Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 11 Solutions – सूखी नदी का पुल

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‘सूखी नदी का पुल’ रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित एक मार्मिक और यथार्थपरक आंचलिक कहानी है, जो बिहार के ग्रामीण जीवन के सामाजिक, सांस्कृतिक और भौतिक परिवर्तनों को सजीव रूप में प्रस्तुत करती है। यह कहानी उत्तर बिहार के एक गाँव की पृष्ठभूमि में रची गई है, जहाँ विकास की आड़ में पारंपरिक जीवनशैली, मूल्यों और संबंधों का क्षरण होता दिखाई देता है। कहानी की मुख्य पात्र लीलावती एक संवेदनशील और जागरूक ग्रामीण स्त्री है, जो गाँव की बदलती संस्कृति और सामाजिक मूल्यों को देखकर व्यथित होती है। उसके माध्यम से लेखक ने ग्रामीण समाज में आधुनिकता और परंपरा के बीच के संघर्ष को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से उजागर किया है। यह कहानी केवल एक गाँव के भूगोल या पुल के निर्माण की बात नहीं करती, बल्कि उन भावनात्मक और सामाजिक पुलों के टूटने की ओर भी संकेत करती है, जो पहले लोगों को जोड़ते थे। दिनकर जी ने ग्रामीण जीवन की सरलता, आत्मीयता और सामूहिकता को बड़े मार्मिक ढंग से उकेरा है। यह अध्याय छात्रों को समाज के बदलते स्वरूप, ग्रामीण समस्याओं, और आधुनिक विकास की चुनौतियों को समझने में मदद करता है। यह कहानी विद्यार्थियों को सांस्कृतिक चेतना, सम्वेदना और समाज-चिंतन के लिए प्रेरित करती है।

Bihar Board Class 9 Hindi Chapter 11 Solutions

Subject Hindi
Class 9th
Chapter 11. सूखी नदी का पुल
Author रामधारी सिंह दिनकर
Board Bihar Board

प्रश्न 1. स्टेशन के बाहर लगी जीप को देखकर लीलावती के मन को ठेस क्यों लगी?

उत्तर – लीलावती को ठेस इसलिए लगी क्योंकि उसकी अपेक्षाएँ और यथार्थ के बीच गहरा अंतर था। वर्षों बाद गाँव लौटते समय उसके मन में यह आशा थी कि गाँव के अनेक लोग उसे लेने स्टेशन पर आएँगे, लेकिन वहाँ सिर्फ कुछ गिने-चुने लोग ही पहुँचे। उसे उम्मीद थी कि बचपन की याद दिलाने वाली बैलगाड़ी उसे गाँव ले जाएगी, लेकिन जब उसने जीप देखी तो उसे आधुनिकता का आक्रामक प्रभाव महसूस हुआ। इन घटनाओं से लीलावती को लगा कि गाँव अब वैसा नहीं रहा जैसा वह छोड़कर गई थी। उसे यह देखकर दुख हुआ कि गाँव की परंपराएँ, आत्मीयता और भावनात्मक जुड़ाव धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। यही बोध उसके हृदय को चोट पहुँचाता है और उसे मानसिक रूप से व्यथित कर देता है।

प्रश्न 2. गाँव शहर से किस प्रकार भिन्न होता है? वर्णन करें।

उत्तर – गाँव और शहर के जीवन में मूलभूत अंतर सामुदायिकता बनाम व्यक्तिवाद का होता है। गाँवों में लोग एक-दूसरे को भली-भांति जानते हैं और आपस में एक परिवार की तरह रहते हैं। वहाँ पारस्परिक सहयोग, भावनात्मक जुड़ाव और सामाजिक संबंधों की गर्माहट अधिक होती है। इसके विपरीत, शहरों में जीवन अपेक्षाकृत व्यक्तिकेंद्रित और व्यस्त होता है। लोग अक्सर अपने पड़ोसियों तक को नहीं जानते और सामाजिक दूरी अधिक देखने को मिलती है। गाँवों में जीवन अपेक्षाकृत प्राकृतिक, शांत और सरल होता है, जहाँ खेत, वृक्ष और खुला आकाश जीवन का हिस्सा होते हैं। जबकि शहरों में जीवन तेज़, सुविधाजनक लेकिन तनावपूर्ण होता है, जहाँ भौतिक संसाधनों की भरमार तो है, पर आत्मीयता की कमी महसूस होती है। इस प्रकार, गाँव और शहर के जीवन में भौतिक सुविधाओं से अधिक मानवीय संबंधों और जीवनशैली का अंतर प्रमुख रूप से दिखाई देता है।

प्रश्न 3. ‘बुच्ची दाय’ सुनने में लीलावती को आनंदातिरेक की अनुभूति क्यों होती है?

