प्रश्न 1. 1857 की क्रांति के कारण लिखे
या
किन परिस्थियों के कारण 1857 की क्रांति हुई |
या
सिपाही विद्रोह के कारण लिखे |
उत्तर – 1857 की क्रांति जिसे हम सिपाही विद्रोह के नाम से भी जानते है | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण क्रांति थी | इस क्रांति के कारणों के लेकर इतिहासकार राजनितिक कारण को प्राथमिकता देते है तो कुछ इतिहासकार सामाजिक, आर्थिक और तत्कालीन कारण को प्राथिमकता देते है इस तरह स्पष्ट है विरोध विद्रोह की व्यापकता को देखते हुए इसके एक से अधिक कारण था —
1. राजनितिक कारण -: यह 1857 की क्रांति का एक महत्वपूर्ण कारक है | राजनितिक कारण के अंतर्गत हम देखते है कि अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी छल,बल और कूटनीति के सहारे भारत में शासन किया और उसने आग में घी डालने का कम डलहौजी की नीतियां ने किया |
a). डलहौजी कि नीतियां -: डलहौजी की नीतियां भारत विरोधी थी उसने पेशवा बाजीराव के दूसरा पुत्र नाना साहब की वार्षिक पेंशन बंद कर दी | कई लोगों को गोद लेने से मना कर दिया गया | डलहौजी ने राज्य हडप नीति व्यपगत नीति राज्य हडप नीति के द्वारा निम्न राज्यों को अपने राज्य में मिला लिया |
सतारा | 1848 (महाराष्ट्र) |
जेतपुर | 1849 (महाराष्ट्र) |
सम्म्लपुर | 1849 (उड़ीसा) |
बघाट | 1850 (मध्य-प्रदेश) |
उदयपुर | 1852 (राजस्थान) |
झाँसी | 1853 (उत्तर-प्रदेश) |
नागपुर | 1854 (महाराष्ट्र) |
कुशासन के आधार पर डलहौजी ने 1856 में बरार एवं अवध को अपने सम्राज्य में मिलाया था |
b). प्रशासनिक पक्षपात -: प्रशासन में उपेक्षा का भाव पैदा किया गया था | अंग्रेजों ने प्रशासनिक क्षेत्र को भ्र्फ्ट बना दिया था बहुत संख्या में बड़े पदाधिकारी रिश्वत लेकर काम किया करते थे | कम्पनी सरकार की न्यायव्यवस्था बहुत हि दोषपूर्ण थी | धन और समय का बर्बादी होता है | राजस्व व्यवस्था दोषपूर्ण था | नौकरी में भारतीयों के साथ भेद भाव किया जाता था | देशी रियासतों के अंग्रेजी राज्य में विलय से मुल्ला, कलाकारी पंडित के सामने बेरोज़गारी खड़ी हो गुई |
2. आर्थिक कारण -: 1757 के पश्चात ब्रिटिश आर्थिक नीतियाँ भारतीय हितो की प्रतिकूल थी |अंग्रेज सिर्फ अपने फ़ायदे के लिए यंहा उपनेवेश स्थापित करना चाहते थे | अंग्रेजों ने भारत से कच्चा माल लिया और उसे इंग्लेंड भेजा फिर इंग्लेंड से तेयार वस्तुओं की बिक्री भारत में की गई जो भारतीय वस्तुओं से सस्ते होते थे | जिसके कारण भारत में कुटीर उद्योग का ह्रास होने लगा |
अंग्रेजों की मुक्त व्यापार की नीति (1813) से शुरुआत कुटीर उद्योग को नष्ट किया | फलस्वरूप भारत में हस्तकर्धा उद्योग बहुत हि प्रभावित हुआ एवं दस्तक, कृषक कारीगर एवं भारतीय जमींदार बहुत ही प्रभावित हुए |
ब्रिटिश आर्थिक शोषण द्वारा समाज के सभी वर्ग प्रभावित हुए | और उनमे भारी असंतोष की भावना जाग्रत हुई | इस तरह वै अंग्रेज के खिलाफ होते चले गए |
