जैसे महत्वपूर्ण फैसलों में भी आर्थिक स्थिति का बड़ा प्रभाव होता है। ऐसे में गरीब परिवार में दहेज, संपत्ति, और सामाजिक दबाव के चलते लोग ऐसे विवाह करने को मजबूर हो जाते हैं, जो नैतिक और कानूनी दृष्टि से अनुचित होते हैं।सामाजिक दबाव:
समाज में बनी रूढ़िवादी सोच, जातिवाद, और परंपराओं का दबाव व्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करता है। गरीब और पिछड़े वर्ग के लोग अधिक दबाव महसूस करते हैं, जिसके कारण वे अपने हितों के विपरीत फैसले लेने को मजबूर हो जाते हैं।
भगजोगनी और उसके परिवार की परिस्थितियाँ इसी सामाजिक दबाव को दर्शाती हैं, जहाँ वे अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सही विकल्प चुनने में असमर्थ रहते हैं।
3. सामाजिक शिक्षा और जागरूकता की कमी
इस घटना से यह भी स्पष्ट होता है कि ग्रामीण समाज में शिक्षा और जागरूकता का अभाव कितना गंभीर है। जब समाज अपने सदस्यों को उनकी सामाजिक, नैतिक और कानूनी जिम्मेदारियों से अवगत नहीं कराता, तो ऐसे विकृत रिश्ते जन्म लेते हैं।
शिक्षा का अभाव:
शिक्षा न केवल ज्ञान देती है, बल्कि व्यक्ति को सही-गलत का भेद समझने और निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करती है। बिना शिक्षा के लोग अपनी स्थिति से समझौता कर लेते हैं और समाज की बुरी परंपराओं को ही अपना लेते हैं।
भगजोगनी के परिवार में भी यह कमी साफ नजर आती है, जहाँ सही मार्गदर्शन के अभाव में विकृत रिश्ते स्वीकार किए जाते हैं।जागरूकता का अभाव:
समाज में महिलाओं के अधिकार, बाल विवाह, पारिवारिक हिंसा, और गलत सामाजिक प्रथाओं के प्रति जागरूकता का अभाव होता है। इस कारण महिलाएँ अक्सर अपने अधिकारों के लिए लड़ नहीं पातीं और गलत विवाहों और अत्याचारों को सहती रहती हैं।
4. नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों का ह्रास
भगजोगनी का सौतेला बेटा उसका दूसरा पति बनना, पारिवारिक और सामाजिक नैतिकता के गिरने का उदाहरण है।
पारिवारिक संस्कारों का टूटना:
पारिवारिक संस्कार और रिश्तों की मर्यादा टूटने से सामाजिक व्यवस्था प्रभावित होती है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम, सम्मान और विश्वास कमजोर पड़ जाता है।
ऐसी स्थिति में परिवार में विकृत और अनैतिक संबंधों का जन्म होना स्वाभाविक है, जो समाज के लिए खतरनाक संकेत हैं।नैतिक पतन:
यह घटना समाज के नैतिक पतन को दर्शाती है, जहाँ इंसानियत, सम्मान और मर्यादा की जगह स्वार्थ और मजबूरियां ले लेती हैं। इससे समाज में असामाजिक प्रवृत्तियाँ बढ़ती हैं और सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है।
5. कानूनी और प्रशासनिक प्रणाली की कमजोरियां
इस घटना से यह भी पता चलता है कि समाज में कानूनी और प्रशासनिक प्रणाली की भी कमी है, जो इन गलत प्रथाओं को रोकने में असमर्थ है।
कानूनी जागरूकता का अभाव:
लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों से अनजान रहते हैं। ऐसी घटनाओं पर कानूनी कार्यवाही न होना या कमजोर होना इन कुरीतियों को बढ़ावा देता है।प्रशासनिक उदासीनता:
सरकारी और स्थानीय प्रशासन कभी-कभी ग्रामीण इलाकों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते, जिसके कारण समाज में असामाजिक कृत्यों को बढ़ावा मिलता है।
6. इस बुराई के परिणाम
इस प्रकार की सामाजिक बुराइयों के कई नकारात्मक परिणाम होते हैं:
व्यक्तिगत त्रासदियाँ:
भगजोगनी जैसे पात्रों का जीवन त्रासद और पीड़ादायक हो जाता है। वे मानसिक, शारीरिक और सामाजिक दोनों तरह की कष्ट झेलती हैं।समाज का पतन:
जब समाज में नैतिकता और मूल्य खत्म हो जाते हैं, तो समाज का सामाजिक ढांचा कमजोर पड़ जाता है। इसका प्रभाव अगली पीढ़ी पर भी पड़ता है और समाज में अपराध, भ्रष्टाचार और अन्याय बढ़ता है।स्त्री उत्पीड़न:
महिलाओं के प्रति समाज की सोच बदलती है, वे उत्पीड़ित और असम्मानित होती हैं, जिससे सामाजिक असंतुलन बढ़ता है।
7. समाधान और सुधार की दिशा
भगजोगनी की इस त्रासदी से सीख लेकर समाज को कई कदम उठाने होंगे:
शिक्षा का प्रसार:
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और जागरूकता बढ़ानी होगी, जिससे लोग अपने अधिकारों को जान सकें और गलत प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठा सकें।कानून का सख्त पालन:
बाल विवाह, बेमेल विवाह और अन्य सामाजिक बुराइयों को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए जाएं और उनका कड़ाई से पालन हो।महिला सशक्तिकरण:
महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से सशक्त बनाया जाए, ताकि वे अपने निर्णय स्वयं ले सकें और अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।समाज में बदलाव:
समाज की रूढ़िवादी सोच को बदलने के लिए सामाजिक सुधार आंदोलनों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
भगजोगनी का दूसरा पति उसका सौतेला बेटा होना, समाज की बेमेल विवाह, गरीबी, सामाजिक दबाव, नैतिक पतन, और जागरूकता की कमी जैसी गहरी बुराइयों की ओर संकेत करता है। यह घटना केवल एक व्यक्तिगत या पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के उन विकृत पहलुओं का प्रतिनिधित्व है, जिनसे लड़ना हर नागरिक और शासन की जिम्मेदारी है। यदि समाज इन कुरीतियों को नहीं दूर करेगा, तो आने वाली पीढ़ियाँ भी इसी पीड़ा और संघर्ष के साये में जीने को मजबूर होंगी। इसलिए शिक्षा, जागरूकता, कड़े कानून और सामाजिक सुधार के माध्यम से इन बुराइयों को जड़ से खत्म करना आवश्यक है।

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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