
प्र्श्न 1. हडप्पा सभयता को सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम के नाम से जाना जाता हैं, क्यों ?
उतर – हडप्पा सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता हैं, जिसे सिन्धु-घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है | सामान्यत पुरातात्विक का यह मानना हैं, कि हडप्पा सभ्यता का विस्तार सिन्धु-नदी घाटी के आस-पास हुआ हैं| तथा हडप्पा सभ्यता के कई विकसित स्थल सिन्धु नदी के किनारे बसे थे | जेसे – मोहनजोदड़ो, चंदहुदड़ो आदि |
इसलिए हडप्पा सभ्यता को पुरातात्विक ने सिन्धु-घाटी सभ्यता की संज्ञा दी हैं|
प्रश्न 2. हडप्पा सभ्यता/सिन्धु-घटी सभ्यता एक कांस्ययुगीन सभ्यता थी, कैसे ? स्पस्ट करे | या
सिन्धु-घाटी सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता कहा गया हैं, क्यों ?
उतर – सिन्धु-घाटी सभ्यता को कांस्ययुगीन सभ्यता भी कहा गया हैं, क्योंकि इस सभ्यता के लोग अपने देनिक जीवन में जिस बर्तन या सामाग्रियो का प्रयोग करते थे,वह अधिकांश कांस्य धातु से निर्मित होता था |साथ हि साथ इस सभ्यता के लोग ताँबा एवम टिन को मिलाकर कांस्य धातु बनाने की कला से परिचित थे , इसलिए सिन्धु-घाटी सभ्यता को कांस्ययुगीन सभ्यता के नाम से भी जाना जाता हैं |
प्र्श्न 3. हडप्पा सभ्यता को सिन्धु-घाटी सभ्यता के नाम से क्यों जाना जाता हैं ?
उतर – हडप्पा सभ्यता को सिन्धु-घाटी के नाम से भी जाना जाता हैं, क्योंकि विभिन्न पुरातात्विक द्वारा इस सभ्यता का नाम अलग-अलग दिया गया हैं, फलस्वरूप पुरातात्विक में मतभेद की स्तिथि बनने लगी अंततः तत्कालीन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिर्देश ‘जॉन मार्शल’ ने कहा की इस सभ्यता का नामकरण उस स्थल के नाम पर किया जाए जिसका सबसे पहले खोज हुआ हैं |
अत: हमें ज्ञात है, कि इस सभ्यता में सबसे पहले 1921 इ० में दयाराम साहनी के द्वारा हडप्पा नामक स्थल का खोज किया गया था | जिसके कारण इस सभ्यता का नाम हडप्पा सभ्यता रखा गया |
प्रश्न 4. हडप्पा सभ्यता की उत्पति पर प्रकाश डाले |
उतर- हडप्पा सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन एवम प्रथम नगरीय सभ्यता है, जिसका खोज 1921 ई. में जॉन मार्शल के द्वारा रायबहादुर दयाराम साहनी के द्वारा किया गया इस सभ्यता का विकास 2600 – 1900 BC के बिच सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता हैं |
उपर्युक्त संदर्भ में जंहा तक हडप्पा सभ्यता की उत्पति का प्रश्न हैं तो जिस प्रकार इस सभ्यता के काल को लेकर विभिन्न विद्वानों में मतभेद रहा है, ठिक उसी प्रकार हडप्पा सभ्यता की उत्पति या वहा के निवासियों के बारे में जानना काफी विवादस्पद बनी हुई हैं | अर्थात इस सभ्यता के उत्पति के संदर्भ में कई विचार प्रचलित हैं, जो इस प्रकार से हैं |
* हडप्पा सभ्यता की उत्पति *
- विदेशी मत
- देशी मत
1. विदेशी मत
- गार्डन चाइल्ड
- क्रेमर
- जॉन मार्शल
- D.D कोशाम्बी
- D.D संकालिया
2. देशी मत
- ईरान बलूचिस्तानी संस्कृति
- सोथी संस्कृति
*ईरान बलूचिस्तानी संस्कृति
- फेयर सर्विस
- रोमिला थापर
*सोथी संस्कृति
- अलमाननंद घोष
- R.D बनर्जी