3. सामाजिक कारण -: समाज में भी अंग्रेजों ने अपेक्षा का दृष्टीभाव रखा | अंग्रेज अपने की उच्च जाती समझते थे | और भारतीयों को निम्न जाती का और प्राय: भारतीयों को काला कहकर बुलाते थे |आगे चलाकर उन्होंने भारतीय रीती रिवाजों में भी परिवर्तन लेन का कार्य किया | जेसे – बाल विवाह, सटी प्रथा एवं गोद लेने की प्रथा पर रोक लगाया एवं विधवा विव्ह को जायज ठहराया |
4. धार्मिक कारण -: 1857 की क्रांति का यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है | इसाई मिशिनारियो ने भारत में धर्म परिवर्तन करने का कार्य किया | इसाई मशिनिरियो द्वारा स्कूलों में बाइबिल की शिक्षा अनिवार्य कर डी गई और इसाई धर्म स्वीकार करने वाले लोगों की विशेष छुट प्रदान की गई | लार्ड विलियम बेटिंग ने एक कानून इसाई धर्म स्वीकार करने वाले लोगों को सम्पति में हिस्सा प्रदान किया | फलस्वरूप पंडित, मुल्ला जेसे विभिन्न धर्मो के धार्मिक गुरु लोगों को घूम-घूमकर अंग्रेजों के खिलाफ भड़काया और क्रांति के लिए लोगों में जोरा लाया एवं जागृत किया |
5. सेनिक कारण -: 1857 की क्रांति अर्थात सिपाही विद्रोह का एक अत्यंत हि महत्वपूर्ण कारण सेनिक कारण था | ब्रिटिश की आर्थिक नीतियाँ भारतीय हितो के प्रतिकूल थी | भारतीय सेनिको को सेना में सिर्फ निम्न पद दिया जाता था | ज्यादा से ज्यादा सूबेदार तक का पद मिलता था | उच्च पद केवल अंग्रेजों के लिए सुरक्षित थे | भारतीय सेनिको को है, दृष्टिकोण से देखा जाता था | वेतन के निर्धारण में भी काफ़ी अंतर मिलता है | एक तरफ़ सेना में भारतीय सेनिको को निम्न वेतन मिलता था | वही दूसरी तरफ़ अंग्रेज सेनिको को निम्न वेतन मिलता था | 1854 के डाकघर अधिनियम के द्वारा नी:शुल्क डाक सुविधा भारतीय के समाप्त कर डी गई | वही अधिनियम के समान्य सेवा भर्ती अधिनियाम्म के तहत अब भारतीय सेनिको को समुद्र पार करके युद्ध लड़ने के लिए भेजा जाने लगा | बंगाल में अवध के सेनिक अधिकांश उनके नवाब को डलहौजी ने दुर्यव्यव्हार किया जिससे अवध के सेनिक बंगाल में नराज हुए | इस प्रकार सेनिको ने 1857 की क्रांति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया |
6. तत्कालीन कारण -: 1857 की क्रांति से पहले ब्रिटिश सरकार ने पुराने राइफल ब्राउन बेश को बंद करके एक नवीन राइफल एन फिल्ड राइफल का प्रयोग या प्रचलन शुरू किया गया | जिसमें भरे जाने वाले कारतूस का उपरी आवरण सूअर और गाय के चर्बी से युक्त कागज से लपेटा हुआ रहता था | जिसे सेनिको के मुहँ से खिंच कर प्रयोग करना पड़ता था | इसके कारण हिन्दू-मुस्लिम जेसे धार्मिक लोगों का धर्म नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो गया | जिसका उदाहरण मंगल पाण्डेय द्वारा किए गए अधिकारियों की हत्या से पत्ता चलता है |
*नेतृत्व एवं नेतृत्वकर्ता*
1. दिल्ली -:
- दिल्ली से विद्रोह का नेतृत्व बहादुर शाह जफर ने किया | जिसका मुख्य नाम बहादुर शाह द्वितीय था
- इनकी पत्नी का नाम जीन्नत महल था | जिसे महकपरी की उपाधि दी गई |
- ये दोनों जंहा रहते थे उसे हुमायूँ का मकबरा कहा जाता था | जंहा से अंग्रेज सेनापति S.R हर्डसन ने गिरफ्तार किया |
- बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार करके रंगून भेज दिया गया था | जंहा 1862 में उनकी मृत्यु हो गई |
