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⭐तुलसीदास – जीवन परिचय

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1. प्रारंभिक जीवन

गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 (1532 ई.) में उत्तर प्रदेश के राजापुर (चित्रकूट) में माना जाता है। उनके पिता का नाम अतुलनंद दुबे और माता का नाम हुलसी था। जन्म के समय तुलसीदास रोकर नहीं, बल्कि “राम-राम” बोलकर मुस्कराए थे, इसलिए उनका नाम “रंभोला” रखा गया। जन्म के थोड़े समय बाद माता-पिता का साया उठ गया और उनका पालन–पोषण संत नरहरिदास ने किया।


2. शिक्षा

तुलसीदास को वेद, पुराण, व्याकरण, ज्योतिष और साहित्य का गहन अध्ययन कराया गया। बाल्यावस्था से ही वे अत्यंत मेधावी थे। संस्कृत तथा अवधी दोनों भाषाओं पर उनका समान अधिकार था। बचपन से ही उनमें भक्ति भाव, विशेषकर राम भक्ति के प्रति गहरी आस्था विकसित हुई।


3. विवाह एवं जीवन–परिवर्तन

तुलसीदास का विवाह रत्नावली नामक स्त्री से हुआ था। रत्नावली अत्यंत बुद्धिमती थीं। एक बार पत्नी–वियोग के दौरान उन्होंने तुलसीदास को कहा—
“लाज न आई आपको राम? छोड़ देह गोपाला!”
अर्थात शरीर के प्रति इतना मोह यदि राम में लगा दें, तो जीवन धन्य हो जाए।
इन वचनों ने तुलसीदास के जीवन की दिशा बदल दी और वे रामभक्ति में पूर्णतः समर्पित हो गए।


4. करियर / प्रमुख योगदान

तुलसीदास को हिंदी साहित्य में भक्तिकाल का महानतम कवि माना जाता है। उन्होंने भगवान राम के अद्वितीय चरित्र को लोकभाषा में प्रस्तुत कर भारत के जन-जन में अध्यात्म और नैतिक जीवन का संदेश पहुँचाया।
उनकी प्रमुख कृति ‘रामचरितमानस’ है, जिसे हिंदू धर्म का “लोक-ग्रंथ” माना जाता है।
तुलसीदास की कविता में भक्ति, नीति, आदर्श और सरल, मधुर भाषा का उत्कृष्ट रूप मिलता है।


5. प्रमुख रचनाएँ

  1. रामचरितमानस
  2. कवितावली
  3. विनय पत्रिका
  4. गीतावली
  5. हनुमान चालीसा
  6. दोहावली
  7. कृष्णगीतावली
  8. जानकी मंगला
  9. रामलल्ला नहछू
  10. पार्वती मंगल

इनमें ‘रामचरितमानस’ भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है, जिसका पाठ आज भी प्रत्येक घर में होता है।


6. उपलब्धियाँ / साहित्यिक महत्व

  • तुलसीदास ने रामकथा को संस्कृत से निकालकर जनभाषा अवधी में लिखकर सामान्य जनता तक पहुँचाया।
  • उन्होंने काव्य को लोक–जीवन से जोड़ा और आदर्शवाद प्रस्तुत किया।
  • उनकी रचनाओं ने हिंदी को सांस्कृतिक पहचान प्रदान की।
  • वे भक्तिकाल में रामभक्ति शाखा के सबसे बड़े प्रतिनिधि माने जाते हैं।

7. मृत्यु / विरासत

तुलसीदास का देहावसान 1623 ई. में वाराणसी में हुआ। उनकी समाधि अस्सी घाट पर है। आज भी पूरा विश्व उनके द्वारा रचित रामचरितमानस, विनय पत्रिका और हनुमान चालीसा का पाठ श्रद्धा से करता है। उनकी काव्य परंपरा भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, नैतिकता और साहित्य को सदैव प्रेरणा देती रहेगी।


8. रोचक तथ्य

  • कहा जाता है कि तुलसीदास को स्वयं भगवान हनुमान के दर्शन हुए थे।
  • उनके द्वारा रचित हनुमान चालीसा आज विश्व में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली रचनाओं में से एक है।
  • जनश्रुति है कि उनके द्वारा लिखी पंक्तियाँ “सब कर मोह…” से बादशाह जहांगीर भी प्रभावित हुआ था।
  • वे पहले कवि थे जिन्होंने रामकथा को सात कांडों में विभाजित कर सरल रूप दिया।
Author

SANTU KUMAR

I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.

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