- दयराम साहनी
- लक्ष्मणास्वरूप वल्स
- विदेशी मत –
इस विचारधारा के अनुसार यह मन जाता है कि हडप्पा सभ्यता की उत्पति विदेशी लोगो द्वारा अर्थात बाहरी लोगो के द्वारा किया गया | इस बात की पुष्टि अधिकांश विदेशी इतिहास करो ने किया है, जिसमे ‘गार्डन चाइल्ड, क्रेमर, जॉन मार्शल, D.D कोशाम्बी, H.D संकालिया’ महोदय जेसे विद्वानों का प्रमुख नाम हैं | क्रेमर महोदय ने हडप्पा सभ्यता की उत्पति का व्याख्या करते हुए यह कहा हैं कि – 2400 BC में मेसोपोटामिया के लोग प्रवास कर भारत के पश्मि क्षेत्र में बस गए जिन्होंने कालान्तर में हडप्पा सभ्यता को जन्म दिया | इनकी बातो का समर्थन करते हुए जॉन मार्शल ने भी हडप्पा सभ्यता की उत्पति का श्रेय मेसोपोटामियाई लोगो को दिया और विसरण विधि सिद्धांत का प्रतिपादन किया |
इसी प्रकार H.D संकालिया महोदय ने इस सभ्यता के उत्पति के संदर्भ में कहा हैं कि – मेसोपोटामिया सभ्यता में मिलने वाली जिगारत की तरह हडप्पा सभ्यता में भी उच्चे स्थल मिले हैं, इस अधर पर कहा जा सकता है कि हडप्पा सभ्यता का विकास मेसोपोटामियाई लोगो ने किया होगा |
2. देशी मत –
इसके अंतर्गत इस बात पर बल दिया गया है कि हडप्पा सभ्यता की उत्पति देशी लोगो अर्थात स्थानीय लोगो ने किया होगा | इसका समर्थन भारतीय इतिहासकारों ने किया और इसके अंतर्गत दो संस्कृतियों को शामिल किया गया हैं
*ईरान-बलूचिस्तानी संस्कृति –
फेयर सर्विस और रोमिला थापर को मानना है कि हडप्पा सभ्यता की उत्पति ईरानी-बलूचिस्तानी संस्कृति के लोगो से हुआ है | क्योंकि जिस प्रकार के नालियों एवम गलिया इस संस्कृति में मिली हैं | ठीक उसी प्रकार की नालिया और गलिय हडप्पा सभ्यता से प्राप्त हुई है, अत: यह कहा जा सकता है कि हडप्पा सभ्यता का विकास ईरानी-बलूचिस्तानी संस्कृति के लोगो किया होगा |
*सोथी संस्कृति –
सोथी संस्कृति राजस्थान की एक महत्वपूर्ण संस्क्रति हैं, जिसकी खोज 1953 में अलमानंद घोष के द्वारा किया गया था | अलमानंद घोष का मानना है कि हडप्पा सभ्यता की उत्पति सोथी संस्कृति के लोगो ने किया है, क्योंकि सोथी संस्कृति में मिलने वाली मृतभांड, मनके और मुहर हडप्पा सभ्यता की मृतभांड, मुहर से मिलती-जुलती है |
वही राखल दास बनर्जी का मानना है कि हडप्पा सभ्यता की उत्पति द्र्विडीयन लोग ने किया है | जबकि रामचंद्र एवम लक्ष्मनास्वरूप वत्स महोदय का मानना है कि इस सभ्यता का विकास आर्य लोगो ने किया है | इस प्रकार इस उपर्युक्त कथनों से यह स्पस्ट होता है कि हडप्पा सभ्यता की उत्पति के संदर्भ में कोई एक प्रमाणित प्रमाण नहीं मिला हैं | विदेशी इतिहासकारों ने विदेशी पक्ष पर बल दिया हैं, जबकि स्थानीय इतिहासकारों ने सथानीय मत को प्राथमिकता दिया है |
*हडप्पा सभ्यता का विस्तार*
प्रश्न 1. हडप्पा सभ्यता पर प्रकाश डाले |
