उपनिवेशवाद और देहात subjective

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प्रश्न 1. उपनिवेशवाद क्या है ? भारत में उपनिवेशवाद के स्थापना के क्या कारण है एवं भारत पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ? 

उत्तर – भारत एशिया महादीप के दक्षिण में स्थित एक महत्वपूर्ण प्रायदीपीय देश है, जो प्राचीन समय में सोने की चिड़िया के नाम से प्रसिद्ध था | भारत पर विभिन्न यूरोपीय देश ने 15वीं सदी से लेकर 20वीं सदी के मध्य तक उपनिवेशवाद के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे | 

1. समृद्ध होने की लालस -:  यह भारत में स्थापित उपनिवेशवाद का एक महत्वपूर्ण कारण रहा है | क्योंकि ब्रिटिश की नीतियाँ व अन्य यूरोपीय कम्पनी की चाह को अच्छी तरह से देखा जाए तो वह भारत से अधिक लाभ कामना कर अपने रास्ट्र को समृद्ध करने की अभिलाषा थी | 

2. कच्चे माल की उपलब्धता -: यूरोपीय देश ओद्योगिक विकास के लिए जाने जाते है क्योंकि ब्रिटेन से ही ओद्योगिक क्रांति प्रारम्भ होती है | इंग्लेंड में कई कारखाने उपबल्ध थे | जिसे बड़े पैमाने पर उत्पाद बनाने हेतु कच्चे माल की काफ़ी आवश्यकता होती है | अत: ब्रिटिशो ने अपनी ओद्योगिक विकास के लिए भारत से कच्चे माल की आपूर्ति के उदेश्य से उपनिवेशवाद की स्थापना किया | 

3. व्यापार की अभिलाषा -: भारत में आने वाली विभिन्न यूरोपीय कम्पनी (जेसे – पुर्तगाल, ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) का प्राथमिक उदेश्य व्यापार ही था | अत: इस प्रकार भारत के कच्चे माल को ले जाकर यूरोप में बेचना व यूरोप में निर्मित वस्तुओं को भारतीय बाजारों में लाकर बेचना कम्पनियों का मुख्य पेशा  था | अत: वस्तुओं की आयात-निर्यात कर व्यापारिक कार्य द्वारा लाभ कामना इनका उदेश्य होता था | 

4. अनुकूल जलवायु -: यूरोपीय देश एक शीतोष्ण जलवायु के देश है जबकि भारत एक उष्णकटिबंधीय था | मानसूनी जलवायु वाला देश है | जो यूरोप की तुलना में मानव बसाव के लिए काफ़ी अनुकूल है | अत: यह भी उपनिवेशवाद के स्थापना का एक मुख्य कारण था | 

5. जनसंख्या -: ब्रिटेन में ओद्योगिक के फलस्वरूप जनसंख्या में तीव्र वृद्धि हुआ अधिशेष जनसंख्या के बसाव के लिए उपनिवेशो की ओर आगे बढे तथा उपनिवेशवाद की स्थापना किए | जबकि दूसरा कारण यह भी है सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रो की ओर इनका झुकाव हुआ ताकि व्यापार में मुनाफा हो |

     इस प्रकार इन उपरोक्त कथन से हमें यह स्पष्ट होता है यूरोपीय अपने स्वार्थ भारत पर उपनिवेशवाद की स्थापना किया था भारतीय संपदाओं को खूब लुटा है | 

  • उपनिवेशवाद के प्रभाव -: भारत पर 1498 ई. से लेकर 1947 ई. तक उपनिवेशवाद का प्रभाव रहा | इस लम्बे अरसे में उपनिवेशवाद का कई गुण तो कई अवगुण दिखे जिसे हम सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव के रूप में अध्ययन करते  है  | 

*  उपनिवेशवाद का सकारात्मक प्रभाव -: 

  1. शिक्षा का विस्तार 
  2. सामाजिक कुरीतियों का अंत 
  3. आधुनिकीकरण 
  4. रस्ट्रयवाद का उदय 
  5. स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास 
  6. प्रशासनिक/शासन विधि का आधारभूत विकास 

*  उपनिवेशवाद का नकारात्मक प्रभाव -: 

  1. समप्रा दियक दंगो की शुरुआत 
  2. भारतीयों पर शोषण 
  3. हस्तकरण एवं कुटीर उद्योग का पत्तन 
  4. धार्मिक परिवर्तन 
  5. अस्प्रश्यता का बोलबाला 
  6. जमींदारो का शोषण 
  7. कृषको के साथ द्रिन्द्र्ता 
  8. सांस्कृतिक रिती रिवाजों के साथ छेड़-छाड़  

प्रश्न 2. बंगाल में 1793 ई. में नयी भू-राजस्व व्यवस्था को लागु करने के क्या कारण थे ? क्या यह व्यवस्था E.I.C के लिए लाभदायक सिद्ध हुई ?

या 

लार्ड कार्नवालिस के द्वारा 1793 ई. में स्थायी बन्दोबस्त क्यों लागू किया गया था ?

