सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ – जीवन परिचय
(Sachchidananda Hirananda Vatsyayan “Agyeya” Biography in Hindi)
1. प्रारंभिक जीवन
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का जन्म 7 मार्च 1911 को उत्तर प्रदेश के कसया (कुशीनगर) में हुआ। उनके पिता हीरानन्द शास्त्री प्रसिद्ध पुरातत्वविद् थे, जिसके कारण अज्ञेय का बचपन विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थानों में बीता। बचपन से ही वे अत्यंत संवेदनशील, जिज्ञासु और अध्ययनशील प्रवृत्ति के थे।
2. शिक्षा
अज्ञेय की प्रारंभिक शिक्षा लाहौर और पटना में हुई। बाद में उन्होंने लाहौर के फ़ोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से अंग्रेज़ी और रसायन विज्ञान का अध्ययन किया। शिक्षा के दौरान ही वे साहित्य, राजनीति और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हुए। उनकी रुचि विज्ञान, भाषाओं और साहित्य—तीनों में समान रूप से रही।
3. करियर / प्रमुख योगदान
अज्ञेय आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि, उपन्यासकार, संपादक और विचारक थे।
उनका सबसे बड़ा योगदान प्रयोगवाद और नयी कविता को विकसित और स्थापित करना है।
उन्होंने हिंदी कविता में भाषा, भाव और शैली के नए मार्ग खोले।
मुख्य योगदान—
- हिंदी में प्रयोगवाद और नयी कविता आंदोलन का नेतृत्व
- पत्रिकाओं ‘समान्तर’, ‘प्रतीक’, ‘दिनमान’ आदि का संपादन
- साहित्य में आधुनिकता, मनोविश्लेषण, आत्मबोध और स्वतंत्रता की भावना को प्रमुखता देना
- आमजन और साहित्य को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका
4. उपलब्धियाँ
- हिंदी साहित्य में आधुनिक भावबोध की स्थापना
- नई कविता और प्रयोगवाद के जनक माने जाते हैं
- उपन्यासों में नई शैलियों का सफल प्रयोग
- देश की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं के संस्थापक-संपादक
- अनेक भाषाओं पर मजबूत पकड़—हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत, उर्दू, पंजाबी आदि
5. प्रमुख रचनाएँ
अज्ञेय की रचनाएँ कविता, उपन्यास, कहानी, यात्रा-वृत्तांत, निबंध, आलोचना आदि हर क्षेत्र में फैली हुई हैं।
कविता संग्रह
- हरी घास पर क्षणभर
- असाध्य वीणा
- इंद्रधनुष रौंदे हुए
उपन्यास
- शेखर: एक जीवनी (सबसे प्रसिद्ध उपन्यास)
- नदी के द्वीप
- अपने-अपने अजनबी
कहानी संग्रह
- अरे यायावर रहेगा याद?
- कोयला और कवि
अन्य रचनाएँ
- यात्रा-वृत्तांत
- संपादकीय लेख
- साहित्यिक आलोचना
- युद्ध-संस्मरण
6. पुरस्कार / सम्मान
- साहित्य अकादमी पुरस्कार – नदी के द्वीप के लिए (1957)
- भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार – कितनी नावों में कितनी बार (1964)
- पद्मभूषण – साहित्य और शिक्षा में योगदान (1976)
7. मृत्यु / विरासत
अज्ञेय का निधन 4 अप्रैल 1987 को हुआ।
उनकी साहित्यिक विरासत इतनी विशाल है कि उन्हें आधुनिक हिंदी कविता का शिल्प-शोधक, नयी कविता का जनक, और प्रयोगवाद का प्रवर्तक माना जाता है।
आज भी उनकी रचनाएँ नए लेखकों, कवियों और शोधार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
8. रोचक तथ्य
- अज्ञेय ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और जेल भी गए।
- वे भारतीय सेना में कैप्टन रहे और युद्ध-संबंधी लेखन भी किया।
- उन्होंने हिंदी में मुक्त कविता और प्रतीकवाद का सफल प्रयोग किया।
- आधुनिक लेखन में “मैं” की खोज को सबसे सुंदर रूप दिया।
- उनका जीवन जितना विविध, रचनाएँ उतनी ही बहुआयामी रहीं।