उतर- हडप्पा सभ्यता विश्व के चार प्राचीन सभ्य्तायो में से एक हैं, जिसे सिन्धु-घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता हैं, इस सभ्यता का विस्तार एशिया महादीप के तीन देश – भारत, पाकिस्तान एवम अफगानिस्तान में हुआ हैं | इसका विस्तार अधिकांशत: भारत के पशिम भाग में त्रिभुजाकार आक्रति में हुआ हैं | वर्तमान समय में हडप्पा सभ्यता के कई स्थलों की खोज की जा चूँकि है | इस सभ्यता का सबसे उतरम बुंडू मांदा है, जो जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी के किनारे अवस्थित है | जबकि इसका सबसे दक्षिणात्मक बिंदु देयमाबाद है जो महाराष्टके अहमदनगर जिले में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है |
ठीक इसी प्रकार इस सभ्यता का सबसे पूर्वी बिंदु आलमगीरपुर है जो उतरप्रदेश में मेरठ से 30 KM की दुरी पर हिंडल नदी के किनारे अवस्थित है | जबकि इसका पशिमी बिंदु सुत्कगेडोर है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त पर दश्मक नदी के किनारे अवस्थित है |
यंहा यह बात काफी महत्वपूर्ण है कि इस सभ्यता का पूर्व सबसे पशिम की लम्बाई 1600 KM एवम उतर से दक्षिण की लम्बाई 1400 KM है तथा इसका कुल छेत्रफल 1299660 KM2 लगभग है |
प्रश्न 2. हडप्पा सभ्यता के पांच प्रमुख स्थलों का वर्णन करे ?
उतर – हडप्पा सभ्यता भारत के पशिम भाग में फेला हुआ सबसे प्राचीन एवम प्रथम नगरीय सभ्यता हैं | इस सभ्यता का विस्तार सामान्यत: भारत, पाकितान, एवम अफगानिस्तान तीन महत्वपूर्ण देशो में हैं |वर्तमान समय में हडप्पा सभ्यता से संबधित 1900 स्थलों को खोजा जा चूँकि है, जिसमे से पांच प्रमुख स्थल इस प्रकार से है |
*हडप्पा सभ्यता के पांच प्रमुख स्थल *
- हडप्पा
- मोहनजोदड़ो
- चंदहुदड़ो
- कालीबंगा
- लोथल
1. हडप्पा – हडप्पा , हडप्पा सभ्यता के अंतर्गत खोजा गया पहला स्थल हैं | इसकी खोज 1921 में जॉन मार्शल के नेतृत्व में दयाराम साहनी के द्वारा किया गया था | हडप्पा पश्मी पंजाब के मांटगोमरी जिला में रवि नदी के किनारे अवस्थित है | यंहा से खुदाई के दोरान पुरातात्विदो को विभिन्न पुरातात्विक सामग्री प्राप्त हुई | जिसमे ‘ताँबा का दर्पण, शवाधान, श्रमिको का आवास, मार्तदेवी की प्रतिमा ,गेंहू की भूसी, तांबे की मुहर’ प्रमुख है | इस प्रकार यह हडप्पा सभ्यता के अंतर्गत खोजा गया पहला स्थल के रूप में प्रसिद्ध है |
2. मोहनजोदड़ो – मोहनजोदड़ो हडप्पा से 483 KM की दुरी पर दक्षिण-पशिम में स्थित हडप्पा सभ्यता की दूसरी सबसे महत्पवपूर्ण स्थल हैं, क्योंकि यह हडप्पा सभ्यता का सबसे विकसित एवम बड़ा स्थल के रूप में जाना जाता है, इसलिए मोहनजोदड़ो को हडप्पा सभ्यता की राजधानी भी कहा जाता है | मोहनजोदड़ो सिंधी भाषा का महत्वपूर्ण शब्द हैं जिसका अर्थ है – “मृतको का तिला” होता हैं | इस स्थल की खोज 1922 म२ राखल दस बनर्जी के द्वारा किया गया जो सिंधु नदी के किनारे अवस्थित है | सर्वेक्षण के दोरान यंहा से ‘स्नानागार, अन्नागार, पुरोहित की पर्तिमा, पशुपति की मुद्रा, अवतल चक्की, पहिया’ आदि पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में प्राप्त हुआ हैं | यंहा से मिलने वाली स्नानागार, अन्नागार मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी विशेता है |
