1. ऊर्जा के प्रमुख स्रोत कौन-कौन से हैं?
ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों को मुख्यतः दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय।
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत:
सौर ऊर्जा: सूर्य की किरणों से प्राप्त ऊर्जा। सौर पैनलों में फोटोवोल्टाइक कोशिकाओं का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित की जाती है।
पवन ऊर्जा: हवा की गति से पवन टर्बाइनों के माध्यम से ऊर्जा प्राप्त की जाती है।
जल ऊर्जा (हाइड्रोपावर): बहते पानी की ऊर्जा को विद्युत में बदलने के लिए बांधों और जलविद्युत संयंत्रों का उपयोग किया जाता है।
भूतापीय ऊर्जा: पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से उत्पन्न ऊर्जा, जिसका उपयोग विशेष रिएक्टरों और हीटिंग सिस्टम में किया जाता है।
जैव ऊर्जा: जैविक पदार्थों जैसे कृषि अवशेष और कचरे से उत्पन्न ऊर्जा। इसमें बायोमास और बायोगैस शामिल हैं।
गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत:
कोयला: एक ठोस जीवाश्म ईंधन, जिसका उपयोग विद्युत उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है।
पेट्रोलियम: गैसोलीन और डीजल के रूप में, परिवहन और औद्योगिक उपयोग के लिए।
प्राकृतिक गैस: मिथेन और अन्य गैसों से बनी, जो ऊर्जा उत्पादन और गर्मी के लिए उपयोग होती है।
यूरेनियम: परमाणु रिएक्टरों में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है।
2. सौर ऊर्जा कैसे उत्पन्न की जाती है?
सौर ऊर्जा सूर्य की किरणों से प्राप्त होती है और इसे विभिन्न तरीकों से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है:
सौर पैनल (फोटोवोल्टिक पैनल): सौर पैनल में सिलिकॉन की कोशिकाएँ होती हैं। जब सूर्य की किरणें इन कोशिकाओं पर पड़ती हैं, तो फोटोवोल्टाइक प्रभाव के कारण विद्युत धारा उत्पन्न होती है। यह धारा एक इनवर्टर के माध्यम से उपयोगी विद्युत में परिवर्तित होती है।
सौर थर्मल सिस्टम: इसमें सूर्य की गर्मी को कैप्चर करके हीटिंग के लिए उपयोग किया जाता है। सौर थर्मल कलेक्टर गर्मी को एक फ्लूइड में ट्रांसफर करता है, जिसे गर्म पानी या हीटिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
सौर थर्मोफोटोवोल्टिक सिस्टम: यह प्रणाली थर्मल और फोटोवोल्टिक प्रभावों का संयोजन करती है। इसमें थर्मल तत्व सूर्य की गर्मी को सीधे विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
3. पवन ऊर्जा का उपयोग कैसे किया जाता है?
पवन ऊर्जा का उपयोग पवन टर्बाइनों के माध्यम से किया जाता है। पवन टर्बाइन में एक बड़ा ब्लेड सेट होता है जो हवा की गति से घुमता है। इस घुमाव से एक जनरेटर को चलाया जाता है, जो पवन ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है। पवन टर्बाइन का स्थान और डिजाइन हवा की गति और दिशा को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है ताकि अधिकतम ऊर्जा प्राप्त की जा सके।
4. जल ऊर्जा (हाइड्रोपावर) के लाभ और नुकसान क्या हैं?
लाभ:
स्वच्छ ऊर्जा: जल ऊर्जा से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है।
सतत: जब तक पानी प्रवाह में होता है, तब तक ऊर्जा का निरंतर स्रोत प्रदान करता है।
भंडारण: हाइड्रोपावर स्टोरेज डैम विद्युत ऊर्जा को स्टोर कर सकते हैं और आवश्यकता अनुसार आपूर्ति बढ़ा सकते हैं।
नुकसान:
पर्यावरणीय प्रभाव: बांधों का निर्माण स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि वनस्पतियों और जीवों के आवास का नुकसान।
स्थानीय समाज पर प्रभाव: बांध निर्माण से प्रभावित क्षेत्र के निवासियों को विस्थापित किया जा सकता है।
5. भूतापीय ऊर्जा का प्रमुख उपयोग क्या है?