उत्तर – लीलावती को ‘बुच्ची दाय’ सुनकर विशेष आनंद इसलिए होता है क्योंकि यह संबोधन उसके बचपन की स्मृतियों और गाँव की आत्मीयता को पुनर्जीवित कर देता है। यह नाम पुकारते ही उसे अपनेपन, स्नेह और जड़ों से जुड़ाव का गहरा एहसास होता है शहरी जीवन में जहाँ रिश्ते औपचारिक और दूरीपूर्ण हो जाते हैं, वहाँ ऐसे स्नेहिल और आत्मीय संबोधन प्रायः अनुपस्थित होते हैं। इसलिए जब कोई ग्रामीण उसे उसी पुराने नाम से पुकारता है, तो वह भावुक हो उठती है और उसे ऐसा लगता है जैसे वह फिर से अपने सच्चे, सरल और आत्मीय संसार में लौट आई हो। यह संबोधन उसके लिए केवल एक नाम नहीं, बल्कि संवेदनाओं से भरी एक दुनिया है, जो उसे शहरी जीवन की नीरसता के बीच भी गाँव की खुशबू और आत्मीयता का अहसास कराता है।
 

प्रश्न 4. बुच्ची दाय को सबसे ज्यादा किसकी याद आती है और क्यों?

उत्तर – बुच्ची दाय को सबसे अधिक सहेलिया माय की याद आती है, जिसने लीलावती को अपने दूध से पाला-पोसा था। सहेलिया माय लीलावती के लिए केवल एक नौकरानी नहीं, बल्कि एक दूसरी माँ के समान थीं। लीलावती की माँ ने भी उन्हें अपनी बेटी की तरह माना था और “दूसरी माँ” कहा था। यह रिश्ता केवल कार्यकर्ता और कामगार का नहीं था, बल्कि एक गहरा भावनात्मक और मातृत्वपूर्ण संबंध था, जिसमें स्नेह, देखभाल और अपनत्व की भावना प्रबल थी। इसी कारण बुच्ची दाय के मन में सहेलिया माय के लिए विशेष सम्मान और प्रेम विद्यमान है।
 

प्रश्न 5. गाँव में लीलावती फोन, फ्रिज, टीवी, वीसीडी की जगह क्या देखना चाहती है?

उत्तर – लीलावती आधुनिक उपकरणों और भौतिक सुख-सुविधाओं की जगह अपने गाँव की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत को देखना चाहती है। वह अपने गाँव की नदी-तालाब, खेत-खलिहान, पगडंडियाँ, स्थानीय देवी-देवताओं के स्थान, और अपनी सखी-सहेलियों से मिलना चाहती है। उसे शहरी जीवन की तेज़ रफ्तार और आधुनिकता से अधिक अपनी गाँव की सादगी, आत्मीयता और प्राकृतिक सौंदर्य की याद सताती है। यही कारण है कि वह अपने गाँव की उन पारंपरिक और सजीव छवियों को महसूस करना चाहती है, जो उसके दिल के बहुत करीब हैं।

प्रश्न 6. प्रस्तुत कहानी में प्रयुक्त उन तथ्यों को एकत्र करें, जिससे ग्रामीण जीवन का चित्र उभरता है।

उत्तर – इस कहानी में ग्रामीण जीवन का सजीव चित्रण निम्नलिखित तत्वों के माध्यम से उभरता है:
  • परिवहन: बैलगाड़ी का उल्लेख, जो गाँव की पारंपरिक सवारी का प्रतीक है।

  • प्राकृतिक स्थल: नदी, तालाब, खेत, खलिहान — ये ग्रामीण जीवन की प्रकृति के साथ निकटता को दर्शाते हैं।

  • ग्रामीण रास्ते: पगडंडियाँ, जो गाँव की संकरी और असली राहों का परिचय कराती हैं।

  • धार्मिक स्थल: नाथ बाबा का स्थान, बरहम बाबा का मंदिर — जो स्थानीय आस्था और धार्मिक जीवन को दर्शाते हैं।

  • स्थानीय संस्कृति: राजा सल्हेश का गहबर — जो गाँव की सांस्कृतिक विरासत और लोककथाओं का प्रतीक है।

ये सभी तत्व मिलकर ग्रामीण जीवन की सरलता, आत्मीयता, प्रकृति से जुड़ाव और सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करते हैं। कहानी के माध्यम से गाँव का जीवनशैली और उसकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान पाठकों के सामने स्पष्ट हो जाती है।

प्रश्न 7. बुच्ची दाय जब सहेलिया माय से मिलने पहुंची तो सबको अचरज क्यों हुआ? वहाँ के दृश्य का वर्णन करें।