3. चंदहुदड़ो – चंदहुदड़ो हडप्पा सभ्यता के प्रमुख स्थलों में से एक हैं, जो मोहनजोदड़ो से 130 KM की दुरी पर दक्षिण-पूर्व में स्थित हैं | इस स्थल की पहचान हडप्पा सभ्यता के स्थल के रूप में 1931 में N.G मजुमदार एवम अर्नेष्ट मेके के द्वारा किया गया था | जो सिन्धु प्रांत में सिन्धु नदी के किनारे स्थित है | यंहा से खुदाई के दोरान “मनके बनाने की कारखाना, श्रृंगार की सामग्री जेसे- लिपस्टिक, काजल, पाउडर,कंघी,एवम बेलगाडी व तराजू का साक्ष्य” मिले है |
4. कालीबंगा – कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ – “काले रंग की चूड़ी ” होता हैं | यह राजस्थान में अवस्थित हडप्पा सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है | जिसे हडप्पा सभ्यता की “तीसरी राजधानी” की संज्ञा दी गई हैं | इसकी खोज अलमनन्द घोष एवम आर. थापर के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था | यंहा से जूते हुए “खेत, चूड़ी,भूकंप” होने की का साक्ष्य आदि प्राप्त हुए है | यंहा से प्राप्त सामग्री के आधार पर यह कहा जा सकता है कि कालीबंगा कृषि का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा होगा |
5. लोथल – यह हडप्पा सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है. जो “प्राकृतिक बंदरगाह” के लिए पुरे हडप्पा सभ्यता में प्रसिद्ध था यंहा से “नाव के भी साक्ष” मिले है जो इस बात की पुष्टि करता है की लोथल से पश्मी एशियाई देशो के साथ जलीय मार्ग के द्वारा व्यापारिक कार्य होते थे | इस स्थल की खोज S.R राव के द्वारा किया गया जो गुजरात के अहमदाबाद में भोगवा नदी के किनारे अवस्थित हैं | यंहा से खुदाई के दोरान “चावल,हाथी के दांत, तीन युगल शावाधन, बंदरगाह” के साक्ष्य मिले है |
इस प्रकार in प्रयुक्त बातो से यह स्पस्ट होता है कि हडप्पा सभ्यता के कई महत्वपूर्ण स्थल है जो काफ़ी विकसित स्थल हैं | इन स्थलों की अध्ययन करने से हडप्पा सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषता का पता चलता है |
*हडप्पा सभ्यता की विशेषता*
प्रश्न 1. हडप्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी, कैसे ?
उतर- हडप्पा सभ्यता भारतकी सबसे प्राचीन सभ्यता हैं | जिसे भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता की संज्ञा दी गई हैं, क्योंकि इस सभ्यता में पाए गए विशेषता यह पूर्ण रूप से स्पस्ट करती है कि हडप्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता है |
- हडप्पा सभ्यता में निम्न विशेषता पाई गई है जो स्पस्ट करती है कि हडप्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी :-
- उचित सड़क व्यवस्था
- उचित जल निकासी व्यवस्था
- साफ-सफाई का उचित प्रबंध
- मकानों एवं भवनों का बसावट
- व्यपार-वाणिज्य
- विज्ञान एबं तकनीक
1. उचित सड़क व्यवस्था – हडप्पा सभ्यता की सड़क व्यवस्था आधुनिक नगरो की तरह काफी विकसित था | शहरो की भांती इस सभ्यता में भी दो प्रकार की सड़के थी | पहला मुख्य सड़क जिसे “राजपथ” की संज्ञा दी गई थी | जबकि दूसरी सड़क सहायक सड़क के रूप में थी | जो मुख्य सड़क की तुलना में कम चोडी होती थी | इन सड़को की चोड़ाई 3m – 9.15m तक पाया गया हैं | ये सड़के एक दुसरे को समकोण (90′) प्रतिच्छेद करती थी, उस स्थान पर चोराहा का निर्माण होता था | जो बिलकुल सिधा एबं व्यवस्था आधुनिक नगरो से कम नही थी |