भूतापीय ऊर्जा का प्रमुख उपयोग पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में होता है:
हीटिंग: गर्मी के लिए भूतापीय ऊर्जा का उपयोग किया जाता है, विशेषकर सर्दियों में।
विद्युत उत्पादन: भूतापीय पावर प्लांट्स में गर्म भाप को टर्बाइन को चलाने के लिए प्रयोग किया जाता है, जो विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करती है।
औद्योगिक प्रक्रियाएँ: उच्च तापमान की जरूरत वाले औद्योगिक प्रक्रियाओं में भी भूतापीय ऊर्जा का उपयोग होता है।
6. जैव ऊर्जा के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं?
जैव ऊर्जा विभिन्न प्रकार की जैविक सामग्री से प्राप्त होती है। इसके प्रमुख प्रकार हैं:
बायोमास: कृषि अवशेषों, लकड़ी, और अन्य जैविक पदार्थों से उत्पन्न ऊर्जा। यह जलाने, कंप्रेशन, या अन्य विधियों से ऊर्जा में परिवर्तित की जाती है।
बायोगैस: जैविक अपशिष्टों (जैसे गोबर और खाद) से प्राप्त गैस, जो मुख्यतः मिथेन से बनी होती है। इसका उपयोग विद्युत उत्पादन और ईंधन के रूप में होता है।
बायोडीजल: वनस्पति तेलों और पशु वसा से प्राप्त ईंधन, जिसका उपयोग डीजल इंजन में किया जाता है।
7. कोयला एक गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत क्यों है?
कोयला एक गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से बहुत धीमी गति से बनता है और इसकी जमा की गई मात्रा सीमित होती है। कोयला का निर्माण लाखों वर्षों में होता है, और इसके उपयोग से होने वाली खपत तेजी से होती है। इसका उपभोग और खनन सीमित भंडार की वजह से लंबे समय तक जारी नहीं रह सकता, जिससे यह अंततः समाप्त हो जाएगा।
8. पेट्रोलियम उत्पादों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव डालता है:
वायु प्रदूषण: पेट्रोलियम उत्पादों के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और अन्य हानिकारक गैसें उत्सर्जित होती हैं, जो वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का कारण बनती हैं।
जल प्रदूषण: तेल रिसाव और लीक से समुद्री और अन्य जल स्रोतों में प्रदूषण होता है, जो जलजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाता है।
भू-उपयोग परिवर्तन: पेट्रोलियम निकालने के लिए की जाने वाली गतिविधियों से भूमि उपयोग में परिवर्तन होता है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होते हैं।
9. प्राकृतिक गैस को ऊर्जा स्रोत के रूप में क्यों चुना जाता है?
प्राकृतिक गैस को ऊर्जा स्रोत के रूप में निम्नलिखित कारणों से चुना जाता है:
कम प्रदूषण: प्राकृतिक गैस का जलन CO2 और अन्य प्रदूषकों के कम उत्सर्जन के साथ होता है, जो वायु गुणवत्ता के लिए बेहतर है।
उच्च ऊर्जा घनत्व: प्राकृतिक गैस की ऊर्जा घनत्व उच्च होती है, जिससे छोटी मात्रा में अधिक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
उपलब्धता और लागत: प्राकृतिक गैस विश्व के कई हिस्सों में उपलब्ध है और इसकी कीमत अन्य जीवाश्म ईंधनों की तुलना में अपेक्षाकृत कम होती है।
10. परमाणु ऊर्जा कैसे उत्पन्न होती है?