उत्तर – बंगाल में 1793 ई. राजस्व की वसूली करने हेतु चाल्र्स कार्नवालिस के द्वारा नयी भू-राजस्व व्यवस्था लाई गई | जिसे स्थायी बन्दोबस्त के नाम से जाना जाता है | यह एक एसी भू-राजस्व प्रणाली है जिसमे E.I.C तथा जमींदार के बिच एक निशिचित दर 10/11 पर एककारनम किया गया | इस व्यवस्था को भारत के 19% भू-भाग बंगाल, उड़ीसा, और बिहार में लागु किया गया | जिसे चीर स्थाई एवं स्तमरारी बंदोबस्त के नाम से जाना जाता है | 

       स्थायी बन्दोबस्त को लागु करने का मुख्य कारण -: स्थाई बन्दोबस्त व्यवस्था है | जिसका मुख्य उधेश्य लाभाजिर्त करना था | इसके अलावे भी कई महत्वपूर्ण कारण है | जिसके वजह ससे 1793 में इस व्यवस्था को लागु किया गया | 

1. कृषि लगान व्यवस्था -: इलाहाबद की संधि के तहत (1765) E.C.I को बंगाल, बिहार, उड़ीसा की दीवानी (राजस्व) का अधिकार प्राप्त हो गयी थी | अत: यह कृषि लगान नियमित रूप से वसूलने के लिए 1793 में कार्नवालिस के द्वारा स्थायी बन्दोबस्त लागु किया गया | 

2. निशिचत कर वसूली -: 1793ई. से पूर्व कम्पनी के द्वारा अधिनियमित भू-राजस्व व्यवस्था के तहत निशिचत रूप से राजस्व की वसूली नही किया जा रहा था | अत: 1793 ई. में कार्नवालिस के द्वारा निशिचत रूप से राजस्व की वसूली करने हेतू इस प्रकार के बन्दोबस्त को लाया गया | जिसमे राजस्व वसूलने का अधिकार जमींदार को दिया गया तथा जमींदारो द्वारा संग्रहित का 90% हिस्सा स्वंय कम्पनी लेती थी एवं शेष 10% जमींदार को दिया जाता था | 

3. कृषि क्षेत्र में सुधार -: कम्पनी यह सोचती थी कि स्थाई बंदोबस्त लाने से किसानो की स्तिथि में एवं कृषि क्षेत्रो में सुधार होगी, क्योंकि जमींदार अधिक से अधिक राजस्व की वसूली करने हेतु कृषि क्षेत्रो में सुधार करेगा ताकि उत्पादन में वृद्धि हो एवं उसे अधिक राजस्व की प्राप्ति हो किन्तु दुर्भाग्य वश किसानो की स्तिथि एवं कृषि क्षेत्र में विकास नही हो पाया |

4. जोतदारों एवं जमीनदारो द्वारा अपनाए गए हथकड़े -: जमींदारो एवं जोतदारों के द्वारा नियमित रूप से राजस्व कम्पनी को नई दिया जाता था | अत: इनसे नियमित रूप से राजस्व की वसूली करने हेतु इस व्यवस्था को लागू किया गया | 

                 इस प्रकार यह स्पस्ट होता है कि स्थाई बन्दोबस्त राजस्व की वसूली से सबंधित एक महत्वपूर्ण व्यवस्था थी | जिससे कम्पनी को नियमित रूप से निशिचत दर में राजस्व की प्राप्ति होती रहती थी | अर्थात इससे कम्पनी को एक बड़ी राजस्व वसूली करने की जो तकनीक अपनाई गई | उससे किसान वर्ग के लोग उग्र हो गए | फलस्वरूप लोगों का आक्रोश जमींदार व कम्पनी दोनों की ओर बढ़ने लगी |

प्रश्न 3. पांचवी रिपोर्ट से आप क्या समझते है ? 

उत्तर – पांचवी रिपोर्ट व्रिटिश ससंद द्वारा मंगवाया गया भारतीय क्षेत्र से संबधित एक महत्वपूर्ण प्रतिवेदन था |जिसमे E.C.I के प्रशासन एवं प्रबंधन का समीक्षात्मक वर्णन मिलता है |

       इस प्रतिवेदन (रिपोर्ट) को ब्रिटिश ससंद में 1813  ई. में प्रस्तुत किया गया | जिसमे सम्बन्धित निम्न तथ्यों का अध्ययन आवश्यक माना जाता है | 

  • यह रिपोर्ट 1002 पृष्ठों एवं 800 से अधिक परिशिष्ट में संकलित है |
  • इस रिपोर्ट में जमींदारी की स्तिथि रेयतो की स्तिथि, राजस्व से सम्बन्धित ,महत्वपूर्ण आँकड़े एवं अधिकारियों के नीतियों के नीतियों का जिक्र किया गया है |
  • इस रिपोर्ट में विशेषकर कम्पनी के कुशासन एवं कुप्रबन्धन का वर्णन किया गया है | 
  • इस रिपोर्ट को कर्मचारियों के द्वारा पुरे शक्ष्य के आधार पर गहन रूप से विश्लेषण कर तेयार किया गया है |

     इस प्रकार इन उपरोक्तकथनों से हमें यह स्पस्ट होता है कि 19वीं सदी के प्रारभिक दशक में प्रस्तुत इस रिपोर्ट के माध्यम से ब्रिटिश ससंद कम्पनी के उपर अपना नियन्त्रण रखना चाहती है | जिस प्रकार से इस रिपोर्ट को तेयार किया गया है, उस आधार पर हम कह सकते है कि इस र्रिपोर्ट में 18वीं सदी के अंतिम दशक में कम्पनी व भारतीयों की स्थिति बेहतर तरीके से समझा जा सकता है |

Author

SANTU KUMAR

I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.

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