2. उचित जल निकासी व्यवस्था – शहरो से अपशिस्ट जल को बाहर निकालने के लिए नालिया व्यवस्था के रूप में देखेते है | ठीक उसी प्रकार से हडप्पा सभ्यता के भी विभिन्न नगरो से अपशिस्ट जल को बाहर निकालने के लिए लगभग 7-9 फिट गहरी सडको के दोनों किनारों पर नालियों का निर्मण किया गया था |ताकि कूड़े-कचड़े को रोका जा सके और अपशिस्ट जल निर्बाध तरीके से प्रवाह हो सके | जंहा पर शोषणकूप लगाया जाता था, ठीक उसके उपर जिप्सम का बना दक्कन लगा होता था, जिसे हटाकर समय-समय पर नालियों की सफाई की जाती थी |
3. साफ-सफाई का उचित प्रबंध – हडप्पा सभ्यता में आधुनिक नगरो की भांती साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया था | (जेसे- हडप्पा सभ्यता से सड़को के किनारे जमीन को खोदकर गए कूड़ेदान का प्रमाण मिलता है | एबं विभिन्न घरो में शोचालय का प्रमाण मिला हैं |
4. मकानों/भवनों का बसावट – जिस प्रकार से नगरो में भवनों का निर्माण नियोजित तरिके से सड़के के दोनों किनारे पर किया जाता हैं | ठीक उसी प्रकार भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता में भी भवनों के निर्माण का साक्ष्य मिलता है | हडप्पा सभ्यता में भवनों को ‘टेरिकोटा’ विधि से बहुमंजिला एवं बाहुकक्षीय के रूप में होता था | इस प्रकार से हडप्पा सभ्यता की नगर आधुनिक नगरो की भांती “ग्रीड पध्दति” पर बसाया गया था |
5. व्यपार-वाणिज्य – नगरो में यह प्रमुख विशेषता होता हैं, कि उस क्षेत्र में व्यपार-वाणिज्य को अधिक प्राथिमकता दिया जाता है | हडप्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार व्यपार ही था |
6. विज्ञान एवं तकनीक – जिस प्रकार से नगरो में विज्ञान एवं तकनीक उच्च होता हैं ठीक उसी प्रकार ससे हडप्पा सभ्यता में भी विज्ञान एवं तकनीक उच्च स्तर का था | जेसे –
- माप -तोल प्रणाली का विकास किया गया था |
- आभूषन बनाया जाता था |
- इत्र का निर्माण किया जाता था |
- मनके बनाने के कारखाने का विकास
- औषधीय ज्ञान से परिचित थे |
NOTE – इस प्रकार इन उपर्युक्त कथनों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वास्तव में हडप्पा सभ्यता एक विकसित नगरीय सभ्यता थी, क्योंकि हडप्पा सभ्यता में नगरो की भांती विशेषता पाए गए है |
प्रश्न 2. हडप्पा सभ्यता की सामाजिक स्थिति पर प्रकाश डाले |
या
हडप्पा सभ्यता को सामाजिक विशेषताओं का वर्णन करे |
उतर- हडप्पा सभ्यता भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता हैं, इसे अध्य्येतिहसिक सभ्यता के रूप में भी जाना जाता हैं, क्योंकि यंहा से लिपि का प्रमाण तो मिला है, किन्तु इसे अभी तक पढ़ा नही गया है | अर्थात इसका तात्पर्य यह हुआ कि हडप्पा सभ्यता की सामाजिक स्थिति का वर्णन पुरातात्विक साक्ष्य के आधार पर किया गया हैं |
उपर्युक्त संदर्भ में जंहा तक हडप्पा सभ्यता के सामाजिक स्थिति का प्रश्न है, तो उसे निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता हैं :-
*हडप्पा सभ्यता की सामाजिक स्थिति*
1.सामाजिक वर्गीकरण
2. मत्रस्तात्म्क समाज
3.शर्वाहारी समाज
4. श्रृंगार में रूचि
5. आपसी संबध