उत्तर – बुच्ची दाय के आने पर सबको आश्चर्य इस कारण हुआ क्योंकि उस समय वहाँ का माहौल अत्यंत तनावपूर्ण था। लोग एक-दूसरे से तकरार और यहाँ तक कि गोली-पिस्तौल की बातें भी कर रहे थे। ऐसे तनावपूर्ण परिवेश में बुच्ची दाय का अचानक प्रवेश एक शांतिपूर्ण बदलाव लेकर आया। जब लीलावती और सहेलिया माय की मुलाकात हुई, तो उनका मिलन अत्यंत भावुक और हृदयस्पर्शी था। लीलावती सहेलिया माय को गले लगाकर रोने लगी, जिससे वहाँ उपस्थित सभी लोग भावविभोर हो गए। इस दृश्य को देखकर पूरा टोला एकत्रित हो गया और इस घटना ने सभी को गहराई से भावनात्मक रूप से प्रभावित किया। बुच्ची दाय के आने से जहाँ माहौल में प्रेम और अपनत्व की भावना जागी, वहीं तनाव भी समाप्त होने लगा।

प्रश्न 8. लीलावती खासटोली और बबुआन टोली को तबाह होने से किस प्रकार बचा लेती है?

उत्तर – लीलावती ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति और समझदारी भरे व्यवहार से दोनों टोलियों के बीच सौहार्द और शांति स्थापित की। उसने सभी को समझाया कि झगड़ा और हिंसा से कोई लाभ नहीं होता, बल्कि इससे केवल विनाश होता है। उसकी बातों से प्रभावित होकर सोनेलाल के बेटे कलेसर ने सार्वजनिक रूप से हिंसा न करने की कसम ली। लीलावती की इस मध्यस्थता ने लोगों के मन में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सहानुभूति की भावना जागृत की। इस प्रकार, लीलावती ने अपने धैर्य और विवेक से दोनों टोलियों को आपसी लड़ाई-झगड़े से बचा लिया और उन्हें एक-दूसरे के प्रति सद्भाव और सहयोग के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 9. लीलावती अपनी पांच एकड़ जमीन भैया कोन देकर सहेलिया माय के नाम करने का फैसला क्यों करती है?

उत्तर – लीलावती ने जमीन दान करने का निर्णय कई महत्वपूर्ण कारणों से लिया:
  1. जमीन विवाद का कारण बन रही थी: यह जमीन गाँव में आपसी टकराव और झगड़े का प्रमुख कारण बन रही थी।

  2. सहेलिया माय का ऋण चुकाना: सहेलिया माय ने उसे माँ की तरह पाला-पोसा था, और वह उस उपकार का ऋण चुकाना चाहती थी।

  3. गाँव में शांति और एकता स्थापित करना: लीलावती चाहती थी कि गाँव में भाईचारे और सद्भावना बनी रहे।

  4. माँ के प्रेम का महत्व समझना: उसने महसूस किया कि माँ का स्नेह और प्यार किसी भी भौतिक संपत्ति से कहीं अधिक मूल्यवान है।

  5. जाति और वर्ग भेदभाव मिटाना: इस कदम से वह गाँव में व्याप्त जातिगत और सामाजिक भेदभाव को समाप्त करना चाहती थी।

इस प्रकार, लीलावती का यह निर्णय केवल एक संपत्ति का दान नहीं, बल्कि समाज में प्रेम, मेलजोल और समानता की स्थापना का प्रतीक था।

प्रश्न 10. शीर्षक की सार्थकता पर विचार करते हुए कहानी का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – सूखी नदी का पुल’ शीर्षक कहानी के केंद्रीय भाव को गहरे और प्रतीकात्मक रूप में व्यक्त करता है। यहाँ सूखी नदी गाँव में आए बदलावों और सामाजिक मूल्यों के क्षरण का प्रतीक है, जो यह दर्शाती है कि कैसे पारंपरिक जीवनशैली और संबंध धीरे-धीरे फीके पड़ रहे हैं। वहीं, पुल उन समस्याओं और दूरियों को समाप्त करने तथा लोगों को जोड़ने का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि कठिनाइयों के बावजूद आपसी प्रेम, समझ और सहयोग से सामाजिक सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। कहानी का मुख्य विषय ग्रामीण समाज में हो रहे सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक बदलाव हैं, जिन्हें लेखक ने यथार्थवादी और संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया है। शहरीकरण और आधुनिकता ने जहाँ ग्रामीण जीवन को प्रभावित किया है, वहीं कहानी यह भी दर्शाती है कि माधुर्य, त्याग और सहिष्णुता से समस्याओं का समाधान संभव है। लीलावती का चरित्र इस बदलाव की साक्षी और समाधान का प्रतीक है, जो प्रेम और समझदारी से गाँव में सौहार्द स्थापित करती है।
Author

SANTU KUMAR

I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.

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