परमाणु ऊर्जा परमाणु रिएक्टरों में नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न होती है। इसमें यूरेनियम या प्लूटोनियम जैसे भारी परमाणुओं के नाभिक को बमबारी करके तोड़ा जाता है। इस विखंडन प्रक्रिया से बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसे गर्मी के रूप में एकतरफा टरबाइन को चलाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह टरबाइन विद्युत जनरेटर को चलाता है, जो विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है।
11. ऊर्जा स्रोतों की कमी का वैश्विक स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
ऊर्जा स्रोतों की कमी वैश्विक स्तर पर कई प्रकार के प्रभाव डाल सकती है:
आर्थिक प्रभाव: ऊर्जा की कमी से उद्योगों और व्यापारों में उत्पादन लागत बढ़ जाती है, जो आर्थिक वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।
पर्यावरणीय प्रभाव: ऊर्जा स्रोतों की कमी के कारण अधिक प्रदूषणकारी स्रोतों की ओर रुख किया जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
सामाजिक प्रभाव: ऊर्जा की कमी से जीवन स्तर पर प्रभाव पड़ता है, विशेषकर विकासशील देशों में, जहाँ ऊर्जा की पहुँच सीमित होती है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा, और जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
12. सौर ऊर्जा के संयंत्रों की स्थापना के लिए कौन-कौन सी चुनौतियाँ होती हैं?
सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के दौरान निम्नलिखित चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं:
आर्थिक लागत: सौर पैनल और संबंधित अवसंरचना की प्रारंभिक लागत उच्च होती है, जो छोटे निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
जलवायु और स्थान: सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता मौसम की स्थिति और भौगोलिक स्थान पर निर्भर करती है। घने बादलों या कम धूप वाले क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का उत्पादन कम हो सकता है।
स्थान की उपलब्धता: बड़े पैमाने पर सौर पैनल स्थापित करने के लिए पर्याप्त भूमि की आवश्यकता होती है, जो शहरों और विकसित क्षेत्रों में कठिन हो सकता है।
13. पवन टर्बाइनों की दक्षता को कैसे बढ़ाया जा सकता है?
पवन टर्बाइनों की दक्षता बढ़ाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
उच्च गुणवत्ता के ब्लेड: बेहतर डिज़ाइन और सामग्री के ब्लेड अधिक प्रभावी ढंग से हवा को कैप्चर कर सकते हैं।
सही स्थान: पवन टर्बाइन को उन क्षेत्रों में स्थापित करना चाहिए जहाँ स्थिर और उच्च गति की हवा होती है।
स्वचालित नियंत्रण प्रणाली: पवन टर्बाइन में स्वचालित नियंत्रण प्रणाली का उपयोग हवा की दिशा और गति के अनुसार ब्लेड की स्थिति को समायोजित करने के लिए किया जा सकता है।
14. हाइड्रोपावर संयंत्रों में पानी की मात्रा और उसकी गति कैसे मापी जाती है?
हाइड्रोपावर संयंत्रों में पानी की मात्रा और गति मापने के लिए निम्नलिखित उपकरण और तकनीकें प्रयोग की जाती हैं:
फ्लो मीटर: पानी की बहाव की दर को मापने के लिए फ्लो मीटर का उपयोग किया जाता है। यह पानी की मात्रा को मापता है जो किसी निश्चित समय अवधि में बहती है।
स्टेज मीटर: पानी की ऊँचाई (स्टेज) को मापने के लिए स्टेज मीटर का उपयोग किया जाता है। इससे पानी की उपलब्धता और धारा की गति की जानकारी मिलती है।
डाटा लॉगर: पानी की मात्रा और गति के डेटा को एकत्रित करने और रिकॉर्ड करने के लिए डाटा लॉगर का उपयोग किया जाता है, जिससे सटीक जानकारी प्राप्त होती है।
15. भूतापीय ऊर्जा संयंत्रों में गर्मी का स्रोत क्या होता है?