1.सामाजिक वर्गीकरण – हडप्पा सभ्यता के बस्तियों का विकास दो वर्गों में हुआ था | पहला कुछ बस्तियों को उच्चे क्षेत्र में बसाया गया था जिसे ‘दुर्ग’ की संज्ञा दी गई थी | जबकी दूसरी बस्ती का विकास निम्न क्षेत्रो में किया गया था | जिसे निचला शहर के नाम से जाना जाता है | पुरातात्वेताओ के अनुसार दुर्ग का संबंध उच्च वर्ग (जेसे- व्यपार, अधिकारी, पुरोहित, राजा) के लोगो से हैं |
जबकि निचला शहर का संबंध निम्न वर्ग (जेसे- श्रमिक) के लोगो से था | इससे यह स्पष्ट होता हैं कि हडप्पा सभ्यता का समाज दो वर्गो में बाँटा हुआ था | जिसे उच्च वर्ग एवं निम्न वर्ग के रूप में देखा |
2. मत्रस्तात्म्क समाज – मत्रस्तात्म्क समाज समाज की अभिप्राय “समाज में महिलायों के प्रभुत्व” से हैं | हडप्पा सभ्यता की उत्खन्न के दोरान विभिन्न प्रकार के मार्तदेवी एवं स्त्रियों की प्रतिमाए प्राप्त हुई हैं | जिसके आधार पर पुरातात्विकताओं ने यह अनुमान लगाया कि हडप्पा सभ्यता की समाज में महिलाओं को अधिक प्राथिमकता व महत्त्व दी जाती होगी | अर्थात यह समाज मत्रस्तात्म्क समाजहोगा |
3.शर्वाहारी समाज – हडप्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ो से मिला अन्नागार कालीबंगा से हल एवं जूते जूते हुए खेत तथा रंगपुर से धान एवं ज्वार की भुंसी हडप्पा से गेंहू, लोथल से चावल का प्रमान इस बात को स्पष्ट करता है कि हडप्पा सभ्यता के लोग खाद्यान फसल का उत्पादन करते थे एवं इसे शाकाहारी भोजन के रूप में ग्रहण करते थे | किन्तु कुछ स्थानों से मछली के कांटा एवं पशुपालन का प्रमाण मिला है जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस समाज के लोग शाकाहारी एवं मांसाहारी दोनों किस्म के भोजन ग्रहण करते थे |अर्थात हडप्पा सभ्यता का समाज सर्वाहरी समाज था |
4. श्रृंगार में रूचि – हडप्पा सभ्यता का उत्खन्न के दोरान विभिन्न प्रकार के श्रृंगार सामाग्रीयों मिली जेसे – लिपस्टिक, पाउडर, काजल, कंघी, (यह सब चंदहुदड़ो से मिला) चूड़ी (कालीबंगा) दर्पण (हडप्पा) आदी महत्वपूर्ण है इससे यह स्पष्ट होता हैं कि हडप्पा सभ्यता की समाज श्रृंगार में रुची रखती थी इसके अलावा आभूषण एवं वस्त्र धारण करते थे |
5. आपसी संबध – हडप्पा सभ्यता से प्राप्त खिलोने जेसे- पासा, सतरंज के अधार से यह कह सकते है कि हडप्पा सभ्यता के लोगो का आपसी संबंध अच्छा था, जिस कारण इस सभ्यता के लोग साथ मिलकर खेल-खेलते थे एवं हँसी-खुंशी जीवन जीते होंगे | जिससे यह स्पष्ट है कि हडप्पा सभ्यता के लोगो का आपसी संबंध अच्छा था |
इस प्रकार इन उपर्युक्त बातो से यह स्पष्ट होता है कि हडप्पा सभ्यता का समाज काफी विकसित एवं अनुशासित समाज था | हडप्पा सभ्यता में मोहनजोदड़ो से मिले शाभागार इस बात को दर्शाता है कि हडप्पा सभ्यता के समाज में काफ़ी एकता था |
प्रश्न 3. हडप्पा सभ्यता की आर्थिक स्थिति/आर्थिक विशेषता पर प्रकाश डाले |
उतर- जिस रूप में हडप्पा सभ्यता का विकास हुआ है, उसके अधार पर हम यह कह सकते है कि हडप्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था एवं आर्थिक स्थितियों को निम्न बिन्दुओं से समझाया जा सकता है |
*हडप्पा सभ्यता की आर्थिक स्थिति*
- कृषि
- पशुपालन