- बहादुर शाह जफर न केवल दिल्ली से विद्रोह का नेतृत्व किया बल्की जफर नाम से कविता एवं शायरी लिखे थे |
2. कानपूर -:
- यंहा से विद्रोह के नेतृत्व नाना साहब किए थे |
- इनका मुख्य नाम ‘धोधुपंत’ था |
- कानपूर चमडा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है |
- कानपूर उतर प्रदेश के गंगा नदी के तट पर है |
- नाना साहब पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे |
- 1857 की क्रांति में इसलिए भाग लिया था की इनको मिलने वाला वार्षिक पेंशन बंद कर दिया था |
- कानपूर में नाना साहब का साथ तात्या टोपे ने दिया था |
- एक बार अंग्रेज सेना घिर जाने के कारण नाना साहब नेपाल चले गए थे |
- इनके चले जाने के बाद विद्रोह का नेतृत्व अजीजन बाई ने किया | और अंग्रेजों से लड़ते हुए अपनी कुर्बानी दे दिया |
3.झाँसी -:
- झाँसी उतर प्रदेश के वाराणसी में है |
- यंहा से विद्रोह का नेतृत्व लक्ष्मी बाई ने किया था |
- लक्ष्मी बाई का वास्तविक नाम मनु कर्णिका या मनु बाई था |
- इनका अपना पुत्र नही था | इसलिए लार्ड डल को इन्होने गोद लिया था |
- लक्ष्मी बाई गंगाधर राव के पत्नी थी |
- लेकिन लार्ड डल हौजी ने हडप्पनीति के तहत 1853 में झाँसी को अपने सम्राज्य में विलय कर लिया गया |
- लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवम्बर 1928 को एवं मृत्यु 18 जून 1858 में हुआ था |
- रानी लक्ष्मी बाई कालपी के युद्ध में अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज के साथ लडती हुई विर गति को प्राप्त हुई थी |
- अंग्रेज सेनापति इसके मरने वक्त कहा था यंहा जितने भी लाशे पड़ी हुई है उनमे से एक मात्र मर्द रानी लक्ष्मी बाई है |
- रानी लक्ष्मी बाई का मकबरा मध्यप्रदेश के ग्वालियर में है |
4. लखनऊ -:
- यंहा से विद्रोह का नेतृत्व अवध का अंतिम नवाब-वाजिद अली शाह की विध्वा बेगम हजरत महल ने की थी |
- इन्होने अपने अल्प व्यस्क पुत्र बिरजिश कादिर को नवाब घोषित किया था |
- नाना साहब की तरह ये भी अंग्रेजो का दबाब ज्यादा बढ़ते से नेपाल चली गई |
- इनका पार्क लखनऊ में है |
5. ग्वालियर -:
- यंहा से विद्रोह का नेतृत्व तात्या टोपे ने किया था इनका वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग था |
- इन्हें 1857 की क्रांति का नेपोलियन एवं अंतिम शहीद क्रन्तिकारी कहा जाता है |
- कानपूर में नाना साहब के साथ मिलकर अंग्रेजों को परास्त किये |
- एक गदार मान सिंह के कारण तात्या टोपे को गिरफ्तार कर लिया गया जिन्हें बाद में फांसी दे दी गई |
- आरा जगदीशपुर बिहार में है | यंहा से विद्रोह का नेतृत्व जगदीशपुर नामक गाँव के जमींदार विर कुवर सिंह ने किया था |
- अंग्रेज ने इन्हें जमींदार से हटा दिया था |
- इन्होने अमरसिंह के साथ मिलकर मुक्त वाहनी सेना बनी थी |
- क्रांतिकारियों में सबसे उम्रदराज व्यक्ति थे |
- 26 अप्रेल 1858 को ये शहीद हो गये |
- इनका जन्म दिवस हरेक वर्ष 23 अप्रेल को मनाया जाता है |
प्रश्न 2. 1857 ई. के सिपाही विद्रोह के असफलता के क्या कारण थे ?
