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Chapter 3: मानव विकास

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प्रश्न 1.  मानव विकास को परिभाषित कीजिए ।

उत्तर – 

  1. स्वस्थ भौतिक पर्यावरण

  2. आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता

  3. लोगों के विकल्पों में विस्तार

  4. शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि

शामिल होते हैं। यदि आप चाहें तो इस वाक्य को सरल या व्याख्यात्मक रूप में लिखा जा सकता है:

1. सरल भाषा में पुनर्लेखन:

“मानव विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लोगों के पास बेहतर जीवन जीने के अधिक विकल्प होते हैं। इसमें उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता और सशक्तीकरण के बेहतर अवसर मिलते हैं, साथ ही वे एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण में जीवन व्यतीत कर सकते हैं।”

2. व्याख्यात्मक रूप में विस्तार:

“मानव विकास का अर्थ केवल आर्थिक वृद्धि से नहीं है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य लोगों की क्षमता का विकास करना है। इसका तात्पर्य है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने की स्वतंत्रता हो, उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं प्राप्त हों, और वे सामाजिक तथा राजनीतिक रूप से सशक्त बनें। यह सब एक ऐसे भौतिक और सामाजिक वातावरण में संभव हो जो स्वस्थ और समावेशी हो।”

प्रश्न 2.  उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तर के दो कारण बताइए ।

उत्तर – सरल एवं स्पष्ट भाषा में पुनर्लेखन:

भारत के प्रमुख 15 राज्यों में से उत्तर भारत के बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्यों में मानव विकास का स्तर काफी कम है। इसका मुख्य कारण इन राज्यों में शिक्षा और आर्थिक विकास की स्थिति का कमजोर होना है। इसके साथ ही सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक कारण भी मानव विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं।

शैक्षणिक या विश्लेषणात्मक शैली में:

देश के प्रमुख 15 राज्यों में मानव विकास की दृष्टि से उत्तर भारत के बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्य अपेक्षाकृत पिछड़े हैं। इन राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तर का प्रमुख कारण निम्न साक्षरता दर और आर्थिक पिछड़ापन है। इसके अतिरिक्त सामाजिक विषमता, राजनीतिक अस्थिरता और ऐतिहासिक उपेक्षा जैसे कारक भी मानव विकास की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।

यदि किसी निबंध या रिपोर्ट के लिए भूमिका चाहिए:

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में मानव विकास का स्तर सभी राज्यों में समान नहीं है। विशेषकर उत्तर भारत के कुछ राज्यों में यह स्तर काफी चिंताजनक है। बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्यों में शिक्षा और आर्थिक संसाधनों की कमी के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियाँ भी मानव विकास में रुकावट उत्पन्न करती हैं। इन राज्यों में समावेशी विकास के लिए विशेष प्रयासों की आवश्यकता है।

प्रश्न 3.  भारत के बच्चों में घटते लिंगानुपात के दो कारण बताइए ।

उत्तर – भारत में लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में लगातार कम होती जा रही है, खासकर 0 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों में यह अंतर बहुत ही चिंता का विषय बन गया है। यह स्थिति समाज के लिए अवांछनीय और खतरनाक संकेत है। केरल को छोड़कर, जहाँ साक्षरता दर सबसे ज़्यादा है और लिंगानुपात अपेक्षाकृत संतुलित है, बाकी लगभग सभी राज्यों में बालिकाओं की संख्या में गिरावट आई है। सबसे ज़्यादा चिंताजनक स्थिति पंजाब और हरियाणा जैसे विकसित राज्यों में देखने को मिलती है, जहाँ प्रति 1000 लड़कों पर केवल 800 या उससे भी कम लड़कियाँ हैं। इस समस्या के पीछे मुख्य कारण लिंग परीक्षण की तकनीकों का गलत इस्तेमाल और समाज का बेटियों के प्रति नकारात्मक रवैया है। जब तक लोगों की सोच में बदलाव नहीं आएगा और बेटियों को भी बराबरी का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक यह स्थिति और गंभीर होती जाएगी।

प्रश्न 4 . भारत में 2001 के स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रारूपों की विवेचना कीजिए और इसके लिए उत्तरदायी कारणों को समझाइए ।

उत्तर – भारत में (जनगणना 2001 के अनुसार) कुल साक्षरता दर लगभग 65.4 प्रतिशत थी, लेकिन महिलाओं की साक्षरता दर केवल 54.16 प्रतिशत थी। यह दर्शाता है कि देश में अब भी स्त्रियों की शिक्षा को वह स्थान नहीं मिला है जिसकी उन्हें ज़रूरत है। दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में कुल और महिला साक्षरता दर, दोनों ही राष्ट्रीय औसत से बेहतर हैं। इसके विपरीत, देश के कुछ राज्यों में साक्षरता की स्थिति काफी कमजोर है। उदाहरण के लिए, बिहार में साक्षरता दर केवल 47.53% है, जबकि केरल और मिज़ोरम जैसे राज्यों में यह दर क्रमशः 90.92% और 88.49% है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में साक्षरता के स्तर में भारी क्षेत्रीय असमानता है। केवल राज्यों के बीच ही नहीं, बल्कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों, स्त्रियों और पुरुषों, सामान्य वर्ग और अनुसूचित जाति/जनजाति, कृषि मजदूरों और अन्य सीमांत वर्गों के बीच भी साक्षरता में बड़ा अंतर है। हालाँकि सीमांत वर्गों में साक्षरता दर में कुछ सुधार हुआ है, फिर भी अमीर और गरीब वर्गों के बीच यह अंतर समय के साथ और भी बढ़ गया है। यह जरूरी है कि शिक्षा के क्षेत्र में सभी वर्गों को समान अवसर मिलें, ताकि देश में समावेशी और टिकाऊ विकास संभव हो सके।

प्रश्न 5.  भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारकों ने स्थानिक भिन्नता उत्पन्न की है।

उत्तर – भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तर में काफी अंतर पाया जाता है। इस अंतर के लिए कई सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारण जिम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए, केरल का मानव विकास सूचकांक देश में सबसे ऊँचा है। इसका मुख्य कारण वहाँ की लगभग शत-प्रतिशत साक्षरता दर (90.92%) और शिक्षा के क्षेत्र में की गई प्रभावी नीतियाँ और कार्यवाही हैं। इसके विपरीत, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य हैं जहाँ साक्षरता दर बहुत कम है और मानव विकास का स्तर भी निम्न है। यह भी देखा गया है कि जिन राज्यों में साक्षरता दर अधिक है, वहाँ पुरुषों और महिलाओं की साक्षरता दर में अंतर भी कम होता है। यह लैंगिक समानता की दिशा में सकारात्मक संकेत है। शिक्षा के साथ-साथ आर्थिक प्रगति भी मानव विकास पर बड़ा प्रभाव डालती है। आर्थिक रूप से विकसित राज्यों में मानव विकास सूचकांक का स्तर सामान्यतः अन्य राज्यों की तुलना में अधिक होता है। इसके अतिरिक्त, भारत में औपनिवेशिक काल में बनी प्रादेशिक असमानताएँ, सामाजिक विषमताएँ और राजनीतिक उपेक्षा आज भी देश की अर्थव्यवस्था, शासन प्रणाली और समाज पर गहरा प्रभाव डाल रही हैं। जब तक इन गहरे कारणों को दूर नहीं किया जाएगा, तब तक समग्र मानव विकास संभव नहीं हो पाएगा।

Author

SANTU KUMAR

I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.

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