- व्यपार वाणिज्य
- उद्योग
- अन्य क्रिया कलाप
1. कृषि- कृषि का तात्पर्य फसल उत्पादन से हैं, जो प्रथिमकता क्रियाकलाप के अंतर्गत आता है | हडप्पा सभ्यता से मिलने वाले गेंहू का साक्ष्य, मोहनजोदड़ो से मलने वाला अन्नागार एवं कुआँ, लोथल से मिलने वाला चावल, रंगपुर से जों, कालीबंगा से हल एवं जूते हुए खेत का साक्ष्य, कपास एवं शोतुघई से मिलने वाला नहर का प्रमाण इस बात की और संकेत करता है कि हडप्पा सभ्यता के लोग का आर्थिक क्रियाकलाप के रूप में कृषि कार्य करते थे | हमने यह देखा की हडप्पा सभ्यता के लोग खाद्यान फसलो ले उत्पादन पर ज्यादा बल देते थे | अर्थात कृषि इस सभ्यता के लोगो की जीविकोपार्जन का प्रमुख आधार था |
2. पशुपालन – इस सभ्यता में प्रथिमकता क्रियाकलाप के रूप में पशुपालन कार्य भी किया जाता था, क्युकि यंहा से विभिन्न पशुओं को पलने का प्रमाण मिला है | जिसमे बैल, घोड़ा, भेड़, बकरा, गधा, ऊँट, सूअर, बिल्ली, कुत्ता आदि प्रमुख है | पुरातात्विदो का मानना है की दूध एवं मांस की प्राप्ति के उदेश्य से मुख्यतः पशुपालन कार्य किया जाता था | किन्तु कुछ पशुओं को पालने के पीछे अन्य उदेश्य होते थे जेसे- भेड़ पालना का मुख्य उदेश्य उन की प्राप्ती करना होता था |
3. व्यापार वाणिज्य – व्यापार एवं वाणिज्य हडप्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था का सबसे प्रमुख आधार था | प्राप्त पुरातात्विक साक्ष्य से यह पता चलता है कि हडप्पा सभ्यता का व्यापार सीमा के अंदर एवं बाहर पश्मी देशो के साथ होता था, क्युकि हडप्पा सभ्यता में सोना, चाँदी, टिन,सीसा एवं बहुमूल्य पत्थरो का आयात इराक, ईरान एवं अफगानिस्तान से किया जाता था | जबकी विभिन्न खाद्यान फसलो का निर्यात यमन एवं ओमान में किया जाता था | जिससे यह स्पष्ट होता है कि हडप्पा सभ्यता में व्यापारिक कार्य बड़े स्तर पर होता हैं |
4. उद्योग – चंदहुदड़ो से मिलने वाले मनके बनाने की कारखाना का साक्ष्य जबकी अन्य स्थलों में मिलने वाली शिल्प उद्योग एवं मिट्टी उद्योग इस बात की और संकेत करता है की हडप्पा सभ्यता में आर्थिक क्रियाकलाप के रूप में उद्योग का कार्य भी किया जाता था | जिसका अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान था |
5. अन्य क्रियाकलाप – सामान्यत: इसके अंतर्गत हम यह देख पाते है कि यंहा कृषि, पशुपालन, व्यापार उद्योग के अलावे भी अन्य आर्थिक क्रियाकलाप सम्पन्न होता था | जिनमे आभुष्ण तेयार करने का कार्य, मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य, भवन बनाने का कार्य एवं श्रमिको के द्वाराकिया जाने वाला अन्य कार्यो को शामिल किया जाता है |
इस प्रकार इन उर्युक्त बातो से यह पता चलता है कि हडप्पा सभ्यता में प्राथिमक, द्वितीय, तृतीयक क्रियाकलाप सम्पन्न होते थे | अर्थात यंहा की अर्थव्यवस्था काफ़ी सुद्र्द थी |

SANTU KUMAR
I am a passionate Teacher of Class 8th to 12th and cover all the Subjects of JAC and Bihar Board. I love creating content that helps all the Students. Follow me for more insights and knowledge.
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