उत्तर – 1857 की क्रांति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई थी | जिसमे सभी वर्गों के लोगों के नाम लिए | लेकिन कुछ कारणों के कारण इस विद्रोह को अंग्रेजों ने कुचल दिया | इसकी निम्न्लिखित कारण है -:
1) समय से पहले -: 1857 की क्रांति का समय निर्धारण किया गया था 31 मई 1857 लेकिन इस विद्रोह की घटनाये समय से पूर्व ही शुरू हि गुई जेसे – मंगल पाण्डेय ने मेरठ में निर्धारित तिथि से पहले ही अंग्रेजों के खिलाफ़ बगावत कर दी और दो अंग्रेज अधिकारी हडसन बाद में इन्हें 8 अप्रेल 1857 को फांसी दे दी जाती है | समय से पहले विद्रोह शुरू होने के कारण इसे दबाने में ब्रिटिश सरकार की आसानी हुआ |
2) विद्रोह सिमित क्षेत्रो में होता -: विद्रोह मुख्य रूप से भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में हुआ अर्थात भारत के कुछ ही क्षेत्रो में अपना दस्तक दे पाया राजस्थान, पंजाब, गुजरात, सिंध प्रांत के क्षेत्रो में यह विद्रोह नही हो पाया |
3) योग्य नेतृत्व का अभाव -: विद्रोह को एक योग नेतृत्व कर्ता नही मिल पाया एक बुजुर्ग अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र को नेतृत्व कर्ता घोषित किया था | जबकि एक नौजवान नेतृत्व कर्ता की जरुरी थी | हालाँकि कुछ क्षेत्रिय नेता जरुर हुए जिनमे नाना साहब, लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, विर कुवर सिंह, बेगम हजरत महल इत्यादि थे | रास्ट्रीय स्तर पर योग्य नेतृत्व के अभाव में यह आंदोलन असफ़ल रहा |
4) भारतीय राजाओं एवं सरदारों की उदासीनता -: भारतीय राजाओं एवं सरदारों ने विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश हुकुमत की यांत्रिक मदद की | भारत का दुर्भाग्य था कि यंही के शासक और सरदार अपने पद को बनाए रखने के लिए अंग्रेजों का साथ दिया |
5) संगठन का अभाव -: विद्रोह के नेताओं ने कोई निश्चित योजना नही बनाई और न ही नेताओं ने मिलकर कोई रास्ट्रीयवादी संगठन बनाया | जिसके फलस्वरूप आपसी समझ विकसित नही हुई क्रांति कमजोर हुआ और अंतत आंदोलन असफ़ल हुआ |
6) अस्त्र-शस्त्र एवं योग्य सेनिको का अभाव -: ब्रिटिश सरकार की तुलना में भारतीय के पास आधुनिक अस्त्र-शस्त्र नही था | और न ही प्रशिक्षित सेना थी |
7) संचार साधनों पर अंग्रेजों का बोल-बाला -: रेलवे,डाकघर के क्षेत्रो में अंग्रेजों का दब-दबा था | हालाँकि कुछ क्षेत्रो में क्रांतिकारियों ने संचार की व्यवस्था की थी | जेसे – अरुण आशफ अली ने गुप्त रेडियों स्टेशन चलाया |
8) समुद्र पर अंग्रेजों का कब्ज़ा -: अंग्रेज समुद्र के माध्यम से जहाजो द्वारा सेन्य सामग्री सेनाओं को एक जगह से दुसरे जगह भेजने का कार्य करती थी | जिससे विद्रोह को दबाने में ब्रिटिश सरकार को मदद मिली |
इस प्रकार से स्पष्ट है कि समय से पूर्व, आयोग्य नेतृत्व, अस्त्र-शस्त्र का अभाव जेसे पहलुओं के कारण ही सिपाही विद्रोह अपने अरमानों को पूरा करने में असफ़ल हुआ |

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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