भूतापीय ऊर्जा संयंत्रों में गर्मी का स्रोत पृथ्वी की आंतरिक गर्मी होती है। यह गर्मी ज्वालामुखी गतिविधियों, भूकंपीय गतिविधियों, और गर्म चट्टानों के प्राकृतिक तापमान से उत्पन्न होती है। इन संयंत्रों में गर्मी को एक तरल (जैसे गर्म पानी या भाप) में कैप्चर किया जाता है, जो टरबाइन को चलाने और विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए उपयोग होता है।
16. बायोमास ऊर्जा का क्या उत्पादन प्रक्रिया है?
बायोमास ऊर्जा की उत्पादन प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
संग्रहण: बायोमास (जैसे लकड़ी, कृषि अवशेष, और अन्य जैविक सामग्री) को इकट्ठा किया जाता है।
प्रसंस्करण: बायोमास को छोटा किया जाता है और कभी-कभी सूखा जाता है ताकि उसकी ऊर्जा घनता बढ़ सके।
ऊर्जा रूपांतरण: बायोमास को जलाकर, गैसीफाई करके, या बायोमास से बायोगैस और बायोडीजल उत्पन्न किया जाता है।
उपयोग: उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पादन, हीटिंग, या ईंधन के रूप में किया जाता है।
17. कोयला जलाने से उत्पन्न होने वाले प्रदूषक तत्व कौन-कौन से होते हैं?
कोयला जलाने से निम्नलिखित प्रदूषक तत्व उत्पन्न होते हैं:
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): ग्रीनहाउस गैस जो जलवायु परिवर्तन में योगदान करती है।
साल्फर डाइऑक्साइड (SO2): वायु प्रदूषक जो एसिड वर्षा का कारण बनता है।
नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx): वायु प्रदूषक जो स्वास्थ्य समस्याओं और स्मॉग का कारण बनता है।
पार्टिकुलेट मैटर (PM): छोटे कण जो वायु में फैलकर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
18. पेट्रोलियम रिफाइनरी में विभिन्न उत्पादों की अलग-अलग प्रक्रियाएँ क्या हैं?
पेट्रोलियम रिफाइनरी में निम्नलिखित प्रमुख उत्पादों की प्रक्रियाएँ होती हैं:
डिस्टिलेशन: कच्चे तेल को गर्म करके विभिन्न उत्पादों (जैसे गैसोलीन, डीजल, और केरोसिन) में विभाजित किया जाता है।
क्रैकिंग: भारी हाइड्रोकार्बन को छोटे और अधिक उपयोगी हाइड्रोकार्बन में तोड़ा जाता है।
रिफॉर्मिंग: बेंजीन और अन्य एरोमैटिक यौगिकों की गुणवत्ता और ऊर्जा घनता को सुधारने के लिए प्रक्रिया की जाती है।
ब्लेंडिंग: विभिन्न रिफाइंड उत्पादों को मिलाकर अंतिम उत्पाद तैयार किया जाता है, जैसे कि गैसोलीन और डीजल ईंधन।
19. प्राकृतिक गैस की शुद्धता कैसे मापी जाती है?
प्राकृतिक गैस की शुद्धता मापने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया जाता है:
गैस क्रोमैटोग्राफी: यह एक प्रयोगशाला तकनीक है जो गैस के विभिन्न घटकों को अलग करती है और उनकी मात्रा मापती है।
स्पेक्ट्रोस्कोपी: यह तकनीक गैस के विभिन्न यौगिकों की पहचान और मात्रा की जांच के लिए उपयोग की जाती है।
वाष्प दबाव परीक्षण: यह परीक्षण गैस में अशुद्धियों की मौजूदगी की जांच करता है और गैस की गुणवत्ता को मापता है।
20. परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में किस प्रकार की सुरक्षा प्रोटोकॉल अपनाए जाते हैं?
परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में सुरक्षा प्रोटोकॉल में निम्नलिखित शामिल होते हैं:
नियंत्रण रॉड्स: परमाणु रिएक्टर में न्यूट्रॉन फ्लक्स को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रक रॉड्स का उपयोग किया जाता है।
सुरक्षा कवच: रिएक्टर को एक मजबूत सुरक्षा कवच से घेर दिया जाता है, जो रेडियोधर्मिता के रिसाव को रोकता है।
सतर्क निगरानी: रिएक्टर और अन्य संयंत्रों की निरंतर निगरानी की जाती है, ताकि किसी भी समस्या का त्वरित समाधान किया जा सके।
आपातकालीन योजनाएँ: आपात स्थिति में कार्यवाही के लिए विस्तृत योजनाएँ और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
21. सौर ऊर्जा को स्टोर करने के लिए कौन-कौन सी तकनीकें इस्तेमाल की जाती हैं?
सौर ऊर्जा को स्टोर करने के लिए निम्नलिखित तकनीकें उपयोग की जाती हैं:
बैटरी स्टोरेज: सौर ऊर्जा को विद्युत बैटरियों में स्टोर किया जाता है, जो रात के समय या बाद के उपयोग के लिए ऊर्जा प्रदान करती हैं।
थर्मल स्टोरेज: सौर ऊर्जा को गर्मी के रूप में स्टोर किया जाता है, जैसे सौर थर्मल सिस्टम में तरल (पानी या अन्य तरल) के रूप में।
फेज चेंज मैटेरियल्स (PCMs): ये विशेष सामग्री होती हैं जो तापमान के परिवर्तन पर ऊर्जा को स्टोर और रिलीज करती हैं, और सौर ऊर्जा के भंडारण के लिए उपयोग की जाती हैं।
22. सौर पैनल में कितनी ऊर्जा संचित की जाती है?
सौर पैनल की ऊर्जा संग्रहण क्षमता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है:
सौर पैनल की क्षमता: आमतौर पर, सौर पैनलों की क्षमता 250-400 वाट प्रति पैनल होती है।
सौर विकिरण: सौर विकिरण की तीव्रता और अवधि पैनल की ऊर्जा संचित करने की क्षमता को प्रभावित करती है।
क्लाइमेट और स्थान: पैनल की क्षमता विभिन्न मौसम की स्थिति और भौगोलिक स्थान पर निर्भर करती है। धूप वाले क्षेत्रों में अधिक ऊर्जा संचित की जा सकती है।
23. पवन टरबाइन की क्षमता को बढ़ाने के लिए कौन-कौन सी तकनीकी सुधार किए जा सकते हैं?
पवन टरबाइन की क्षमता बढ़ाने के लिए निम्नलिखित तकनीकी सुधार किए जा सकते हैं:
लंबे ब्लेड: लंबे ब्लेड हवा की अधिक मात्रा को कैप्चर करते हैं, जिससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
वेरिएबल पिच कंट्रोल: ब्लेड के कोण को हवा की गति के अनुसार बदलने से टरबाइन की दक्षता बढ़ाई जा सकती है।
ऑप्टिमाइज्ड डिजाइन: उन्नत डिजाइन और सामग्री के उपयोग से टरबाइन की स्थिरता और दक्षता को बढ़ाया जा सकता है।
24. हाइड्रोपावर का उपयोग किस प्रकार के क्षेत्रों में किया जाता है?
हाइड्रोपावर का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है:
विद्युत उत्पादन: बांधों और जलविद्युत संयंत्रों के माध्यम से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
सिंचाई: हाइड्रोपावर के माध्यम से पानी की आपूर्ति करके कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है।
जल आपूर्ति: नगरों और गांवों को पानी की आपूर्ति के लिए हाइड्रोपावर का उपयोग किया जाता है।
25. भूतापीय ऊर्जा की लागत क्या होती है?
