📘 12th Class Notes
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Field | Details |
|---|---|
Name of Board | JAC Board / Bihar Board |
Category | NOTES |
Chapter | Chapter 10 |
Chapter name | उपनिवेशवाद और देहात |
Class | Class 12th |
Subject | History |
Medium | Hindi |
Official Website | https://objectivemcq.in/ |
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📖 उपनिवेशवाद और देहात (Colonialism and the Countryside)
✦ परिचय
18वीं सदी के अंत से लेकर 19वीं सदी तक भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभाव बढ़ा।
कंपनी केवल व्यापार तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने धीरे-धीरे भारत की कृषि व्यवस्था और गाँवों (देहात) पर भी नियंत्रण कर लिया।
राजस्व वसूली (Revenue Collection) के नए तरीक़े लागू किए गए। इनसे किसानों की ज़िंदगी बदल गई और देहात की सामाजिक संरचना पर गहरा असर पड़ा।
✦ ब्रिटिश राजस्व व्यवस्थाएँ
अंग्रेज़ों ने भारत में भूमि राजस्व वसूलने के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएँ लागू कीं।
1. स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) – 1793
गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा लागू।
मुख्य रूप से बंगाल, बिहार और उड़ीसा में लागू हुई।
इसके अंतर्गत जमींदारों को भूमि का मालिक माना गया।
जमींदार अंग्रेज़ों को निश्चित वार्षिक लगान देते थे, चाहे किसान कितना भी उत्पादन करें।
किसानों को सुरक्षा नहीं मिली और वे शोषण का शिकार बने।
जमींदार अक्सर लगान वसूल कर किसानों से कठोरता करते थे।
2. रैयतवाड़ी व्यवस्था (Ryotwari System)
यह व्यवस्था मैड्रास और बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू की गई।
इसमें किसान (रैयत) को भूमि का मालिक माना गया।
सरकार सीधे किसानों से लगान वसूल करती थी।
लेकिन लगान बहुत अधिक था और फ़सल खराब होने पर भी देना पड़ता था।
परिणामस्वरूप किसान कर्ज़दार और निर्धन होते गए।
3. महालवाड़ी व्यवस्था (Mahalwari System)
उत्तर-पश्चिमी प्रांत, पंजाब और मध्य भारत में लागू।
यहाँ पूरे गाँव (महाल) को भूमि की इकाई माना गया।
गाँव के मुखिया और पंचायत के ज़रिए लगान वसूला जाता था।
इस व्यवस्था में भी कर बहुत अधिक था और किसानों पर बोझ पड़ा।
✦ देहात पर उपनिवेशवाद का प्रभाव
1. किसानों का शोषण – भारी कर और जमींदारों की कठोरता से किसानों का जीवन कठिन हुआ।
2. कर्ज़ और गरीबी – किसान साहूकारों से कर्ज़ लेने लगे और कर्ज़ के जाल में फँसते गए।
3. व्यावसायिक खेती का दबाव – अंग्रेज़ों ने कपास, नील, चाय, अफ़ीम जैसी नकदी फ़सलें उगाने पर ज़ोर दिया, जिससे खाद्यान्न उत्पादन घटा और अकाल बढ़े।
4. गाँव की संरचना में बदलाव – पहले गाँव आत्मनिर्भर थे, लेकिन अंग्रेज़ी नीतियों से वे बाज़ार और निर्यात पर निर्भर हो गए।
5. विद्रोह और प्रतिरोध – किसानों और आदिवासियों ने अंग्रेज़ों की नीतियों के विरुद्ध कई बार विद्रोह किए, जैसे – 1859-60 का नील विद्रोह, संथाल विद्रोह, 1857 का गदर आदि।
✦ नील विद्रोह (Indigo Revolt, 1859-60)
बंगाल के किसान नील की खेती करने को मजबूर किए गए।
नील की खेती से ज़मीन खराब होती थी और किसानों को नुकसान होता था।
किसानों ने नील की खेती करने से इंकार कर दिया और विद्रोह किया।
अंग्रेज़ सरकार को नील आयोग (Indigo Commission) बनाना पड़ा।
बाद में नील की खेती धीरे-धीरे कम होती गई।
✦ ऐतिहासिक महत्व
उपनिवेशवाद ने भारतीय ग्रामीण जीवन को गहराई से बदल दिया।
किसानों की स्थिति बदतर हुई और पारंपरिक गाँव व्यवस्था टूट गई।
नए कर प्रबंध से अंग्रेज़ों की आय तो बढ़ी, लेकिन किसानों की निर्धनता और विद्रोह भी बढ़ते गए।
इनसे हमें समझ आता है कि किस तरह उपनिवेशवाद ने भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया।
📌 परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण प्रश्न
❖ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type)
1. स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था की विशेषताएँ और उसके प्रभाव बताइए।
2. रैयतवाड़ी और महालवाड़ी व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
3. उपनिवेशवाद का भारतीय देहात पर क्या प्रभाव पड़ा?
4. नील विद्रोह के कारण और परिणाम स्पष्ट कीजिए।
5. अंग्रेज़ों की भूमि व्यवस्था से भारतीय किसानों का जीवन कैसे बदल गया?
❖ लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type)
1. स्थायी बंदोबस्त किस गवर्नर जनरल ने लागू किया?
2. रैयतवाड़ी व्यवस्था कहाँ लागू थी?
3. महालवाड़ी व्यवस्था में ‘महाल’ का क्या अर्थ था?
4. नील विद्रोह कब और कहाँ हुआ?
5. अंग्रेज़ों ने व्यावसायिक खेती क्यों प्रोत्साहित की?
❖ वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective / MCQ)
स्थायी बंदोबस्त किस वर्ष लागू हुआ? → 1793
स्थायी बंदोबस्त किसने लागू किया? → लॉर्ड कॉर्नवालिस
रैयतवाड़ी व्यवस्था में भूमि का मालिक कौन था? → किसान (रैयत)
महालवाड़ी व्यवस्था मुख्यतः कहाँ लागू थी? → उत्तर-पश्चिमी प्रांत, पंजाब, मध्य भारत
नील विद्रोह कब हुआ? → 1859-6
SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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