भूतापीय ऊर्जा की लागत निम्नलिखित तत्वों पर निर्भर करती है:
ड्रिलिंग और भूगर्भीय सर्वे: भूतापीय कुओं की ड्रिलिंग और सर्वेक्षण की लागत उच्च हो सकती है।
सिस्टम इंस्टॉलेशन: भूतापीय संयंत्रों की स्थापना की लागत भी अधिक होती है।
लंबी अवधि की लाभप्रदता: हालांकि प्रारंभिक लागत उच्च हो सकती है, भूतापीय ऊर्जा की दीर्घकालिक लागत कम होती है क्योंकि इसका ईंधन मुफ्त है और यह स्थिर है।
26. जैव ऊर्जा के उत्पादन में किन-किन प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जाता है?
जैव ऊर्जा के उत्पादन में निम्नलिखित प्रकार की सामग्री का उपयोग किया जाता है:
कृषि अवशेष: धान, गेहूं, और अन्य फसलों के अवशेष।
वनस्पति तेल: उपयोग किए गए खाद्य तेल और वनस्पति तेल।
पशु वेस्ट: गोबर, खाद और अन्य पशु अपशिष्ट।
नगरीय ठोस कचरा: खाद्य कचरा और अन्य जैविक कचरा।
27. कोयला खनन से संबंधित सुरक्षा समस्याएँ क्या हैं?
कोयला खनन से संबंधित सुरक्षा समस्याओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
धूल और गैसीय प्रदूषण: खनन के दौरान उत्पन्न धूल और गैसीय प्रदूषक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
भूस्खलन: खनन स्थलों पर भूस्खलन और खनन दुर्घटनाओं का खतरा रहता है।
गैसीय विस्फोट: मिथेन जैसी गैसों के विस्फोट का खतरा होता है, जो खनन कार्यकर्ताओं के लिए खतरनाक हो सकता है।
28. पेट्रोलियम का विश्व स्तर पर महत्व क्या है?
पेट्रोलियम का विश्व स्तर पर महत्व निम्नलिखित है:
उर्जा स्रोत: पेट्रोलियम विभिन्न प्रकार की ऊर्जा की आपूर्ति करता है, जैसे गैसोलीन, डीजल, और हीटिंग ऑयल।
औद्योगिक उपयोग: कई औद्योगिक प्रक्रियाओं और रसायनों में पेट्रोलियम का उपयोग किया जाता है।
आर्थिक योगदान: पेट्रोलियम निर्यातक देशों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करता है, और वैश्विक बाजार में इसका बड़ा हिस्सा होता है।
29. प्राकृतिक गैस की प्रमुख उपयोगिता क्या है?
प्राकृतिक गैस की प्रमुख उपयोगिता निम्नलिखित क्षेत्रों में होती है:
ऊर्जा उत्पादन: विद्युत उत्पादन के लिए प्राकृतिक गैस का उपयोग किया जाता है।
हीटिंग: घरेलू और औद्योगिक हीटिंग के लिए प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है।
रसायन निर्माण: कई रसायनों के निर्माण में प्राकृतिक गैस की उपयोगिता होती है, जैसे अमोनिया और मिथेन।
30. सौर ऊर्जा के भविष्य के संभावित विकास क्या हैं?
सौर ऊर्जा के भविष्य के संभावित विकास में निम्नलिखित शामिल हैं:
उन्नत सौर पैनल: अधिक प्रभावी और सस्ता सौर पैनल विकसित किया जा सकता है, जो अधिक ऊर्जा संचित कर सके।
सौर ऊर्जा संग्राहक प्रणाली: बेहतर ऊर्जा संग्रहण तकनीकें, जैसे उन्नत बैटरी और थर्मल स्टोरेज, सौर ऊर्जा की उपलब्धता को बढ़ा सकती हैं।
एकीकृत सौर भवन डिजाइन: इंटिग्रेटेड सौर पैनल और ऊर्जा-प्रेरित भवन डिज़ाइन सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ा सकते हैं और उर्जा कुशल निर्माण की दिशा में योगदान दे सकते हैं।

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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